Chamoli की बेटी बनी पूरे भारत की प्रेरणा | The Rajneeti | Pritika Rawat Chamoli | NSS

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उत्तराखंड को अपनी बेटी पर नाज, राष्ट्रपति मुर्मू ने दिया सम्मान। चमोली की बेटी पूरे भारत की बन गई प्रेरणा, जी हां दोसेतो भीड़ से अलग निकलकर कुछ लोग मिसाल बन जाते हैं और जब वो मिसाल एक पहाड़ी बेटी बनाती है, तो पूरे प्रदेश का सिर गर्व से ऊँचा हो जाता है। Pritika Rawat Chamoli एक ऐसी ही प्ररणा देने वाली खबर लेकर आया हूं दोस्तो। दोस्तो चमोली की प्रीतिका रावत ने बढ़ाया मान, मिला प्रतिष्ठित मेरा भारत राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार। अपने उत्तराखंड के चमोली जिले की प्रीतिका — नाम भले ही छोटा हो, लेकिन काम ऐसा कि पूरे उत्तराखंड को गर्व है। NSS के मूल मंत्र ‘स्वयं से पहले आप’ को उन्होंने सिर्फ पहना नहीं, जिया है। सेवा, समर्पण और सामाजिक चेतना का ऐसा संगम बना है उनका सफर कि आज हर कोई कह रहा है — यही हैं असली नायक।

अब आप कह रहे होंगे कि मै किसा बात का जिक्र कर रहा हूं क्या किया है प्रीतिका ने? ने ऐसा, क्यों बन गई हैं वो NSS की पहचान? और कैसे एक साधारण सी छात्रा, बन गई पूरे राज्य की प्रेरणा? देश की प्रेरणा। चमोली जिले की प्रीतिका रावत ने उत्तराखंड वासियों को गर्व का एहसास कराया है। दोस्तो प्रीतिका को महिला सशक्तीकरण, सामुदायिक स्वास्थ्य, स्वच्छता अभियान, बाल शिक्षा, युवा सहभागिता और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में किए गए बेहतरीन कार्य के लिए प्रतिष्ठित मेरा भारत-राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) पुरस्कार (स्वयंसेवक श्रेणी) से सम्मानित किया गया है। ये सम्मान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में आयोजित विशेष समारोह में प्रदान किया। ये पुरस्कार राष्ट्रीय सेवा योजना के क्षेत्र में देशभर के श्रेष्ठ स्वयंसेवकों को दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मानों में से एक है, साथ ही आपको ये भी बता दूं कि वर्तमान में प्रीतिका रावत दिल्ली में नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एनएसयूटी), नई दिल्ली की एनएसएस इकाई से जुड़ी हैं। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावशाली पहल की है। उनके प्रयासों से कई समुदायों में सकारात्मक बदलाव आया, प्रीतिका रावत ने एनएसएस के मूल मंत्र “स्वयं से पहले आप” को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित पुरस्कार समारोह में उनके नेतृत्व और समर्पण को सराहा गया।

सम्मान मिलने पर प्रीतिका रावत ने कहा कि एनएसएस पुरस्कार पाना उनके लिए कभी न भूलने वाला पल है। यह केवल उनका नहीं बल्कि हर उस स्वयंसेवक का सम्मान है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए निःस्वार्थ भाव से काम करते हैं। उपलब्धि उनके गृह राज्य उत्तराखंड और विश्वविद्यालय दोनों के लिए गर्व का क्षण है। वहीं बेटी की उपलब्धि पर पिता बख्तावर सिंह रावत और माता बूदी रावत की खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं है, तो ये थी कहानी उत्तराखंड की बेटी प्रीतिका रावत की, जिन्होंने ‘स्वयंसेवक’ के उस उच्चतम दर्जे को हासिल कर न केवल अपने परिवार और राज्य का नाम रौशन किया, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए एक मिसाल कायम की। एनएसएस के मूल मंत्र ‘स्वयं से पहले आप’ को जीते-जागते उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए प्रीतिका ने यह साबित किया है कि अगर दिल में सेवा का जज्बा हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। दोस्तो में कई ऐसी ही प्ररणादायक खबरों को आपके लिए ले कर आता हूं। ताकि हम सब भी प्रेरणा लें, अपने आस-पास के समाज में बदलाव लाने की ठानीए और ‘स्वयंसेवक’ के रूप में कदम बढ़ाइए, क्योंकि समाज तभी मजबूत होगा, जब हर व्यक्ति अपने भीतर की शक्ति को पहचानकर दूसरों के लिए काम करेगा।