कोरोना की मार झेल चुके ड्राइवरों-कंडेक्टरों को कैसे मिलेगी आर्थिक मदद?

Share

सर, कोरोना के लॉकडाउन के दौरान मेरी नौकरी चली गई थी। नौकरी न रही। पोर्टल पर गाड़ी का नंबर भी भरना था। जब गाड़ी ही हट गई थी तो फिर किसका नंबर भरता ? हरिद्वार के ड्राइवर जितेंद्र कुमार भी उन लोगों में हैं, जिन्हें सीएम आर्थिक सहायता योजना का लाभ नहीं मिल पाया। न केवल जितेंद्र कुमार बल्कि ऐसे तमाम लोग हैं, जो जानकारी के अभाव और छोटी छोटी गलतियों की वजह से सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना से वंचित रह गए।

ड्राइवर-कंडक्टर-क्लीनर और वाहन चालक संगठनों ने आर्थिक सहायता मिलने में हो रही परेशानी के बारे में बताया। सभी ने एक सुर में सीएम की पहल का तो स्वागत किया लेकिन समय पर जानकारी न मिलने और पेचीदगियों पर नाराजगी भी जाहिर की। कहा दोबारा आवेदन का मौका मिलना चाहिए।

हरिद्वार:कोरोना में नौकरी छिनी,  सहायता से भी चूके
सीएम आर्थिक सहायता पाने से महरूम कई लोगों पर कोरोना की वजह से दोहरी मार पड़ी है। कोरोना लॉकडाउन की वजह से कई ड्राइवर-कंडक्टर की नौकरी चली गई थी। आवेदन भरते वक्त जब पोर्टल ने गाड़ी का विवरण मांगा तो वो लोग उस कॉलम को भर ही नहीं पाए। इससे उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। ड्राइवर जितेंद्र कुमार ने बताया कि मैंने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना शुरू किया तो वहां गा़ड़ी का नंबर मांगा गया। लॉकडाउन 2020 से ही गाड़ी छूट जाने से मैं तो बेरोजगार हो चुका हूं, भला क्या नंबर भरता। ड्राइवर अजय सिंह ने बताया कि उन्होंने सभी पेपर लगाए लेकिन रजिस्ट्रेशन रिजेक्ट हो गया।

नई टिहरी:त्रुटियों को सुधारने का मौका मिले
चंबा टैक्सी यूनियन के सचिव अनिल बेलवाल का कहना है कि जो वाहन चालक व स्वामी राहत पाने से छूटे हैं। उनको सहायता राशि देने के लिए पोर्टल को दस दिनों के लिए खोला जाना चाहिए। इससे उन्हें आवेदनों में सुधार करने का मौका मिल जाएगा। कोरोना प्रभावित सभी वाहन स्वामियों व चालकों को सहायता राशि मिलनी चाहिए। जिन्हें नहीं मिली है वे अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। वाहन चालक महेंद्र खड़का का कहना है कि बैंक का आईएफएससी कोड गलत हो जाने के कारण उन्हें अब तक राहत राशि की पहली किश्त नहीं मिल पाई है। कहना है कि कोरोना काल की मार झेलने वाले हर वाहन चालक व स्वामी तक मदद की राशि पहुंचनी चाहिए।

नैनीताल:पर्यटन विभाग: दो महीने से अटके आवेदन
सीएम आर्थिक सहायता योजना में नैनीताल जिले से 5650 लोगों का ही पंजीकरण हुआ है। इस योजना से जिले के अभी करीब 40 फीसदी चालक और क्लीनर वंचित हैं। ऑटो रिक्शा चालक राकेश शर्मा और मोहित ने बताया उन्हें योजना की जानकारी नहीं थी। इसलिए आवेदन नहीं कर पाए। मंगल पड़ाव ऑटो यूनियन के उपाध्यक्ष विजय सुयाल ने बताया की सिर्फ 40 फीसदी ऑटो रिक्शा चालकों का पंजीकरण हुआ है। करीब 20 फीसदी लोगों को पहली किश्त मिल गई है। टैक्सी चालक पुनीत शाह बताते हैं कि को राहत देने की घोषणा के बाद उनके द्वारा बीते दो माह पहले पर्यटन विभाग में अपना नाम दर्ज करवाया था लेकिन आज तक मदद नहीं मिली।

श्रीनगर:छोटी त्रुटियों पर रिजेक्ट कर दिए आवेदन
श्रीनगर पर्वतीय टैक्सी-मैक्सी एसोसिएशन से जुड़े ड्राइवर राजेन्द्र सिंह और देवेन्द्र रावत का कहना है कि उन्हें तो पता ही चला कि कब आवेदन करना है। यदि समय पर जानकारी मिल जाती तो भला क्यों नहीं अर्जी लगाते। सरकार को दोबारा इस पोर्टल को खोलना चाहिए। अलकनंदा जीप-कमांडर एसोसिएशन के अधीन पुरुषोत्तम सिलोडी और महिप डोबरियाल ने बताया कि बैंक खाता नंबर गलत होने की वजह से उनका आवेदन रिजेक्ट हो गया। अलकनंदा जीप कमांडर एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेन्द्र रावत  और पर्वतीय टैक्सी-मैक्सी एसोसिएशन के सचिव महावीर बहुगुणा ने कहा कि आर्थिक सहायता से लेने से चूके लोगों के लिए दोबारा आवेदन करने का मौका मिलना चाहिए।

रुद्रपुर:दस्तावेज न होने से छूट गए 
रुद्रपुर। सरकार की आर्थिक योजना के तहत रुद्रपुर में 2000 आवेदन आरटीओ ऑफिस में जमा हुए थे। मगर दस्तावेज जमा न होने के चलते दिक्कते आई हैं। कुछ लोगों को दस्तावेज पूरे न होने की वजह से रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। ड्राइवर सुधीर कहते हैं कि मैंने आवेदन जमा किया था, लेकिन उसका लाभ अभी नहीं मिल सका है। हमारे साथी लोगों के पास 2000 आये हैं। डेट निकल जाने के चलते मुझे इसका फायदा नहीं मिल सका।

कोरोना की वजह से प्रदेश का हर क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। पर्यटन-परिवहन सेक्टर की तो कमर ही टूट गई है। उस लिहाज से सरकार की ओर से दी जा रही आर्थिक सहायता ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही है। लेकिन फौरी राहत के लिए सभी को इसका लाभ मिलना चाहिए।
प्रीतम सिंह, नेता प्रतिपक्ष

सरकार की कोशिश है कि हर ड्राइवर, कंडक्टर और क्लीनर को छह महीने तक दो दो हजार रुपये की आर्थिक सहायता मिले। जिसप्रकार लोगों तक इस योजना का लाभ न मिलने की बात आ रही है, वो गंभीर विषय है। मैं एक और मौका देने के लिए सीएम से बात करूंगा।
सुबोध उनियाल, शासकीय प्रवक्ता