Joshimath Sinking: जोशीमठ को बचाने के लिए हो रहे अनोखे प्रयोग, क्या पॉलीथिन और पाइप बन पाएगी सहारा?

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Joshimath Is Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ में लगातार हालात खराब होते जा रहे हैं। आए दिन घरों में दरारें आ रही हैं। सरकार और प्रशासन लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि किसी को भी बिना घर के नहीं रहना पड़ेगा। हजारों लोग शिविर में ठहराए गए हैं और प्रशासन उनके रहने खाने पीने की व्यवस्था कर रहा है। वैज्ञानिक लगातार जोशीमठ की उस जमीन पर रिसर्च कर रहे हैं। एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) की जनवरी की रिपोर्ट जारी की है। वाडिया भू विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों के हवाले से उदास की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ में भूमि धंसने की दर दोगुनी हुई है।

अब तक कोई ऐसा उपाय सामने आया है जिससे इन दरारों को रोका जाए। इस दौरान जिला प्रशासन जोशीमठ में कुछ ऐसे उपाय कर रहा है जो ना केवल सुर्खियों में बने हुए हैं, बल्कि लोगों को भी हैरान कर रहे हैं कि इन जुगाड़ से भला कैसे पहाड़ का धंसना रुकेगा। जहां पर आज भी दरारों के बढ़ने का सिलसिला जारी है। इन सबके बीच प्रशासन ने बड़े-बड़े बोल्डर और दरारों को रोकने के लिए जो उपाय किए हैं, वह किसी का भी सर चकरा सकते हैं। सवाल यह खड़ा होता है कि इतने विशालकाय पर्वतों और पत्थरों को यह छोटे-छोटे लोहे के पाइप भला कैसे रोक सकते हैं। क्योंकि अगर यह बोल्डर जरा भी नीचे सरके तो कई मकान जिनमें आज भी लोग रह रहे हैं वह पूरी तरह से तबाह हो जाएंगे।

बड़े-बड़े बोल्डरों को रोकने के लिए जहां पाइपों का सहारा लिया जा रहा है, वहीं औली रोपवे के जिस टावर के नीचे लगातार दरारें आ रही हैं, वहां स्थित खेतों को बचाने के लिए भी प्रशासन ने एक नया उपाय निकाला था। हालांकि यह उपाय भी काम नहीं आया। दरअसल प्रशासन ने रोजाना चौड़ी हो रही दरारों को रोकने के लिए पहले दरारों में मिट्टी भरी। उसके ऊपर पॉलिथीन से पूरे क्षेत्र को कवर कर दिया। ताकि पानी का प्रभाव उन दरारों में ना जाए। लेकिन यह जुगाड़ भी ज्यादा देर तक नहीं चला और इस पूरे इलाके में दरारों के बढ़ने का सिलसिला जारी रहा। प्रशासन के यह अजीब-ओ-गरीब उपाय भले ही जिस तकनीक के तौर पर करवाए जा रहे हों, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि ये जुगाड आखिर कब तक चलेंगे।