उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बयान पर उपजा विवाद, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहीं ये बातें

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उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। कांग्रेस के एक नए नेता के विश्वविद्यालय बनाने के बयान के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उत्तराखंड में मुस्लिम विश्वविद्यालय बनाने पर कांग्रेस देवभूमि में तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। सीएम ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस हमेशा से ही तुष्टीकरण की राजनीति करती आई है।

कांग्रेस की पिछली सरकार के कार्यकाल में भी तुष्टीकरण की राजनीति देखने को मिली थी, जब शुक्रवार को छुट्टी करने की घोषणा की गई थी और अब कांग्रेस चारधाम की बात कर रही है। कहा कि कभी चारधाम तो कभी मुस्लिम यूनिवर्सिटी से कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ वोटरों को लुभाने में जुटी हुई है। जबकि, हकीकत यह है कि उत्तराखंड के वोटर कांग्रेस की हर चाल को अच्छी तरह से जानते और समझते हैं।

कांग्रेस महासचिव अकील अहमद के बयान के साथ ही  विवाद की शुरुआत हुई, जब उन्होंने सहसपुर विधानसभा सीट से अपना नामांकन वापस लेने के लिए पार्टी के सामने कुछ शर्तें रखीं, जिसमें उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी स्थापित करना भी था। उन्होंने दावा किया कि था कि उन्हें दो-तीन दिन के अंदर कांग्रेस का प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी भी दी जाएगी। अकील ने कहा था कि पूर्व सीएम हरीश रावत ने उन्हें भरोसा दिया था कि कांग्रेस की सरकार बनते ही उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी

बीजेपी ने फेसबुक पर अकील अहमद का वीडियो जारी कर कहा कि जो देवप्रयाग में संस्कृत विश्वविद्यालय नहीं बनाने देते वह लोग अब उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की बात कर रहे हैं। अकील अहमद  के बयान के बाद उपजे विवाद को देखते हुए अहमद ने यू-टर्न लेकर कहा कि उन्होंने संगठन के सामने मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की बात रखी थी, लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत ने इसपर कुछ प्रतिक्रिया नहीं की थी।

‘उत्तराखंड में 18 फीसदी आबादी मुस्लिम है और अगर वह मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की बात करते हैं तो इसमें गलत क्या है? मैंने हरीश रावत से नहीं बल्कि मोहन प्रकाश से बात की थी’ अहमद। 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड में 13.9 फीसदी मुस्लिम आबादी है, हरिद्वार और यूएस नगर जिले के तराई शामिल हैं, जो कि 34 और 22 फीसदी हैं।

कांग्रेस प्रदेश महासचिव मथुरादत्त जोशी ने कहा संगठन की ओर से ऐसे किसी भी मांग पर समर्थन नहीं दिया गया है। कहा कि बीजेपी बिना बात के मामले को तूल  दे रही है ताकि चुनाव में बीजेपी को इसका लाभ मिल सके। अकील अहमद ने पार्टी के सामने सिर्फ मांग रखी है और पार्टी की ओर से इसपर कोई भी फैसला नहीं लिया गया है।