सेना में अफसर बनकर घर पहुंचीं ज्योति ने बच्चों संग शहीद पति को दी सलामी, सास ने उतारी बहू की आरती

Share

शहीद नायक दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति सेना में लेफ्टिनेंट बनकर रविवार सुबह देहरादून स्थित अपने घर पहुंचीं। हर्रावाला स्थित कॉलोनी में उनका जोरदार स्वागत किया गया। आर्मी बैंड की धुन पर हरिद्वार रोड स्थित शहीद प्रवेश द्वार से घर तक स्वागत यात्रा निकली। सैन्य अफसर की वर्दी में घर पहुंची बहू को बधाई देने वालों का तांता लग गया। घर के गेट पर सास ने अफसर बहू की आरती उतारी। बहू के माथे पर टिका लगाया। मुंह मिठा कराया। बहू ने भी सम्मान स्वरूप सास के पैर छुकर आर्शीवाद लिया। इस दौरान भारत माता की जय, शहीद दीपक अमर रहे के नारे भी लगे।

घर पर लेफ्टिनेंट ज्योति नैनवाल, बेटी लावण्या और बेटे रेयांश ने शहीद दीपक नैनवाल के चित्र पर पुष्प चक्र अर्पित किया और उन्हें सैल्यूट कर सलामी दी। इस दौरान अफसर मां के साथ बच्चों ने भी सैन्य वर्दी पहली हुई थी। दोनों बच्चे मां के साथ ही रहे। ससुर ऑनरेरी कैप्टन सीपी नैनवाल शनिवार को बहू की चेन्नई स्थित ओटीए में आयोजित पासिंग आउट परेड में शामिल हुए थे। वे रविवार सुबह फ्लाइट से बहू और अन्य परिजनों के साथ जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। यहां से सड़क से हर्रावाला स्थित घर पहुंचे। घर पर सास पार्वती देवी, देवर प्रदीप नैनवाल, ननद समेत अन्य रिश्तेदारों ने लेफ्टिनेंट ज्योति का जोरदार स्वागत किया। पूरी कॉलोनी के लोग स्वागत समारोह में पहुंचे। एक के बाद एक करके ज्योति को फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत करने वालों का तांता लगा रहा। हर्रावाला स्थित ससुराल में स्वागत के बाद ज्योति नथुवावाला स्थित मायके पहुंचीं। वहां भी मायके वालों ने बेटी का जोरदार स्वागत किया।

सैनिक कल्याण मंत्री जोशी ने किया स्वागत
उत्तराखंड के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी खुद शहीद की अफसर पत्नी का स्वागत करने हर्रावाला पहुंचे। यहां कई स्थानीय नेता भी शहीद द्वार पर स्वागत समारोह की तैयारी करते नजर आए। मंत्री जोशी ने लेफ्टिनेंट ज्योति का स्वागत करने के साथ ही शहीद दीपक के चित्र पर पुष्पचक्र अर्पित किया। उन्होंने नैनवाल परिवार की सेना के प्रति समर्पण की भावना की सराहना की।

ज्योति को उनके दोनों बच्चों ने पहनाए थे सितारे
पति के शहीद होने के कुछ समय बाद ही ज्योति ने सेना में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी। उनके बच्चे लावण्या और रेयांश भी मां को प्रेरित करते रहते थे। यही नहीं, जब यह तय हो गया कि ज्योति को चेन्नई ओटीए में ट्रेनिंग के लिए जाना है तो दोनों बच्चों ने इच्छा जताई कि अपनी अफसर मां की वर्दी पर जब वे सितारे सजाएंगे तो उस वक्त वे भी वर्दी में होंगे। चेन्नई ओटीए में शनिवार को जब ज्योति ने लेफ्टिनेंट बनने का अंतिम पग रखा और सेना में कमीशन हासिल किया तो दोनों बच्चों ने बावर्दी अपनी मां को गले लगा लिया। ज्योति ने पति के सपने को पूरा करने के लिए जितना त्याग किया, उतना ही उनके बच्चों ने मां से अलग रहकर किया। ज्योति ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में कहा कि उनके पति दीपक कश्मीर के कुलगाम में 11 अप्रैल 2018 को आतंकियों से लोहा लेते समय बुरी तरह घायल हो गए थे। इसके बाद पहले नई दिल्ली और बाद में पुणे के सैन्य अस्पताल में भर्ती रहे। इसी दौरान पहली बार वे सेना के सीधे संपर्क में आईं तो पता चला कि सेना अपने सैनिकों और उनके परिवारों का कितना ध्यान रखती है। इस बात ने उनके मन में सेना के प्रति सम्मान को कई गुना बढ़ा दिया। इसी दौरान घायल पति ने ज्योति से सेना में जाने का वादा लिया। 2010 में बीएड के बाद 2011 में शादी होते ही ज्योति पढ़ाई-लिखाई से कोसों दूर हो गई थीं।

एक महीने तक घायल पति की सेवा करती रहीं ज्योति
इस बीच, एक माह इलाज के बावजूद दीपक शहीद हो गए तो वे बुरी तरह टूट गईं। इस पर उनके पिता वेद प्रकाश खंडूड़ी और मां गुड्डी ने प्रेरित करना शुरू किया। वे कहते थे कि पति के शहीद होने के बाद अब वह कैसी जिंदगी चाहती है, यह पूरी तरह उसी पर निर्भर है। वह जैसी जिंदगी बच्चों को देना चाहती है, उसके लिए पहले खुद उदाहरण बनना होगा। ज्योति को अब सिर्फ जन्म देने वाली मां न बनकर, कर्म देने वाली मां बनना होगा। इन शब्दों ने उनकी जिंदगी को नए मोड़ पर ला लिया। सेना की तैयारी में कई सैन्य अफसरों ने मदद की। इस बीच, बच्चे मां से अलग रहे। ज्योति के साथ 38 महिला अफसरों को भी सेना में कमीशन मिला।

