हरिद्वार: विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद से कौशिक के खिलाफ लामबंदी शुरू हो गई थी। बतौर प्रदेश अध्यक्ष कौशिक के कार्यकाल में भाजपा ने 2022 में प्रदेश में भले ही 47 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की, लेकिन कौशिक ने सत्ता विरोधी लहर के बावजूद रिकार्ड मतों से पांचवीं बार हरिद्वार नगर अपनी सीट तो जीत ली, लेकिन गृह जनपद की पांच सीटों पर पार्टी को हार झेलनी पड़ी। जिले की 11 सीटों में 2017 में भाजपा के खाते में आठ सीटें थी। 2022 में ज्वालापुर, लक्सर, खानपुर, झबरेड़ा और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी हार गए। पार्टी प्रत्याशियों को हरवाने के लिए भीतरघात के आरोप तक लगे। आगामी पंचायत चुनाव से पहले उनकी कुर्सी चली गई।
कौशिक को जब प्रदेश अध्यक्ष बनाया, तब तत्कालीन अध्यक्ष बंशीधर भगत का एक साल आठ माह का कार्यकाल बाकी था। इसे आगे बढ़ाने को उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई। कार्यकाल पूर्ण होने से दो माह पहले ही कौशिक से त्यागपत्र लिए जाने के बाद अब प्रश्न तैरने लगा है कि उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा। इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कौशिक के इस त्याग के बदले में पार्टी उन्हें धामी सरकार में मंत्री पद दे सकती है, सरकार में वैसे भी तीन मंत्री पद रिक्त हैं। साथ ही धामी मंत्रिमंडल में हरिद्वार को प्रतिनिधित्व भी अभी नहीं मिला है। ये भी संभावना जताई जा रही है कि भाजपा नेतृत्व उन्हें राष्ट्रीय सचिव अथवा अन्य पद देकर संगठन में उनकी सेवाएं ले सकता है।
वही पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक में बताया कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा भाजपा आलाकमान को मांगे जाने पर कुछ दिन पहले ही दे दिया था। उन्होंने कहा कि यह सब पूर्व नियोजित था और उसमें उनकी भी सहमति थी। पार्टी निकट भविष्य में उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी सौंपेगी, वह उसका पूरी निष्ठा से पालन करेंगे। सरकार में जाएंगे या संगठन में इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह सब पार्टी तय करेगी, मैं इसके बारे में कुछ भी नहीं कह सकता, बता सकता। हम पार्टी के कर्मठ सिपाही हैं जो जिम्मेदारी मिलेगी उसका निर्वहन करेंगे।