जोशीमठ पुनर्वास में बजट की कमी पर त्रिवेंद्र का छलका दर्द, कहा- देवस्थानम बोर्ड होता तो मुआवजा देने में न होती परेशानी

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उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में आज जो हालात बने हुए हैं, उसमें सरकार की कोशिश प्रभावित परिवार को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करना और फिर उनका उनका स्थायी पुनर्वास करना है। इसके लिए उत्तराखंड की धामी सरकार को बड़े बजट की दरकार है, जिसके लिए धामी सरकार की नजर केंद्र की तरफ टिकी है। जोशीमठ नगर के विस्थापन को लेकर केंद्र सरकार से सहयोग की उम्मीद राज्य सरकार को है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बार फिर से देवस्थानम बोर्ड न होने पर अफसोस जताया है। उन्होंने कहा कि यदि आज राज्य देवस्थानम बोर्ड होता तो सवा सौ से डेढ़ सौ करोड़ की आय होती। खास कर बदरीनाथ धाम से ही इतनी आय हो जाती कि शहर को पुनर्स्थापित किया जा सकता था। आज आराम से लोगों का विस्थापन हो जाता और पैसों के लिए भटकना नहीं पड़ता। उन्होंने यह भी कहा कि वह सबको अपनी बात समझा नहीं पाए।

जोशीमठ में भूधंसाव से आई आपदा के संबंध में मीडिया से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड होता तो उससे 125-150 करोड़ की आय हो गई होती। कहा कि केवल दूरगामी सोच के साथ कुछ निर्णय होते है। यह मेरा दुर्भाग्य है कि मैं देवस्थानम बोर्ड के बारे में लोगों को ठीक से समझा नहीं पाया। बता दें, देवस्थानम बोर्ड का गठन भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यकाल में हुआ था। सरकार ने 25 फरवरी, 2020 को इसकी अधिसूचना जारी कर बोर्ड का गठन किया था। बोर्ड के गठन के बाद से ही हक-हकूकधारियों और पंडा समाज ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। स्थिति यह बनी कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद मुख्यमंत्री पद संभालने वाले तीरथ सिंह रावत सरकार को बोर्ड के संबंध में कदम पीछे खींचने के संकेत देने पड़े थे। तीरथ के बाद मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी ने पहल उच्च स्तरीय समिति और फिर मंत्रिमंडल की उप समिति की रिपोर्ट के बाद 30 नवंबर, 2021 को बोर्ड भंग कर दिया था।