जी हां दोस्तो आपने कई तरह के घोटाले, घपले अपने प्रदेश में आज तक देखें होगें लेकिन अब जो घोटाला में आज लेकर आया हू। इसने सोचने पर मजबूर कर दिया किया, क्या ऐसे भी घपलेबाजी कर कोई सालाों तक नौकरी कर सकता है। Big scam in the education department वो एक नहीं कई ऐसे फर्जी लोग जो असल और काबिल लोगों का हक मारकर चांदी काटते रहे लेकिन अब जब शिक्षा विभाग के इस घोटाले से पर्दा उठा है तो कैसे मचा है हड़कंप और कितने लोग हैं जिनकी नौकरी ही खतरे में नहीं है। उनको सीधे जेल भी होगी। दोस्तो शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला हो गया किसी को कानों कान खबर तक नहीं लगी। शिक्षक तो शिक्षक यहां तो प्रधानाध्यापक भी खेल कर कर गए। दोस्तो उत्तराखंड के विद्यालयी शिक्षा विभाग में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी पाने का मामला तेजी से तूल पकड़ रहा है। सालों से दबे इस मुद्दे पर अब विभाग की नींद खुल गई है बल, क्योंकि मामला सीधे कोर्ट तक पहुंच चुका है। विभाग ने माना है कि कई शिक्षकों ने फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी हासिल की, जिसके बाद अब 52 शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई। दोस्तो शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेजों से नौकरी हासिल करने के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं, लेकिन दिव्यांग आरक्षण के दुरुपयोग का ये प्रकरण सबसे गंभीर माना जा रहा है। विभागीय जांच में कई प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए गए हैं। आरोप है कि कुछ शिक्षकों ने असल में दिव्यांग न होते हुए भी दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाकर नियुक्ति प्राप्त की।
दोस्तो ये मामला तब खुला जब वास्तविक दिव्यांग जन इस धोखाधड़ी की शिकायत लेकर न्यायालय पहुंचे। न्यायालय आयुक्त दिव्यांगजन ने शिक्षा विभाग से उन सभी शिक्षकों की सूची मांगी जिनके प्रमाण पत्र पहले ही संदिग्ध पाए गए थे। इसके बाद विभाग ने तेजी दिखाते हुए 52 शिक्षकों को 15 दिन में जवाब देने के नोटिस जारी कर दिए। इसके अलावा 2 साल से कार्रवाई की मांग के बावजूद विभाग द्वारा कोई ठोस कदम न उठाए जाने पर दिव्यांग संगठनों ने भी नाराजगी जताई। दोस्तो सबसे बड़ा सवाल ये है कि मेडिकल बोर्ड ने संदिग्ध मामलों में प्रमाण पत्र जारी कैसे कर दिए? विभागीय जांच में प्रमाण पत्रों की प्रामाणिकता पर सवाल खड़े हुए हैं, लेकिन मेडिकल बोर्ड की जवाबदेही अब भी तय नहीं हो पाई है। इधर दोस्तो विद्यालयी शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने साफ कहा कि फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का लाभ उठाने वालों पर कठोर कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि निदेशक माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति गठित हो चुकी है। ये समिति केस-टू-केस आधार पर सभी प्रमाण पत्रों की गहन जांच करेगी। रिपोर्ट मिलने के बाद दोषी पाए जाने वाले शिक्षकों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई होगी। दोस्तो जरा इन आकड़ों पर गौर कीजिएगा, आयुक्त दिव्यांगजन द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची में कुल 52 शिक्षक शामिल हैं, जिसमें 2 प्रधानाध्यापक, 21 प्रवक्ता, 29 सहायक अध्यापक शिक्षक शामिल हैं।
दोस्तो इनमें से 20 प्रवक्ता और 9 सहायक अध्यापक अपना जवाब विभाग को सौंप चुके हैं। शिक्षा मंत्री ने संकेत दिए कि ये जांच केवल इन 52 शिक्षकों तक सीमित नहीं रहेगी; विभाग अन्य कार्मिकों के प्रमाण पत्रों की भी पृथक जांच करेगा। दिव्यांगता प्रमाण पत्र का गलत लाभ उठाने वालों पर कठोर कार्रवाई होगी। जल्द ही जांच रिपोर्ट के आधार पर सख्त कदम उठाए जाएंगे। ये उमीद हर कई कर रहा है। दोस्तो राज्य के विद्यालयी शिक्षा विभाग में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी पाने का मामला अब कोर्ट तक पहुंच चुका है। विभाग की जांच में 52 शिक्षकों के नाम संदिग्ध पाए गए हैं। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने सख्त चेतावनी दी है कि दोषियों को नहीं छोड़ा जाएगा और जल्द ही कठोर कार्रवाई की जाएगी, तो ये थी उत्तराखंड शिक्षा विभाग की बड़ी जांच की खबर। फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के इस मामले में 52 शिक्षक जांच के दायरे में हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने साफ कर दिया है कि कोई भी गलत कदम बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, हम इस मामले पर नजर बनाए रखेंगे और जैसे ही नई जानकारी मिलेगी, आपको तुरंत अपडेट देंगे।