यूपी-उत्तराखंड के साथ परिसंपत्ति बंटवारे के फार्मूले को रोडवेज में भी विरोध शुरू हो गया। यूपी से बाजार भाव से परिसंपत्तियों के बंटवारे के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट से केस वापस से इंकार कर दिया। यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि यूपी से बाजार भाव से 700 करोड़ रुपये का भुगतान होने तक कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि परिसंपत्ति मामले से जुड़े केस में सरकार और रोडवेज की भूमिका नहीं है।
यह है मामला
यूपी और उत्तराखंड के बीच रोडवेज की चार बेशकीमती परिसंपत्तियों का बंटवारा भी वर्ष 2003 से लंबित हैं। कानपुर वर्कशाप, लखनऊ मुख्यालय और अजमेरी बस अड्डे का बंटवारा होना है। हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को कार्यवाही के निर्देश दिए थे। केंद्रीय परिवहन सचिव ने दोनों राज्यों के साथ बैठक कर बाजार भाव से हिस्सेदारी देने के निर्देश दिए। पर, इस आदेश के खिलाफ यूपी रोडवेज ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है।
यूपी में स्थित संपत्तियों का बाजार भाव से मूल्य 50 हजार करोड़ बैठता है। राज्य के 13.34 प्रतिशत हिस्से के अनुसार सात से आठ सौ करोड़ मिलने चाहिएं। 205 करोड़ रुपये पर सहमति मान्य नहीं है।
अशोक चौधरी, प्रदेश महामंत्री-रोडवेज कर्मचारी यूनियन
त्तराखंड और यूपी के साथ पिछले 21 साल से उलझे हुए मामलों को मुख्यमंत्री ने समाधान निकाला है। कांग्रेस को इस पर आपत्ति है कि आखिर समाधान हो कैसे गया। परिसंपत्ति बंटवारे पर दोनों राज्यों के बीच फैसले राज्यहित में हैं।
मदन कौशिक, प्रदेश अध्यक्ष-भाजपा
प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड के हितों को पूरी तरह से यूपी के पास गिरवी रख दिया है। कांग्रेस इस फार्मूले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी। मैंने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ बातचीत की है। जल्द ही कार्यवाही शुरू की जाएगी।
हरीश रावत, पूर्व सीएम