धर्म संसद में टिप्पणी: संत समाज असहमत, कहा- धर्म पर टिप्पणी व अभद्रता भाषा का प्रयोग उचित नहीं

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धर्मनगरी के खड़खड़ी स्थित वेद निकेतन में पिछले दिनों हुए धर्म संसद में समुदाय विशेष के खिलाफ की गई टिप्पणी पर संत समाज सहमत नहीं है। संतों कहना है कि किसी भी धर्म पर अनर्गल टिप्पणी करना संतों को शोभा नहीं देता है। भारतीय संस्कृति और सनातन सभ्यता सभी धर्मों केे सम्मान करने की सीख देती है।

हरिद्वार के खड़खड़ी स्थित स्थित वेद निकेतन में 17 से 19 दिसंबर तक विश्व धर्म संसद हुई थी। संसद में हरिद्वार सहित देशभर के संत शामिल हुए थे। धर्म संसद में कुछ संतों और उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी ने विवादित बयान दिया था। संतों ने हिंदुओं की रक्षा के लिए शास्त्र के साथ शस्त्र उठाने का आह्वान किया। धर्म संसद की वीडियो बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई।

देशभर में वायरल वीडियो की आलोचना हुई। इसके बाद हरिद्वार नगर कोतवाली पुलिस ने ज्वालापुर निवासी गुलबहार खां की शिकायत पर वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी समेत अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। धर्मनगरी के संतों का कहना है कि सनातन धर्म न कभी कमजोर था और न ही है। भविष्य में भी नहीं होगा। किसी के धर्म के बारे में अनर्गल टिप्पणी करने से संत समाज को परहेज करना चाहिए।

धर्म संसद में मैं शामिल नहीं था। मैं इस प्रकार के कार्यक्रमों से दूर ही रहता हूं। धर्म संसद में जिस तरीके से अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है वह उचित नहीं है।
– श्रीमहंत रविंद्र पुरी, अध्यक्ष अखाड़ा परिषद व सचिव निरंजनी अखाड़ा

इस तरह की बयानबाजी उचित नहीं है। समाज और धर्म विरोधी कोई टिप्पणी करने का कोई अधिकार किसी को नहीं है।
– श्रीमहंत रविंद्र पुरी, अध्यक्ष अखाड़ा परिषद, सचिव महानिर्वाणी अखाड़ा

हर आदमी की अलग-अलग सोच है। हमारा काम सनातन धर्म की रक्षा है। किसी दूसरे धर्म पर टिप्पणी करना नहीं है। हिंदू कभी कमजोर नहीं था और ना है। न कभी होने वाला है। यदि कुछ लोग ऐसी कल्पना कर रहे हैं तो यह उनका अपना एजेंडा हो सकता है।
– श्रीमहंत हरिगिरि, अंतरराष्ट्रीय संरक्षक जूना अखाड़ा

वाणी पर संयम होना बहुत ही जरूरी है। इस तरह से अभद्र भाषा का प्रयोग किसी को शोभा नहीं देता है।
– श्रीमहंत राजेंद्र दास, महामंत्री अखाडा परिषद व श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा अध्यक्ष

153-ए में दर्ज है मुकदमा
विश्व धर्म संसद में समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काने वाले भाषण देने के आरोप में वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी समेत अन्य संतों के खिलाफ नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है। मुकदमा धारा 153 ए में दर्ज है। आईपीसी की धारा 153 ए जिससे किसी धर्म, जाति एवं संप्रदाय अथवा किसी की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं और शांति में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इस धारा में आरोप सिद्ध होने पर तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी ने रखे थे तीन प्रस्ताव
धर्म संसद में वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी ने तीन प्रस्ताव रखे थे। इनमें एनआरसी सिर्फ विशेष समुदाय के लोगों के लिए लागू करने की मांग थी। धार्मिक कट्टता वाले संस्थानों को बंद करने और हाईस्कूल के बाद कॉमन शिक्षा लागू करने की मांग थी। रिवजी ने कहा था कि यह प्रस्ताव हिंदुत्व की आवाज हैं। धर्म संसद के पारित प्रस्तावों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा जाएगा।