देहरादून: उत्तराखंड में जिला सहकारी बैंकों में हुई चौथी श्रेणी भर्ती घोटाले की जांच 9 महीने से पूरी नहीं हो पाई है। जिसके बाद ये मामला विभागीय मंत्री धन सिंह रावत के गले की फांस बनता जा है। अप्रैल महीने में कोऑपरेटिव बैंकों में भर्ती प्रक्रिया रोककर इसकी जांच के लिए विभागीय 3 सदस्य कमेटी का गठन किया गया था। कहा जा रहा था कि जिला कोऑपरेटिव बैंकों में सफेदपोश और अधिकारियों ने भाई भतीजावाद के जरिए भर्ती की। पहले दौर में देहरादून, पिथौरागढ़ और नैनीताल में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं की जांच की जा रही थी। जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है।
मामले में जब विभागीय मंत्री धन सिंह रावत से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 6 हजार से ज्यादा लोगों ने आवेदन किये थे, एक- एक पेपर को चेक करने में वक्त तो लगता ही है। दूसरी ओर, विपक्ष इस मामले पर सीधे-सीधे मंत्री को घेर रहा है। कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल कहते हैं कि मंत्री ही नहीं चाहते कि जांच रिपोर्ट सामने आए। 2 बार फाइल उन्होंने खुद लौटाई है। वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता ज्योति बिष्ट कहते हैं कि हर भर्ती घोटाले की तरह इसको भी दबाया ही जा रहा है। यहां यह भी बता दें कि पेपर लीक घोटाले के पहले से सहकारिता बैंक के भर्ती घोटाले की जांच चल रही है, लेकिन इसके बावजूद आज तक मामले में जांच कमिटी की रिपोर्ट सामने न आना अपने आप पर कई सवाल खड़े कर रहा है।