जी हां दोस्तो कैसे उत्तराखंड के बीजेपी विधायक के एक फैसले से बड़ सकती है सरकार परेशानी, क्यों बीजेपी के विधायक ने कर दी इस्तेफे तक की पेशकश कह दिया इस बार नहीं हुआ समाधान तो मै दे दूंगा इस्तीफा। क्योंकि जिस मुद्दे पर बीजेपी के विधायक ने अपनी ही पार्टी और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है, वो मामला बेहद महत्वपूर्ण है। दोस्तो जैसा की हम सभी जानता हैं उत्तराखंड के पहाड़ों और जंगलों में जान का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। पौड़ी जिले के लैंसडाउन में बाघ ने एक महिला को मौत के घाट उतार दिया, वहीं रामनगर में गुलदार ने युवक पर हमला कर दिया। वन्यजीवों के हमले बढ़ते ही जा रहे हैं और प्रशासन अब तक स्थायी सुरक्षा व्यवस्था लगाने में असफल नजर आ रहा है। दोस्तो इस मामले को लेकर जहां जनता के बीच आक्रोश देखा जा रहा है। वहीं अब बीजेपी के ही विधायक ने सरकार और विभाग को आयना दिखाने का काम किया है, क्योंकि मामला है ही इतना अहम कि लैंसडाउन से आने वाले बीजेपी के विधायक ने मोर्चा खोल दिया। दोस्तो उत्तराखंड में वन्यजीवों के हमले का ग्राफ दिनों दिन बढ़ रहा है, वन्यजीव आए दिन लोग पर हमले कर रहे हैं। इसके बावजूद वन विभाग वन्यजीवों के हमले नाकाम करने की कोशिश में असफल ही दिखाई दे रहा है। पौड़ी जिले के लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र में बाघ का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। ताजा मामले में बाघ ने एक महिला पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया, जिससे पूरे इलाके में दहशत का माहौल है।
घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्र के विधायक दिलीप रावत प्रभावित गांव पहुंचे और पीड़ित परिवार से मुलाकात कर सांत्वना दी, साथ ही कह दी बड़ी बात, जिससे वन महकमें के साथ ही वन मंत्री सुबोध उनियाल को एक सोचना पड़ेगा। इस परेशानी के समाधान के बारे में दोस्तो पीड़ित परिवार से मुलाकात के दौरान बीजेपी विधायक दिलीप रावत का आक्रोश खुलकर सामने आया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हो रहे वन्यजीवों के लगातार हमलों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है और अधिकारी व सरकार समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने में असफल रहे हैं। इतना ही नहीं इसके अलावा विधायक का वो बयान और वो फैसला जो सरकार के गले नहीं उतरने वाला है कि अगर ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पाती और मेरी आवाज अनसुनी ही होती रही, तो वह इस्तीफा देने तक का फैसला ले लेंगे। दोस्तो इस दौरान विधायक ने एक और मामले का जिक्र किया कि जिस इलाके में घटना हुई है वहां पुल तो बना दिया गया है, लेकिन पुल को जोड़ने वाली सड़क आज तक नहीं बन सकी. कहा कि पिछले 11 साल से वह सड़क निर्माण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को जंगल के रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है और इसी वजह से जंगली जानवरों का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
विधायक ने कहा कि क्षेत्र में बाघ के हमलों की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। वह इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठा चुके हैं और सरकार के समक्ष भी विस्तार से रख चुके हैं लेकिन फिलहाल कोई ठोस निर्णय नहीं निकल पाया है। ग्रामीण रोजमर्रा की गतिविधियों में भी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, खासकर महिलाएं और बच्चे दहशत में हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक बाघ को पकड़ने या शूट करने जैसी निर्णायक कार्रवाई नहीं होती और सड़क निर्माण जल्द शुरू नहीं किया जाता, तब तक क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति सुधरना मुश्किल है। दोस्तो यहां मै आपको बता दूं कि जयहरीखाल ब्लॉक के सिरोबाड़ी गांव में शुक्रवार देर शाम बाघ ने 60 साल की महिला उर्मिला देवी निवाला बना दिया था. जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत और आक्रोश फैल गया है। सूचना मिलते ही कालागढ़ टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट वन प्रभाग रेंज टीम और क्षेत्रीय विधायक दिलीप रावत तुरंत मौके पर पहुंचे। महिला के शव को घटनास्थल से उठाकर घर पहुंचाया गया। लगातार वन्यजीव हमलों से परेशान ग्रामीण अब बेकाबू होते दिख रहे हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन और वन विभाग केवल घटना के बाद पहुंचता है, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। वहीं दोस्तो क्षेत्रीय विधायक दिलीप रावत ने घटना को दुखद बताते हुए कहा की उनकी पूरी विधानसभा कालागढ़ वन प्रभाग से सटी हुई है। लोग जान के खतरे में जी रहे हैं।
उन्होंने कई बार सरकार से कहा कि ऐसी परिस्थितियों में लोग कैसे जिएंगे, उन्होंने सरकार से तत्काल बाघ को मारने की अनुमति व क्षेत्र में स्थायी सुरक्षा व्यवस्था लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा की यदि सरकार वन अधिनियम में शिथिलता लाकर उत्तराखंड की परिस्थितियों के अनुरूप नियम नहीं बनाती है और उनके क्षेत्र में 11 साल से जो सड़क लंबित पड़ी हैं उसका काम पूरा नहीं होता है तो उन्हें मजबूरन इस्तीफा देना पड़ेगा। उधर कुमाउं के रामनगर से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां तराई पश्चिमी वन प्रभाग के अंतर्गत पतरामपुर रेंज में एक बार फिर गुलदार ने युवक पर देर शाम हमला कर दिया. इस हमले में युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और घायल युवक को तत्काल उपचार के लिए जसपुर के सरकारी अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे प्राथमिक उपचार देने के बाद घर भेज दिया। दोस्तो उत्तराखंड में वन्यजीवों के हमले और प्रशासन की ढिलाई ने ग्रामीणों की सुरक्षा को गंभीर संकट में डाल दिया है। सवाल यह है कि क्या सरकार और वन विभाग समय रहते ठोस कदम उठाएंगे, या इन जंगलों में जान का खतरा बढ़ता ही जाएगा।