हरीश, प्रीतम और गोदियाल पर गुटबाजी की गाज, कांग्रेस हाईकमान ने दिखाई सख्ती

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प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और विधायक दल के उपनेता की नियुक्ति के चौंकाने वाले फैसले का आधार कांग्रेस के स्थानीय नेताओं की गुटबाजी बनीं। कांग्रेस हाईकमान का मानना है कि प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार की वजह स्थानीय छत्रपों की आपसी गुटबाजी और अपने ही प्रत्याशियों को हराने का प्रयास करना रहा है।  इस वजह से रावत की अध्यक्ष  और नेता प्रतिपक्ष पद पर अपनी पसंद के व्यक्ति को देखने की हसरत पूरी नहीं हो पाई।

और नेता प्रतिपक्ष पर दोबारा मजबूत दावेदारी के बावजूद हाईकमान ने प्रीतम को भी किनारे लगा दिया । सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने गुटबाजी को लेकर हाईकमान की नाराजगी की बात प्रदेश के नेताओं को साफ तौर बता भी दी है। इसकी तस्दीक पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भी की। उन्होंने कहा कि मुझे शीर्ष नेताओं ने गुटबाजी को हार की मुख्य वजह बताया।

जी भर के देखा और न कुछ बात की…
न जी भर के देखा न कुछ बात की, बड़ी आरजू थी मुलाकात की..प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अपने जीजा पूर्व सीएम हरीश रावत से मिलने गए करन माहरा को कुछ यूं ही मंजर देखने को मिला। बड़ी मुश्किल से तीन से चार मिनट की मुलाकात में न तो दोनों ने एक साथ फोटो ही खिंचाई और न ही कोई बयान दिया।

चेहरे के भाव भी ऐसे नहीं थे जिनसे गर्मजोशी नजर आती हो। करन सुबह करीब 10 बजे रावत के ओल्ड मसूरी रोड स्थित आवास आ गए थे। मीडिया ने जब रावत से नई नियुक्तियों पर टिप्प्णी चाही तो रावत ने मुस्कुराते हुए कहा कि, नो थैक्यूं। बस हो गया। अब तो नए लोगों से ही कमेंट लिया जाना चाहिए।

हम लोग तो पुराने गुड़ और चावल हो चुके हैं। जो कभी कभी ही काम आते हैं। थैंक्यू कहकर करन को कमरे में अकेला छोड़कर रावत चले गए। करन इसके बाद गणेश गोदियाल के घर पहुंचे। गोदियाल ने उन्हें गले लगाते हुए गुलदस्ता दिया। बंद कमरे में गुफ्तगू भी की।

जानबूझकर बढ़ा रहे झगड़ा: माहरा 
कांग्रेस के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि कांग्रेस पदाधिकारियों की घोषणा के बाद कुछ लोग जानबूझकर गढ़वाल और कुमाऊं के झगड़े को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। सचिवालय के बाहर मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए करन माहरा ने कहा कि राज्य को उत्तराखंडियत के साथ देखे जाने की जरूरत है।

माहरा ने कहा कि उनके प्रतिद्वंद्वी अजय भट्ट चार साल तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों ही रहे लेकिन यह सवाल नहीं उठाया गया। त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री काल में गढ़वाल से ही मदन कौशिक प्रदेश अध्यक्ष रहे तब किसी ने यह बात नहीं उठाई। लेकिन अब जानबूझकर इस तरह की बातों को उछाला जा रहा है।