धराली धराली आपदा रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना के दो चिनूक, दो एमआई-17 लगे हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार की ओर से यूकाडा के 8 हेलीकॉप्टर्स को रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाया गया है। अभी हर्षिल में 250 यात्री फंसे हुए हैं। Uttarkashi Dharali Disaster इनमें 50 पर्यटक तथा 200 स्थानीय निवासी हैं। वहीं, गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगनानी के पास बह गए पुल के स्थान पर बेली ब्रिज बनाने का कार्य चल रहा है। 729 से अधिक फंसे लोगों को हर्षिल, गंगोत्री, मातली से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने मातली हेलिपैड पहुंचकर हेलिकॉप्टर से राहत सामग्री की खेप रवाना की। चिनूक व एमआई-17 हेलिकॉप्टर से बचाव व राहत कार्य के लिए मशीनरी पहुंचाने के साथ ही फंसे लोगों को निकाला जा रहा है। सेना व यूकाडा के हेलिकॉप्टर से शाम तक हर्षिल, झाला, गंगोत्री से 257 यात्रियों को एयरलिफ्ट कर मातली पहुंचाया जा चुका था।
आपदाग्रस्त क्षेत्र से अधिकांश जीवित लोगों को तो निकाल लिया गया है। मलबे में भी विभिन्न उपकरणों के सहारे जिंदगी की तलाश चल रही है मगर जो लोग कई फीट नीचे दब गए हैं उन्हें तलाशना बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि 15 से 20 फीट नीचे मलबे में दबे लोगों को तलाशने में तकनीक भी ज्यादा कारगर साबित नहीं होगी। ऐसे में केवल मैन्युअली खोदाई करने के बाद ही लोगों को मलबे से निकाला जा सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इतने नीचे दबे लोगों को तलाशने के लिए ये तकनीकें बेहद कम कारगर साबित होंगी। इसके लिए वहां पर मशीनों और मजदूरों की मदद से थोड़ी-थोड़ी खोदाई कर ही मलबा हटाकर दबे लोगों को निकाला जा सकता है। डीआईजी एनडीआरएफ गंभीर सिंह चौहान ने बताया कि एनडीआरएफ और अन्य फोर्स के पास उपकरण काफी हैं लेकिन ये कितने कारगर साबित होते हैं इसका पता अभी कुछ समय बाद ही लग सकता है।