उत्तराखंड में अधर में लटकी! करोड़ों की कैथ लैब | Dehradun News | CM Dhami | Uttarakhand News

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आज की बड़ी खबर सुशीला तिवारी अस्पताल से जुड़ी है, जहां बन रही उत्तराखंड की पहली कैथ लैब अब सवालों के घेरे में है। करीब 9 करोड़ की लागत से बन रही इस हाई-टेक मेडिकल फैसिलिटी के निर्माण कार्य पर खुद बीजेपी सांसद अजय भट्ट ने गंभीर आरोप लगाए हैं। Sushila Tiwari Hospital उन्होंने निर्माण की घटिया गुणवत्ता को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है। क्या है ये पूरा मामला क्यों एक एक सांसद ने अपनी ही सरकार के काम पर उठा दिए सवाल सब बताउंगा, और क्यों इस कैथ लैब के निमार्ण में हो रही लापरवाही, भी बताउंगा। दोस्तो छत से टपकता पानी, दीवारों में दरारें और अधूरा पड़ा निर्माण — ये किसी आम इमारत की नहीं, कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल में बन रही उस कैथ लैब की तस्वीर की बात हो रही है। जहां भविष्य में हृदय रोगियों का इलाज होना है, वैसे अभी काम हो जाता तो अभी इलाज होना शुरू हो जाता, लेकिन हिलाहवाली, लेटलतीफी और तमाम सवालों घेर में जनता के लिए बन रही ये कैथ लैब अधर में अटग गई, और ये बात कोई और कहता थो चल जाता।

पूर्व केंद्रीय मंत्री नैतीताल से बीजेपी के सांसद अजय भट्ट इस पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। उन्होंने तो सवाल कर दिया कि क्या मंडी परिषद जैसी एजेंसी इस हाई-टेक प्रोजेक्ट को संभालने में सक्षम थी? और अगर नहीं, तो उसे ये जिम्मेदारी क्यों दी गई? दगड़ियो ये बात हो रही है कुमाउं के सबसे बड़े अस्पताल सुशीला तिवारी अस्पताल की, बीजेपी सांसद अजय भट्ट ने सुशीला तिवारी अस्पताल में बन रही उत्तराखंड की पहली कैथ लैब को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। भट्ट ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा है। साथ ही उन्होंने मंडी परिषद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की है। सांसद अजय भट्ट ने कहा करीब 9 करोड़ रुपये की लागत से बन रही यह कैथ लैब कुमाऊं मंडल के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के साथ मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने एमओयू किया था। दावा किया गया था कि डेढ़ वर्ष के भीतर यह कैथ लैब पूरी तरह क्रियाशील हो जाएगी, लेकिन आज तक काम अधूरा है। यहां घटिया निर्माण साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने बताया मंडी परिषद को इसके निर्माण का जिम्मा दिया गया। 2 करोड़ 39 लाख रुपये की धनराशि भी उपलब्ध कराई गई। बावजूद इसके निर्माण कार्य की गुणवत्ता इतनी निम्नस्तरीय है। मेडिसिन आईसीयू की छत पर खड़ा ढांचा डायलिसिस सेंटर, माइनर ओटी और इमरजेंसी वार्ड तक टपकने लगा है। कई जगह दरारें आ गई हैं। छत से पानी रिसने की शिकायतें मिल रही हैं।

इतना ही नहीं दोस्तो अजय भट्ट ने कहा उन्होंने तीन बार स्वयं मंडी परिषद से इस कार्य को जल्द पूरा करने का आग्रह किया। अस्पताल परिसर में जाकर निरीक्षण भी किया। उस समय मंडी परिषद ने जल्द कार्य पूरा करने का आश्वासन दिया, लेकिन आज भी स्थिति जस की तस है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने भी कई बार मंडी परिषद को नोटिस जारी किया। उसके बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ है। यहां भट्ट ने सवाल उठाया कि क्या मंडी परिषद जैसी एजेंसी इस तरह की हाई-टेक मेडिकल सुविधाओं के निर्माण में विशेषज्ञ है? जब उनके पास इस तरह का अनुभव ही नहीं है तो फिर उन्हें निर्माण कार्य क्यों सौंपा गया? उन्होंने कहा यहां किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। उन्होंने मुख्यमंत्री धामी से पत्र लिखकर अनुरोध किया कि मंडी परिषद की घोर लापरवाही के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। यदि आवश्यक हो तो निर्माण कार्य किसी दूसरी सक्षम एजेंसी को सौंपा जाए। भट्ट ने कहा कुमाऊं-गढ़वाल के दूरस्थ इलाकों से मरीज बड़ी उम्मीद लेकर हल्द्वानी आते हैं।

कैथ लैब का निर्माण पूरा होने से यहां के मरीजों को भटकना नहीं पड़ेगा। दोस्तो तो क्या उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था और युवाओं का भविष्य खतरे में है? कैथ लैब में घटिया निर्माण का पर्दाफाश करते हुए बीजेपी सांसद अजय भट्ट ने ने सीएम को लिखा सख्त पत्र दिया। क्या मंडी परिषद के भरोसे नहीं बन पाएगी कुमाऊं की हाई-टेक स्वास्थ्य सुविधा? ये इसलिए कि क्योंकि इस योजना से जिस लैब से सीधे जनता से सरकार हो वहां लापरवाही, उस काम में लेट लतीफी क्या सरकार भी इस पूरे मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है। अब जब 2. 9 करोड़ की कैथ लैब अधर में लटक जाए और जो काम हुआ है उससे सांसद महोदय ही संतुस्ट नहीं होंगे। छत से टपकता पानी और दरारें सब कुछ बयां कर रही हों तो क्या अब इन छत के छेद और दरारों से रिस रहा पानी मरीजों की उम्मीदों पर फेर जाएगा पानी? वो तमाम सवाल हैं अब उत्तराखंड के मुख्यंत्री अपने ही सांसद कि इस आपत्ति में क्या और कितना संज्ञान लेते है। वैसे किसी भी काम को पूरा कराने का जिम्मा सांसद से लेकर सरकार सबका होता है, तो ऐसे में क्यों सांसद अजय भट्ट को मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखनी पड़ रही है ये भी अपने आप में बड़ा सवाल है।