गैरसैंण में सियासी ड्रामेबाजी का सच !| Uttarakhand News | Gairsain | Uttarakhand Vidhan Sabha

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गैरसैंण सदन में ‘नाइट स्टे’ का दांव पड़ा उलटा धामी टीम ने कर दी चढ़ाई गैरसैंण में अब सत्ता पक्ष ने खोला मोर्चा विपक्ष के सदन में ‘नाइट स्टे’ पर फूंके दिया जवाबी शंख। जी हां दगडियों दो तस्वीर पहले दिन थी वो ही दूसरे दिन, खबर जनता के साथ हो बड़े खेला को लेकर बताने आया हूं। Uttarakhand Assembly Monsoon Session दगड़ियों मै बताने जा रहा हूं कि कैसे हर बार सत्र के नाम पर मुझे और आपको छलने काम होता है, ये मै इसलिए कह रहा हूं हाथ कंगन को आरसी क्या। यहां तो आयने से साफ दिख रहा है कि कैसे जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधि जनता के सदन में ना सिर्फ जनता के पैसे का दुर्उपयोग कर रहे हैं बल्कि मजाक मजाक चल रहृा है। दगड़ियो दो दिन के मानसून सत्र मे पहले दिन विपक्ष ने पोस्टर लहाये पूरा दिन ऐसे ही निकल गया। सात को विपक्षी विधायकों ने रात सदन के अंदर ही बिताई लेकिन अगले दिन बीजेपी वालों ने मोर्चा खोल दिया। दगड़ियों यहां टोपी ट्रांसफर कर आपको और मुझे लगता है पगल बनाया जा रहा है, यहां तो सत्र होना था लेकिन हो कुछ और ही रहा है, बल उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र इस बार न सिर्फ असहमति का मंच बना, बल्कि यह सत्ता और विपक्ष के बीच की खुली जंग का मैदान बन गया। कांग्रेस के ‘रातभर धरने’ के जवाब में अब भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने विपक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

इस बार न कोई बयानबाज़ी थी, न कोई प्रेस कांफ्रेंस — बल्कि बीजेपी विधायक खुद सदन की परिक्रमा पर निकल पड़े, हाथों में तख्तियाँ लिए, साइलेंट लेकिन तीखे विरोध के साथ दोस्तो एसा लग रहा था कि साफ संदेश था कि जो लोकतंत्र को बंधक बनाएंगे, हम उन्हें बेनकाब करेंगे! अब सवाल मै करूं यहां पर भाई सवाल करना क्या लोकतंत्र को बंधक बनाना है क्या इसी बार हो रखा बल या पहले से था बल। ऐसा तो उत्तराखंड ने नहीं देखा ठेहरा। दोस्तो जहां कांग्रेस ने पहले दिन से ही विधानसभा की कार्यवाही में विघ्न डालने का क्रम शुरू किया — माइक उखाड़ना, टेबल पलटना, हंगामा करना — वहीं अब सत्ता पक्ष भी मैदान में उतर चुका है। और यह उतरना सिर्फ जवाब नहीं है, यह सीधा हमला है कांग्रेस की कथित दोहरी राजनीति पर है। ऐसा लगता है और बीजेपी वाले ऐसा ही कुछ कह भी रहे हैं। दोस्तो बीजेपी विधायकों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सिर्फ सत्ता को घेरने के लिए आपदा जैसे गंभीर मुद्दों को भी नजरअंदाज कर दिया। दगड़ियों बीजेपी विधायकों के हाथ में जो तख्तियाँ थीं, उन पर सिर्फ नारे नहीं, कांग्रेस के चरित्र पर सीधा प्रहार था। ऐसा लगा “आपदा पर राजनीति बंद करो! कांग्रेस को जनता की नहीं, कुर्सी की चिंता! विपक्ष नहीं, लोकतंत्र का अपमान!” ऐसे न जाने क्या क्या लिख गया था।

उत्तराखंड, एक ऐसा राज्य जो पहाड़, आपदाओं और संवेदनशील भूगोल से जूझता रहा है, वहां मानसून सत्र के दौरान आपदा प्रबंधन, राहत कार्यों और विकास योजनाओं पर चर्चा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए थी लेकिन हो क्या रहा है कोई मुद्दों के नाम पर नाइट स्टे कर रह है सदन के अंदर कोई दूसरे दिन आता है और वो सदन कि परीक्रमा करता है तो क्या दगड़ियों इस पूरे सत्र को बीजेपी कांग्रेस वालों ने एक पॉलिटिकल स्टंट में तब्दील कर दिया है। बीजेपी विधायकों का यह भी आरोप है कि:जब आपदा प्रभावित क्षेत्रों की मदद पर चर्चा होनी चाहिए थी,जब बजट आवंटन और राहत कार्यों की समीक्षा होनी चाहिए थी,तब कांग्रेस सिर्फ सत्ता के खिलाफ बयानबाज़ी और हंगामे में व्यस्त रही।”जनता मर रही थी, और विपक्षी विधायक फोटो और वीडियो बना रहे थे!” — यह बयान एक भाजपा विधायक का था, और यह बयान सिर्फ गुस्से का नहीं, एक गंभीर हकीकत का संकेत है। तो दगड़ियों ये उत्तराखंड का बेड़़ा गर्क क्यों क्या जा रहा है बल एक और वीडियो इस पर अलग से बनाउंगा। एक तरफ विपक्ष रातभर धरना देकर खुद को ‘जनता का मसीहा’ घोषित कर रहा है। दूसरी तरफ सत्ता पक्ष अब उन्हीं के हथियारों का उपयोग कर रहा है — लेकिन संयम और मर्यादा के साथ। बीजेपी विधायकों की यह रणनीति कांग्रेस की रणनीति को उल्टा करने का प्रयास है — शांत विरोध बनाम उग्र हंगामा। और इस बार जनता देख रही है कि कौन असली मुद्दों की बात कर रहा है।