उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाओं की फिर खुली पोल, चलती बस में हुई महिला की डिलीवरी

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Woman Delivered Child In Bus: मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे पहाड़ों पर स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर बदहाल हैं, इसका ताजा उदाहरण पौड़ी जिले से देखने को मिला जब एक महिला को समय रहते इलाज ना मिलने पर बस में ही अपने बच्चे को जन्म देना पड़ा। दरअसल पौड़ी जनपद के नैनीडांडा इलाके से कोटद्वार आ रही GMOU की बस में एक महिला की डिलीवरी हुई है। घटना बीते मंगलवार की है, जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नैनीडांडा पहुंची गर्भवती महिला को इसलिए रेफर कर दिया गया क्योंकि महिला का डिलीवरी टाइम निकल चुका था और अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की कोई व्यवस्था नहीं थी।

ऐसे में गर्भवती महिला अपने पति के साथ नैनीडांडा इलाके से कोटद्वार आ रही GMOU की बस में बैठ गई। 90 किलोमीटर का लंबा सफर तय कर महिला कोटद्वार बेस अस्पताल पहुंचने ही वाली थी कि अचानक से महिला को तेज लेबर पैन शुरू हो गया। महिला की हालत बिगड़नी शुरू हो गई ऐसे में बस में सवार दूसरी महिलाओं ने गर्भवती महिलाओं ने बस में ही डिलीवरी कराना मुनासिब समझा। मिली जानकारी के अनुसार बस को दुगड्डा रोड़ पर सिद्धबली मंदिर के पास रोक दिया गया। आननफानन में बस की सीट पर ही महिला को लिटा दिया गया और बस के अंदर ही महिला की डिलीवरी की गई।

इस दौरान बस में सवार यात्रियों ने 108 में कॉल कर एम्बुलेंस को भी बुला दिया था जिसके बाद 108 कि मदद से महिला और बच्चे को अस्पताल पहुंचाया गया। फिलहाल जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं और कोटद्वार बेस अस्पताल में भर्ती हैं। महिला के पति प्रेम सिंह ने बताया कि उनके पूरे इलाके में अल्ट्रासाउंड की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सभी को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए 100 किलोमीटर दूर कोटद्वार आना पड़ता है। घटना के बाद से जहां एक ओर बस में सवार यात्रियों की मानवता सामने आई है, वहीं दूसरी ओर पहाड़ो पर स्वास्थ्य सेवाओं के दावों की पोल भी सबके सामने खुल गयी है।