दोस्तो अपना उत्तराखंड का प्राकृतिक सौंदर्य लोगों को यहां रहने और ठहरने पर मजबूर कर देता है, इसीलिए, यहां होम स्टे बनाने पर जोर दिया जा रहा है। साल 2018 में राज्य सरकार ने दीनदयाल उपाध्यय गृह आवास विकास योजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने के साथ ही पहाड़ की संस्कृति और खान-पान को बढ़ावा देना है, लेकिन ये योजना से दोस्तो रोजगार मिल रहा है। Homestay Scheme of Uttarakhand आमदनी लोगों की बढ़ रही है, फिर भी कई लोगों को या यूं कहें कई संगठनों को ये ठीक नहीं लग रहा है। अब ऐसा क्यों हो रहा होगा आप सोचेंगे जो नाराज हैं उस में कुछ संघ है एसोसियेशन आगे बताउंगा कारण भी दोस्तो जहाँ उत्तराखंड के पहाड़ों पर होम स्टे बनाकर लोग इस योजना से जुड़ रहे हैं, तो नए युवा होम स्टे शुरू करने को प्रयासरत हैं. इसी बीच खबरें आ रहीं हैं कि मसूरी होम स्टे एसोसिएशन उत्तराखंड पर्यटन विभाग से नाराज़ चल रही है। ये वहीं मसूरी है जो पर्यटोकों को खूब भाती है। यहां साल दर साल आने वाले पर्यटकों की तादात भी बढ़ती जा रही है लेकिन एसा क्या हुआ होगा कि मसूरी होम स्टे एसोसिएशन पर्यटन विभाग से नाराज हो गई। आग एक-एक कर कारण बताने जा रहा हूं तो आप मेरे साथ अंत तक बने रहें। दरअसल दगड़़ियों बात कुछ ऐसी है कि उत्तराखंड में रोजगार की गई संभावनाएं हैं जिनमें से एक आवास गृह बनाकर इको टूरिज्म का विकास करना भी है।
सरकार को चाहिए कि वह राज्य के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इसके जरिए रोजगार दे। लोग कहते हैं कि वह अपने ही गांव में हम स्टेज शुरू करना चाहते हैं लेकिन इसके मानक और प्रक्रिया जटिल है इसलिए इसे थोड़ा सरल किया जाए ताकि युवाओं को नौकरी की तलाश में दूसरे शहरों में न जाना पड़े और अपने ही गांव में वह रोजगार कर सके और पलायन भी ना हो। अब आप कहेंगे सुझाव तो अच्छे हैं लेकिन इस पर काम क्यों नहीं हो रहा है। जी योजना से पहाड़ से पलायन रुक सकता है जी योजना से उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों का विकास हो सकता है जी योजना से युवाओं को रोजगार मिलता हो उसे योजना का इतना जटिल होना चाहिए कि लोग नाराज हो जाएं या योजना को लेकर आवाज उठने लग जाए। खैर खबर क्या निकलकर आई वह बताता हूं थोड़ा गौर कीजिए वैसे तो उत्तराखंड में होमस्टे को लेकर पहले बहुत मंथन हुए लेकिन साल 2018 में राज्य सरकार ने प्रदेश में दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास विकास योजना की शुरुआत कर इस पर ठोस कदम उठाया। इसके बाद कोविद के बाद इस रोजगार को उड़ान मिल गई पहाड़ हरे भरे पेड़ पौधों और पक्षियों की चहचहारन समेत कुदरत की छठ देखने वाले दीवाने यहां आने लगे। इस योजना के तहत देहरादून में लगभग 1000 के करीब हम स्टेशन संचालित किया जा रहे हैं जिसमें 15 से 20000 लोगों की आमदनी हो पा रही है।
ऐसे में होम स्टे चला रहे लोग कहते हैं कि उन्होंने देहरादून में अपने होम हिस्ट्री के माध्यम से पहाड़ के माहौल को शहर के लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की। होमस्टे इसका अच्छा जरिया है, दरअसल दोस्तों मसूरी आने वाले पर्यटकों के लिए अब रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है इस बीच हम स्टेशन चालकों है नाराजगी जताते हुए 15 दोनों का वक्त देकर आंदोलन की चेतावनी दी होम स्टे संगठन लोग कहते हैं कि पिछले दो सालों से मसूरी मेहनत हो किसी नए होमस्टे को लाइसेंस दिया गया है और नहीं पुराने लाइसेंस का नवीनीकरण हो पाया है। इतना ही नहीं इस व्यवसाय से जुड़े लोग कहते हैं कि उत्तराखंड सरकार है होम स्टे योजना को बढ़ाने की बात करती है लेकिन जमीनी स्तर पर विभागीय अफसर योजनाओं को पलीता लगाते हैं। इस योजना में स्थानीय लोगों को सशक्त करना तथा था लेकिन मसूरी जैसे मुख्य हिल स्टेशन पर लाइसेंस और पंजीकरण की देरी से स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है साथ ही सॉफ्ट और पर सरकार को चेतावनी दी कि अगर 15 दिन में इन परेशानियों का निवारण नहीं मिला तो सभी संचालक मसूरी पर्यटन कार्यालय के बाहर धरना देंगे वहीं इस पर जिला पर्यटन अधिकारी की माने तो होम स्टे संचालकों के साथ बैठक कर उन्हें आश्वासन दिया गया कि पर्यटकों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ ही लाइसेंस पंजीकरण से संबंधित सभी व्यवस्थाओं को जल्द ही दूरस्थ किया जाएगा।