उत्तराखंड: 7 महीने के शिशु के पेट में पल रहा था मानव-भ्रूण, अजूबा देख डॉक्टर भी परेशान; दिया नया जीवन

देहरादून में एक सात माह के बच्चे के पेट मे पल रहे एक मानव-भ्रूण का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जिसकी हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के डॉक्टर्स की टीम ने सफल ऑपरेशन कर भ्रूण को बाहर निकाल दिया।

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक सात महीने के नवजात का पेट अचानक से फूल गया। Human Embryo In Baby’s Womb परिजनों को जब इसका अहसास हुआ तो वो बेटे को अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने जब बच्चे का चेकअप किया तो रिपोर्ट देख उनके भी होश उड़ गए। रिंकू की मां व परिजनों ने हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में वरिष्ठ बाल शल्य-चिकित्सक डा.संतोष सिंह से संपर्क किया। रिंकू की आरंभिक जांच में उन्हें पेट में किसी असामान्य गांठ होने का शक हुआ। जब एक्सरे किया गया तो रिंकू के पेट में पल रहे एक मानव-भ्रूण होने का पता चला। ऑपरेशन के चार दिन बाद पूर्ण रूप से स्वस्थ मासूम को घर भेज दिया गया। जिसके बाद अब परिजनों ने राहत की सांस ली है।डॉ.संतोष सिंह ने बताया कि पिछले सप्ताह रिंकू का सफल ऑपरेशन किया गया। उसके पेट मे से अर्ध-विकसित मानव भ्रूण को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया।

ऑपरेशन के चार दिन बाद पूर्ण रूप से स्वस्थ रिंकू को घर भेज दिया गया। ऑपरेशन को सफल बनाने में डॉ.आयेशा, डॉ.हरीश, डॉ.वैष्णवी, गीता व रजनी ने सहयोग दिया। डॉ.संतोष सिंह ने बताया कि “फ़ीटस-इन-फ़ीटू” मानव भ्रूण-विकास की एक अत्यंत असामान्य घटना है। इसमें भ्रूण विकास के समय किसी अज्ञात वजह से एक भ्रूण दूसरे के अंदर विकसित होने लगता है, बिल्कुल एक परजीवी की भांति। अल्ट्रासाउन्ड से इसका पता माँ के गर्भ में ही लगाया जा सकता है हालांकि अधिकतर मामलों मे इसका पता जन्म के बाद ही चलता है। डॉ.संतोष कुमार ने बताया “फ़ीटस-इन-फ़ीटू” जैसे केस लगभग 5 लाख से भी अधिक गर्भावस्थाओं मे किसी एक को हो सकता है। आमतौर पर ये एक से दो वर्ष तक की आयु मे शिशु के पेट के असामान्य तरीके से बढ़ने के कारण ही संज्ञान मे आ जाते हैं।