दिवाली की रात दून में हुई आतिशबाजी के बाद वातावरण में छाए धुएं और धूल के कण से फिलहाल लोगों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, दस नवंबर तक उत्तराखंड में बारिश के आसार नहीं हैं। इस दौरान मौसम पूरी तरह शुष्क बना रहेगा। इस समय बारिश की दरकार है।अधिक समय तक मौसम शुष्क रहने से त्वचा और सांस से जुड़ी परेशानियां बढ़ सकती हैं। वातावरण में छाई धुंध को साफ करने के लिए बारिश की जरूरत है।
न दिखने वाले धूल के कण, बारूद के धुएं से धुंध की स्थिति बनती है, जिसे बारिश ही खत्म कर सकती है। पिछले एक हफ्ते से उत्तराखंड के बड़े हिस्से में बारिश नहीं हुई है और नमी की मात्रा में भी कमी आई है। सुबह-शाम ओस जरूर पड़ रही है, पर धुएं के पार्टिकल के प्रभाव को खत्म करने के लिए बारिश होनी जरूरी है।
नमी कम होने से त्वचा भी खुश्क होती है। ऐसे में त्वचा से जुड़े रोग दिक्कतें खड़ी कर सकते हैं। धुएं के कण हवा में मौजूद रहने से सांस से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। खासकर, अस्थमा के मरीजों के लिए यह स्थिति परेशानी वाली होती हैं। मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बारिश-बर्फबारी तो हो सकती है। लेकिन निचले पर्वतीय और मैदानी इलाकों में फिलहाल बारिश नहीं है। अधिक लम्बी अवधि तक बारिश न होना दिक्कत पैदा करता है।
दमघोंटू धुएं से सांस के मरीजों की मुश्किलें बढ़ीं
दून में दिवाली पर इस बार भले पटाखे कम फूटे हों, पर दमघोंटू धुएं ने सांस के मरीजों को मुश्किल में डाल दिया। दून अस्पताल, कोरोनेशन अस्पताल और श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल में कई मरीजों को भर्ती करना पड़ा। दून अस्पताल में सांस एवं दमा रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकित अग्रवाल ने बताया कि बुजुर्गों और बच्चों को प्रदूषण से ज्यादा परेशानी होती है। पटाखों का धुआं अस्थमा के मरीजों को बेहद परेशान करता है। यह फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकता है, जिससे फेफड़े अपना काम ठीक से नहीं कर पाते।
पटाखों के धुएं की वजह से अस्थमा के मरीजों को अस्थमा का अटैक हो सकता है। गुरुवार रात 12 मरीज सांस की समस्या लेकर आए। इनमें से दो को भर्ती किया गया। उधर, कोरोनेशन के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट ने बताया कि सांस के कुछ मरीज आए थे, उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया। सांस के मरीज सर्दी के सीजन में अपना खास ख्याल रखें।
देहरादून में खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण
दिवाली की रात उत्तराखंड में वायु प्रदूषण बढ़ा। दून-हरिद्वार में यह खतरनाक स्तर पर दर्ज किया गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शुक्रवार को छह प्रमुख शहरों के आंकड़े जारी किए। इसके अनुसार, दून, ऋषिकेश और हल्द्वानी में पिछले साल के मुकाबले प्रदूषण बढ़ा है। जहां पिछली दिवाली दून में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 317 था, वो इस दिवाली 327 दर्ज किया गया। दून में सबसे ज्यादा प्रदूषण घंटाघर पर दर्ज किया गया, जहां एक्यूआई 348 रहा। यह बेहद खतरनाक है और इससे सामान्य लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
नेहरू कॉलोनी में एक्यूआई 306 रहा। ऋषिकेश में पिछली दिवाली एक्यूआई 198 था, जो इस बार 257 हो गया। इसी तरह हल्द्वानी में पिछली दिवाली पर एक्यूआई 217 था, जो इस दिवाली 251 दर्ज किया गया। हरिद्वार में एक्यूआई 321 दर्ज किया गया, जो पिछली दिवाली की तुलना में कम तो है, लेकिन पिछले एक साल के प्रदूषण स्तर से ज्यादा है। पीसीबी के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि के अनुसार, प्रदूषण स्तर 300 से ज्यादा होना बेहद खराब श्रेणी में आता है।
प्रदूषण में दस अंकों की बढ़ोतरी
इस बार प्रमुख शहरों में दिवाली पर प्रदूषण बढ़ना चिंताजनक है। क्योंकि, कोविड कफ्र्यू के चलते वायु बेहद साफ हो चुकी थी, लेकिन अचानक प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाने से विशेषज्ञ भी चिंतित है। सुबुद्धि के अनुसार, इस बार पटाखों पर प्रतिबंध न होना प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह है।
एयर क्वालिटी इंडेक्स
शहर 2020 2021
देहरादून 317 327
ऋषिकेश 198 257
हरिद्वार 352 321
काशीपुर 314 267
हल्द्वानी 297 251
रुद्रपुर नहीं मापा 263
एक्यूआई श्रेणी
00-50 : अच्छा
51-100 : संतोषजनक
101-200 : हल्का खराब
201-300 : खराब
301-400 : बहुत खराब
401 प्लस : गंभीर