उत्तराखंड में मंत्री के बयान पर घमासान !| Harish Rawat VS Subodh Uniyal | Uttarakhand News | Viral

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उत्तराखंड में मौजूदा मंत्री क्यों पूर्व मुख्यमंत्री को दुष्ट कह दिया, उनके तीखे बयान का राज क्या है, क्यों जो कभी बेहद करीबी था, वो आज इसकदर बेगाना हो गया कि वो दुष्ट हो गया, लेकिन अब उत्तराखंड के मंत्री के इस बयान पर एक नई बहस का जन्म हो चुका है। पूरी खबर बताने के लिए आया हूं दोस्तो। Harish Rawat VS Subodh Uniyal दोस्तो वैसे उत्तराखंड की राजनीति में कब क्या हो जाए ये कोई नहीं जानता, शायद चुनाव आने वाला है इस लिए नेता मंत्री सब अपनी अपनी गोटियां फिट करने की जुगत में लग चुके हैं और इसी बीच जो बयान प्रदेश के काबिना मंत्री सुबोल उनियाल ने दिया है वो खूब शोर मचाने लगा है हो सकता है 27 की जंग में अभी वक्त हो लेकिन सियासी जंग अब से ही तेज हो चुकी है। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर ऐसा कटाक्ष किया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल मचा दी है। हल्द्वानी में आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने न केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया, बल्कि एक सियासी हमला भी बोला, जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। दोस्तो सुबोध उनियाल ने हरीश रावत को ‘दुष्ट’ करार देते हुए कहा कि यदि वे उनके साथी होते तो पार्टी छोड़ने की नौबत कभी नहीं आती। इस तंज में उनके बीते राजनीतिक सफर की भी झलक थी, जहां उन्होंने साफ किया कि उनके और रावत के बीच कभी भी साथ नहीं रहा, मै आपको वो बयान सुनाउं उससे पहले ये बता दूं कि दगड़ियो राजनीति में साथ साथी वाली कभी होती नहीं है। मौके पर चौका मारकर अपना उल्लू सीधा करना सियासत का एक मात्र मकसद रहता है।

वहीं आपको ये भी बता दूं दोस्तो ये बयान उस समय आया जब दोनों एक ही मंच पर मौजूद थे — बीजेपी विधायक बंशीधर भगत के साथ — जो यह दर्शाता है कि राजनीति में दूरी सिर्फ अस्थानी नहीं, बल्कि गहरी और स्थायी हो चुकी है। दोस्तो सुबोध उनियाल ने हरीश रावत को न केवल ‘दुष्ट’ कहा, बल्कि उनकी उम्र को लेकर भी कटाक्ष किया, यह कहते हुए कि अब वह ‘वानप्रस्थ’ की अवस्था में हैं और बेहतर होगा कि वे घर बैठकर राम भजन करें। ये सलाह उन्होंने ठिठोली की तरह दी, लेकिन इसका सियासी मतलब साफ था — समय आ गया है कि हरीश रावत राजनीति से दूरी बनाएं और नए दौर के नेताओं को मौका दें। मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उन्होंने पहले भी तीन बार चुनाव हारने के बाद रावत को संन्यास लेने की सलाह दी थी, लेकिन रावत ने इसे नहीं माना। दगडड़ियो अब सियासी तौर पर इसके क्या मायने निकाले जाएंगे ये तो वक्त बताएगा, लेकिन ये बयान केवल एक व्यक्तिगत आलोचना से कहीं बढ़कर है, यहेउत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस और बीजेपी के बीच बढ़ती दुश्मनी को भी दिखाता है। अब चुनाव भी आने वाला है। दोस्तो बता दूं कि सुबोध उनियाल, जो कभी कांग्रेस के ही हिस्सा थे और बाद में बीजेपी में शामिल हुए, अब कांग्रेस को निशाना बनाकर अपनी पार्टी की पकड़ मजबूत करने में लगे हैं। उनकी इस कटु टिप्पणी से साफ होता है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच संघर्ष और तेज होने वाला है। दोस्तो ये राजनीतिक नाटक सिर्फ शब्दों का नहीं, बल्कि भावनाओं और भावी चुनावी रणनीतियों का भी है। उत्तराखंड के मतदाता इन जुबानी हमलों के बीच यह देख रहे हैं कि कौन बेहतर भविष्य का वादा करता है और कौन सच्चे मन से प्रदेश की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है।

क्या सुबोध उनियाल की यह सियासी चाल उन्हें आगे ले जाएगी या यह बयान उनके राजनीतिक कैरियर पर उल्टा पड़ जाएगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल, उत्तराखंड की राजनीति में इस बयान ने नया सस्पेंस और उबाल पैदा कर दिया है, जो आने वाले दिनों में और भी रंग लाएगा। राजनीति की इस जंग में अगला कदम कौन उठाता है, यह देखने वाली बात होगी। उत्तराखंड में वैसे तो साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक साल से ज्यादा का समय बचा है, लेकिन राजनेताओं की एक-दूसरे पर तीखी बयानबाजी अभी से शुरू हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी के नेता एक-दूसरे पर कटाक्ष करने का कोई मौका नहीं छोड़ते है। उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सूबे पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ बड़ा बयान दिया है। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने हरीश रावत को दुष्ट तक कहा है। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के तीखे और विवादित बयान ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर उनके कटाक्ष और सलाह ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल मचा दी है। आने वाले विधानसभा चुनावों तक यह बयान और इन पार्टियों के बीच संघर्ष और भी गहरा होने की संभावना है। राजनीति की इस जंग में अब हर शब्द और हर कदम मायने रखता है। सवाल ये है कि क्या ये बयान सुबोध उनियाल के राजनीतिक करियर को मजबूती देंगे, या फिर यह उनके लिए चुनौती बनेंगे? और कांग्रेस की ओर से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है? प्रदेश के लोग भी इस सियासी लड़ाई को ध्यान से देख रहे हैं, क्योंकि उनकी उम्मीदें और उम्मीदें चुनाव के नतीजों से जुड़ी होती हैं।