करोड़ों की मालकिन है उत्तराखंड की हथिनी! कौन है उत्तराखंड की “रानी”, कहानी सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगें!

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हाल ही में आई डॉक्यूमेंट्री “द एलिफेंट व्हिस्परर” ने दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा। क्योंकि इस डॉक्यूमेंट्री ने ऑस्कर जीत कर इतिहास रचने का काम किया है। इस डॉक्यमेट्री ने हाथी और इंसान के बीच के संबंधों को एक अलग ही नजरिए से पेश किया है इसमें दिखाया गया है कि इंसान और हाथियों के बीच का ‘पवित्र बंधन’ बेहद अनोखा है। इस कहानी के बीच अब एक सच्ची कहानी उत्तराखंड के पहाड़ों में भी नजर आ रही है जहां हाथी और मनुष्य के बीच के संबंधों की पराकाष्ठा देखने को मिली है। देश में शायद इस तरह का पहला उदाहरण है, जिसमें मालिक ने अपनी संपति का बारिस अपने बच्चों को ना बनाकर अपने दो हाथियों को बना दिया है और संपत्ति भी कोई लाख दो लाख की नहीं बल्कि 5 करोड़ की संपत्ति हाथियों के नाम हो गई है।

कौन हैं ये दो हाथी और कौन ऐसा शख्स जिसने आज के जमाने में दो जानवरों को अपना बारिस बना लिया है। खबर में बने रहे। दरअसल, ये कहानी है उत्तराखंड के पहाड़ों की जहां अख्तर नाम के एक शख्स का अपने दो हाथियों रानी और मोती के बीच गहरा लगाव था। अख्तर ने दोनों को अपने संतानों की तरह पाला और अपनी पूरी 5 करोड़ की संपत्ति दोनों हाथियों के नाम कर दी क्योंकि अख्तर को इस बात की चिंता थी कि उनके जाने के बाद इन जानवरों का क्या होगा इनकी देखभाल कौन करेगा। इसी वजह से अख्तर ने अपनी पूरी संपत्ति इन हाथियों के नाम कर दी। और साल 2021 में अख्तर की कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद उनकी संपत्ति के मालिक उनके दोनों हाथी हो गए थे।

अख्तर ने जिन्हें बारिस बनाया था उनमें 28 साल का हाथी रानी और 35 साल का मोती थे। हालांकि कुछ समय पहले मोती की मौत हो गई वहीं रानी इस समय रामनगर में है। बताया जाता है अख्तर ने हाथियों के नाम जो संपत्ति की है वो संपत्ति पटना में है और साल 2020 में जब पहली बार कोविड-19 प्रतिबंध हटाए गए थे तब अख्तर हाथियों को बिहार से उत्तराखंड के रामनगर में लाए थे, क्योंकि उन्हें संदेह था कि उनकी जान को खतरा है। और आखिर में हुआ भी वही, अगले साल ही उनकी हत्या कर दी गई। अख्तर इमाम के पाले गए दो हाथियों में से एक मोती की मौत पिछले महीने ही हो गई। 35 साल का मोती कई बीमारियों से जूझ रहा था। अब पांच करोड़ संपत्ति का एक मात्र वारिस रानी है।

बता दें कि अख्तर ने अपनी मौत से पहले ही एक वीडियो बनाकर हाथियों को अपने मरने के बाद देखरेख के लिए संपत्ति का हिस्सेदार बना दिया था। वीडियो में उन्होंने कहा था कि वह नहीं चाहते कि उनके हाथियों के मरने पर वे अनाथ हो जाएं। हमने देखा है कि बहुत से हाथियों के मालिकों के मरने के बाद उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता है। वे भोजन, दवा और चिकित्सा उपचार की कमी से पीड़ित हैं। मैं नहीं चाहता कि मेरे हाथियों के साथ ऐसा हो और इसलिए मैंने अपनी संपत्ति उनके नाम कर दी है। वे मेरे परिवार के सदस्यों की तरह हैं।

फिलहाल बचे हुए हाथी की देखभाल अख्तर इमाम के ही बनाए एशियन एलिफेंट रिहैबिलिटेशन एंड वाइल्डलाइफ एनिमल ट्रस्ट फाउंडेशन में की जा रही है जो रामनगर में है। ये मामला अब सुर्खियों में बना हुआ है जिस पर वन्यजीव संरक्षणवादी इमरान खान कहते हैं कि अख्तर इमाम स्वतंत्र भारत में संभावित रूप से पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने हाथी के नाम पर अपनी संपत्ति का हिस्सा किया है। बता दें कि ऐरवात फाउंडेशन को अख्तर इमाम ने अपने हाथियों की देखभाल के लिए स्थापित किया था और फिलाहल इसकी जिम्मेदारी इमरान को उत्तराखंड वन विभाग ने दिसंबर 2021 में सौंपी थी, क्योंकि वे एक वन्यजीव संरक्षणवादी हैं।