उत्तराखंड में कभी भी तबाही ला सकता है 8 रिक्टर स्केल का भूकंप, वैज्ञानिक भी दे चुके हैं चेतावनी

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उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बड़े भूकंप का खतरा है। लगातार आ रहे छोटे छोटे भूकंप कभी भी एक बड़े और विनाशकारी भूकंप का रूप ले सकते हैं। बीती रात एक बार फिर से भूकंप की वजह से उत्तराखंड में धरती डोली। नेपाल में इस भूकंप की वजह से 6 लोगों की मौत हो गई।  पिछले लंबे समय से उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और बागेश्वर समेत तमाम पहाड़ी जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। वैज्ञानिक पहले ही चेता चुके हैं कि हिमालयी क्षेत्र पर बड़े भूकंप का खतरा मंडरा रहा है। भूगर्भ वैज्ञानिक, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक भी इस खतरें का पहले ही संकेत दे चुके हैं। कुछ वक्त पहले ही वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान संस्थान की रिसर्च में बड़ी बात सामने आई थी। वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उत्तराखंड में 8 रिक्टर स्केल तक के भूकंप का खतरा है। जमीन के अंदर असीमित ऊर्जा पनप रही है। भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक के मुताबिक इस ऊर्जा का आंकलन किया गया है। इसके लिए साल 1968 से अब तक आए भूकंपों का अध्ययन किया गया। साथ ही कहा गया कि इंडियन प्लेट भूगर्भ में 14 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की रफ्तार से सिकुड़ रही है। इस वजह से ऊर्जा का अध्ययन करना जरूरी था।वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में बड़े भूंकप की आशंका जाहिर की है। ये भूकंप 8 रिक्टर स्केल का भी हो सकता है। 

इसकी वजह है वो टैक्टोनिक प्लेट, जो धरती के नीचे मौजूद हैं और बड़े विनाश का सबब बन सकती हैं। उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है, जिसका बड़ा हिस्सा भूकंप के जोन नंबर 5 में आता है।अति संवेदनशील जोन 5 की बात करें तो इसमें रुद्रप्रयाग जिले के अधिकांश भाग के अलावा बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिले आते हैं। वहीं जो क्षेत्र संवेदनशील जोन चार में हैं उनमें ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा जिला शामिल है। देहरादून और टिहरी का क्षेत्र दोनों जोन में आता है।वैज्ञानिकों का कहना है कि नॉर्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट और अलकनंदा फॉल्ट में हर वर्ष भूगर्भीय हलचल से साढ़े 4 मिमी धरती उठ रही है। यह भविष्य में 8 रिक्टर स्केल तक का बड़ा भूकंप ला सकता है। भूगर्भीय सक्रियता के कारण श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच धरातल प्रति वर्ष 4 मिलीमीटर उठ रहा है