जी हां दोस्तो देवभूमि उत्तराखंड में हालात अचानक बिगड़ गए, वन भूमि की नपाई को लेकर ऐसा बवाल मचा कि माहौल बनभूलपुरा जैसा बन गया। आक्रोश, नारेबाज़ी और तनाव के बीच प्रशासन को फोर्स उतारनी पड़ी। आख़िर वन भूमि पर क्या हो रहा है, और क्यों भड़का लोगों का गुस्सा? मेरी इस रिपोर्ट के जरिए देखिए उत्तराखंड का दूसरा बनभूलपुरा। जहां सड़क पर उतरा है जनसैलाब, लड़ाई बड़ी है। मामला बेहद अहम संवेदनशील है दोस्तो खबर आज हद्वानी के बनभूलपुरा की नहीं, लेकिन हालात उससे भी कहीं ज्यादा डरावने हैं, क्योंकि मामला यहां भी अतिक्रण कर कब्जाई गई जमीन का है। वहां बनभूलपुरा में जमीन रेलवे की थी, यहां फर्क ये है कि यहां जमीन वन विभाग की है। दोस्तो हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हाइकोर्ट का फैसला था। यहां सुप्रीम कोर्ट से लगी है सरकार को फटकार, तब जमीन तलासने निकाला है वन विभाग, लेकिन आज तस्वीर बहुत कुछ बदल चुकी है। पहले आप इस जनसैलाब को देखिए। ये लोग वन विभाग की उस जमीन पर दसकों से रह रहे हैं और आज खाली करने की मुनादी हो रही है। दोस्तो सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद ऋषिकेश के शिवाजी नगर, मीरा नगर, बापू ग्राम, मनसा देवी और गुमानीवाला में वन विभाग जमीन की नपाई शुरू करने पहुंचा. वन विभाग की इस कार्रवाई स्थानीय लोगों ने काफी विरोध किया।
दोस्तो यहां लोगों ने वन विभाग की टीम को शिवाजी नगर में घुसने से भी रोक दिया। स्थानीय लोगों ने पुलिस-प्रशासन और वन विभाग के खिलाफ करीब तीन घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारी लोगों को समझाते रहे, लेकिन कोई भी उनकी सुनने को तैयार नहीं था। आखिरकार पुलिस को लोगों के उपर लाठियां तक भांजनी पड़ी। दरअसल दोस्तो पुलिस-प्रशासन और वन विभाग की टीम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला दिया और लोगों को बताया कि घरों को किसी प्रकार से नुकसान नहीं होगा। खाली पड़ी जमीन को ही वन विभाग की टीम नपाई के साथ चिन्हिंत करेगी. क्षेत्रीय लोग पैनिक न हो किसी का भी घर नहीं उजाड़ा जाएगा। वहीं दोस्तो स्थानीय लोगों का कहना ये कि कल भी जंगलात की टीम ने पूरी फोर्स के साथ बापू नगर में एट्री की थी। जब इस बारे में वन विभाग की टीम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि बापू ग्राम की 500 एकड़ जमीन पर जितने भी भूखंड है, उनका नापजोप करें। दोस्तो स्थानीय व्यक्ति के मुताबिक जब अधिकारियों से वेकेंट लैंड के बारे में जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि जो मकान बने हुए है, उन्हें छोड़कर खाली पड़ी जमीन, जिसमें दो से तीन सौं गज के जो भी प्लाट होंगे, उसकी वो नाप लेगे, जिसका स्थानीय जनता ने विरोध किया। क्योंकि वो यहां तीन पीढ़ियों से रह रहे है। इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। वन विभाग की इस कार्रवाई से इलाके में डर का माहौल है। दोस्तो जनता का साफ कहना है कि वो वन विभाग की किसी भी कीमत पर आगे नहीं बढ़ने देंगे। वो अहिंसावादी तरीके से सरकार की इस कार्रवाई का विरोध करेंगे। वहीं हंगामा बढ़ने पर ऋषिकेश मेयर शंभू पासवान भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने बताया कि 22 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आदेश हुआ था। इसके बाद ही वन विभाग यहां पहुंचा था। उत्तराखंड में वन भूमि पर अतिक्रमण के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गई है। ऋषिकेश से जुड़े एक बड़े भूमि प्रकरण की जांच के लिए शासन ने पांच सदस्यीय समिति गठित की है, जिसे 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। यह मामला करीब 2866 एकड़ वन भूमि से जुड़ा है, जो वर्ष 1950 में 99 साल की लीज पर दी गई थी और जिस पर लीज शर्तों के उल्लंघन व व्यावसायिक उपयोग के आरोप लगे हैं, लेकिन इसी पर अब एक तरफ सुप्रीम कोर्ट को लगी सरकार को फटकार है वहीं दूसरी तरफ स्थानीय लोग, जो सालों से यहां रह रहे है और फिर बढ़ता ये टकराव।