बेटा-बेटी को माता-पिता पर गर्व
दीपक-ज्योति की बेटी लावण्या और रेयांश बहुत हिम्मती हैं। दो साल पहले हर्रावाला के एक कार्यक्रम में दोनों ने मेयर सुनील उनियाल गामा और सैकड़ों लोगों को जिस बहादुरी के साथ संबोधित किया, हर्रावाला के लोग इसे आज भी नहीं भूले हैं। लावण्या ने मां को सेना में अफसर बनने के बाद चेन्नई में भी मीडिया को बहुत बहादुरी के साथ इंटरव्यू देते हुए कहा कि उन्हें अपनी मां और पिता पर गर्व है। वे भी मां को इसी तरह गर्व का मौका देंगी। वे भी सेना में जाना चाहती हैं।

अरुणाचल में चीन बॉर्डर पर हुई पहली तैनाती
लेफ्टिनेंट ज्योति नैनवाल की पहली पोस्टिंग अरुणाचल की पेंगा वैली में हुई है। उन्हें 11 दिसंबर तक अपनी यूनिट को ज्वाइन करना है। ज्योति एक बार फिर अपने बच्चों से बिछुड़ेंगी, लेकिन ज्योति इसके लिए मानसिक रूप से तैयार हैं। ज्योति के मुताबिक, उन्हें और उनके बच्चों को समय ने बहुत कम उम्र में अपने लक्ष्य की ओर देखना सिखा दिया है।

चमोली के लंगासू का रहने वाला है नैनवाल परिवार
शहीद दीपक नैनवाल का परिवार मूलरूप से चमोली जिले की कर्णप्रयाग तहसील के धल कांचूला (लंगासू) का रहने वाला है। 1996 से यह परिवार देहरादून में रह रहा है। कश्मीर के कुलगाम में 11 अप्रैल 2018 की सुबह सैन्य ऑपरेशन के दौरान दीपक आतंकियों से लोहा लेते हुए गोली लगने से घायल हो गए थे। इसी दिन शाम को परिजनों को उनके घायल होने की सूचना मिली थी। जबकि, इसी दिन दीपक को घर छुट्टी पर आना था। घायल होने के बाद दीपक पहले दिल्ली और फिर पुणे स्थित सैन्य अस्पताल में भर्ती रहे। 20 मई 2018 को उन्होंने पुणे के सैन्य अस्पताल में अंतिम सांस ली।

पूरी कॉलोनी में दिखी ज्योति के अफसर बनने की खुशी
देहरादून। बीते शनिवार को पीओपी से लेकर रविवार तक ज्योति के घर पहुंचने तक उनके ससुराल में खुशी देखते ही बन रही थी। घर ही नहीं, बल्कि पूरी कॉलोनी में शहीद दीपक नैनवाल की पत्नी के सेना में अफसर बनने की खुशी झलक रही थी। घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। शहीद की मां पार्वती देवी की आंखें नम जरूर थीं, लेकिन जैसे ही बहू के अफसर बनने की लोग बधाई देते, भिगी आंखें खुशी से चमक उठतीं। शनिवार को ज्योति के हर्रावाला स्थित ससुराल में परिजनों ने टीवी पर लाइव पीओपी देखी। सास पार्वती देवी, देवर प्रदीप नैनवाल और हर्रावाला के लोगों ने ज्योति को टीवी पर कदमताल करते देखा। ससुर ऑनरेरी कैप्टन सीपी नैनवाल चेन्नई की पीओपी में शामिल होने गए थे। सास पार्वती बहू के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं। अफसर बनने के बाद बहू 21 दिन की छुट्टी पर घर आई हैं। ट्रेनिंग के दौरान कोरोना के चलते वे घर नहीं आ पाई थीं। शहीद के छोटे भाई प्रदीप कैग में सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी हैं। 2009 में वे उत्तराखंड पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। 2013 में उनका चयन, कैग के लिए हो गया था। प्रदीप कहते हैं कि उनके भाई ने देश की रक्षा के लिए शहादत दी। उनके पूरे परिवार को भाभी की हिम्मत और हौसले पर गर्व है।

सेना से रिटायर पिता बोले- हमें बहू के रूप में भी बेटा मिला
शहीद दीपक के पिता सीपी नैनवाल 10-गढ़वाल राइफल्स से ऑनरेरी कैप्टन रिटायर हैं। ‘हिन्दुस्तान’ से फोन पर नैनवाल ने बताया कि बहू ने दो बच्चों की मां होकर भी शारीरिक रूप से कठिन सैन्य प्रशिक्षण की चुनौती को पार किया। ओटीए के प्रशिक्षकों ने भी ज्योति को सराहा। ट्रेनिंग के दौरान ज्योति ने धैर्य नहीं खोया। चेन्नई में उनके शहीद बेटे दीपक की फर्स्ट महार रेजीमेंट के अफसर भी पहुंचे थे, उन्होंने भी ज्योति के सैन्य अफसर बनने पर खुशी जताई। नैनवाल कहते हैं कि उन्हें बेटे की जगह बहू मिली है। आम आदमी के आंसू बहते हैं, लेकिन फौजी को सैन्य प्रशिक्षण के दौरान घुटने और कुहनी से खून बहाना पड़ता है। फौजी बनना आसान नहीं, लेकिन ज्योति कड़ी चुनौतियों को पार किया। दीपक नैनवाल सेना की घातक प्लाटून का हिस्सा रहे थे और आठ साल जम्मू कश्मीर में सेवाएं दीं। सेना के लिए कई सफल ऑपरेशन किए।