जी हां प्रदेश में सरकारी जमीन, वन विभाग की जामीन और न जाने कहां कहां पर बड़ा फर्जिवाड़ा कर कुछ लोग खेल करते रहे। शासन-प्रशासन आज तक सोता रहा। Uttarakhand big fraud exposed किसी ने भी जांच बैठाने की जहमत नहीं उठाई लेकिन अब अपने उत्तराखंड में बड़े फर्जिवाड़े से पर्दा उठा तो अब सीधे होगी बुलडोजर की कार्रवाई क्या गिराए जाएंगे सौ से ज्यादा मकान। दोस्तो उत्तराखंड में कई मामले ऐसे सामने हाल के दिनों में आए हैं जहां जहां ऐसा कुछ दिखा जैसा हलद्वानी के बनभुलपुर में देखने को मिला था। दोस्तो बनभुलपुर में कैसे दसकों पहले सरकारी जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा किया फिर पूरा कस्बा बस गया ये पूरे उत्तराखंड ने देखा और इस पर बवाल भी खूब हुआ, लेकिन अब जो खबर मै आपको बताने जा रहा हूं उस पर गौर कीजिएगा।
दोस्तो नैनीताल जिले के रामनगर के ग्राम पूछड़ी क्षेत्र में वन भूमि पर सालों से चले आ रहे अवैध कब्जों को हटाने के लिए अब प्रशासन पूरी तरह सख्त हो गया है। तराई पश्चिमी वन प्रभाग की इस भूमि पर लंबे समय से अवैध अतिक्रमण कर खेती की जा रही थी। इससे पहले भई वन विभाग द्वारा यहां अवैध कब्जों को चिन्हित किया गया था, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जिसका नतिजा ये रहा कि अवैध कब्जे का दायारा बढ़ता गया। दोस्तो मामले को लेकर कुछ लोगों द्वारा हाइकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है, जो फिलहाल विचाराधीन है। दोस्तो इस खबर को कुछ इस तरह से आप समझ सकते हैं। कुछ साल पहले तराई पश्चिमी वन प्रभाग ने रामनगर नगर पालिका को कूड़ा निस्तारण यानी ट्रेंचिंग ग्राउंड के लिए लगभग एक हेक्टेयर भूमि उपलब्ध कराई थी। इसके बदले नगर पालिका द्वारा वन विभाग को लगभग एक करोड़ रुपये की धनराशि भी दी जा चुकी है। इसके बावजूद आज भी उस भूमि पर कई लोगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर खेती की जा रही है, जिससे सरकारी योजना भी प्रभावित हो रही है लेकिन अब दोस्तो प्रशासन का शिकंजा कसा जा चुका है राजस्व विभाग, पुलिस प्रशासन और नगर पालिका की संयुक्त टीम ने मौके पर पहुंचकर पूरे क्षेत्र का व्यापक सर्वे किया है। सर्वे के दौरान ड्रोन कैमरे की मदद से अवैध कब्जाई गई भूमि को चिन्हित किया गया।
दोस्तो जैसे ही यहां प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंची, अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मच गया और कुछ लोगों की अधिकारियों से हल्की नोकझोंक भी देखने को मिली। पहले चरण में नगर पालिका को दिए गए ट्रेंचिंग ग्राउंड की भूमि से अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई की जाएगी, इसको लेकर अधिकारियों के बीच लंबी रणनीतिक बैठक भी हुई है। इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक बताते हैं कि कि साल 2024 में वन भूमि पर अवैध कब्जे के आरोप में कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसकी जांच अभी जारी है। सरकार के निर्देश पर पूरे प्रकरण की जांच के लिए एसआईटी का गठन भी किया गया है। जांच में यह सामने आया है कि कुछ लोगों ने कूट रचित दस्तावेजों के जरिए भोले-भाले लोगों को गुमराह कर जमीन बेहद सस्ते दामों में बेच दी। दोस्तो इतना ही नहीं प्रशासन की ओर से इस क्षेत्र के 137 मकानों को अवैध मानते हुए मुनादी की कार्रवाई की गई जिसके बाद स्थानीय निवासियों में बेघर होने का डर साफ देखा गया। ग्रामीणों का कहना है कि वे सालों से यहां रह रहे हैं और अचानक की जा रही कार्रवाई से उनके परिवार सड़क पर आ जाएंगे। वहीं प्रशानिक अधिकारियों का कहना कि 2024 में सरकारी भूमि को स्टांप पर खुर्द-बुर्द करने के मामले में 5 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। जांच में सरकारी जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त के साक्ष्य मिले हैं और जिन 5 लोगों के नाम सामने आए हैं उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया जारी है। बताया जा रहा है कि प्रशासन जल्द ही अगला कदम उठाने वाला है और किसी भी समय बुलडोजर चल सकता है जिसके चलते क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है। अब प्रशासन की इस कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं कि वास्तव में अवैध कब्जे कब और कैसे हटाए जाएंगे। गौर हो कि वन विभाग की 1 हजार हेक्टेयर भूमि पर लगभग 500 से ज्यादा परिवारों का कब्जा है।