जब भालू ने स्कूल पर बोला धावा… | Chamoli | Uttarakhand News| Bear Attack

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जी हां दोस्तो अब खतरा बड़ा है अपने उत्तराखंड पर यहां के ग्रामीणों पर, नौनिहालों पर क्योंकि यहां यहां अब एक ऐसा खतरा जो कभी दबे पाउं आता था। वो अब बेधड़क-बेखोफ हो कर धावा बोल रहा है। Chamoli Bear Attack दोस्तो गुलदार-भालू के आतंक और हमले की खबरें आपने तमाम देखी और सुनी होगी, लेकिन दो खबर में अपने पहाड़ ये ये लेकर आया हूं। उसे देख आप भी हैरान और परेशान हो जाएंगे, क्यों खतरा बड़ा हो गया वो बताता हूं आपको। दोस्तो उत्तराखंड के चमोली जिले से आज एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने हर उत्तराखंडी के होश उड़ा दिए, क्योंकि एक स्कूल से भालू ने कक्षा 6 के बच्चे को उठा लिया। स्कूल में अफरातरफी मच गई, जब घर से सड़क से, स्कूल से, रास्ते से, भालू गुलदार, लोगों बच्चों को उठा ले जा रहा है तो फिर क्या कहें किससे कहें। इस परेशानी को कौन समझेगा और कैसे अंत होगा, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हमारे नौनिहाल अब भी सुरक्षित हैं? और क्या ऐसे हालात में पहाड़ में रहने वाले लोग पलायन को रोक पाएंगे? मौके पर शिक्षकों और छात्रों की बहादुरी ने जान बचाई, लेकिन क्या यह पर्याप्त है बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए? पहले आप ये तस्वीर और तकलीफ देखिए। जी हां दोस्तो 25 साल के उत्तराखंड की यह तस्वीर विचलित और परेशान करने वाली है। अब नौनिहाल स्कूल में भी सुरक्षित नहीं हैं और इस बार वजह जंगली जानवर हैं।

चमोली में सुबह- सुबह जो हुआ, उसने हर उत्तराखंडी को ये सोचने को मजबूर कर दिया क्या इसी दिन के लिए अलग उत्तराखंड की मांग की थी। क्या ऐसे उत्तराखंड में पलायन रुकेगा जब बच्चे तक सुरक्षित नहीं। दोस्तो चमोली जिले के पोखरी क्षेत्र में सोमवार सुबह एक सनसनीखेज घटना सामने आई, जब एक भालू स्कूल परिसर में घुसकर कक्षा छह के छात्र को उठाकर झाड़ियों की ओर ले गया। गनीमत रही कि मौके पर मौजूद शिक्षकों और अन्य छात्रों ने साहस और सूझबूझ दिखाते हुए समय रहते बच्चे की जान बचा ली। दोस्तो ये घटना जूनियर हाईस्कूल हरिशंकर की है। सुबह की कक्षाओं के दौरान अचानक स्कूल में अफरातफरी मच गई, जब भालू ने छात्र आरव पर हमला कर उसे उठा लिया। ये तस्वीर देख अन्य बच्चे दहशत में आ गए और जान बचाने के लिए कक्षाओं में छिप गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार भालू ने कक्षा का दरवाजा तोड़ने की भी कोशिश की। हालांकि, दोस्तो कुछ शिक्षकों और बच्चों ने हिम्मत दिखाते हुए भालू का पीछा किया और शोर मचाकर उसे भगाने में सफल रहे। झाड़ियों से आरव को सुरक्षित बाहर निकाला गया। बच्चे के शरीर पर भालू के नाखूनों के निशान हैं, लेकिन उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। इस घटना के बाद स्कूल परिसर में भय और तनाव का माहौल है। अपने साथी की हालत देख कई बच्चे रोते-बिलखते नजर आए। दोस्तो गौर करने वाली बात तो ये कि दो दिन पहले भी इसी स्कूल के एक छात्र पर रास्ते में भालू ने हमला किया था, जिससे स्थानीय लोगों में पहले से ही डर बना हुआ था।

उधर, जौलीग्रांट के थानो वन रेंज क्षेत्र में भी भालुओं की लगातार सक्रियता को देखते हुए वन विभाग ने विशेष सुरक्षा इंतजाम किए हैं। हाल ही में गडूल पंचायत के कमेठ (सोड) गांव में खेत में घास काटने गई एक महिला पर दो भालुओं ने हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया था। इसके बाद पूरे इलाके में भय का माहौल है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए थानो वन रेंज द्वारा छह सदस्यीय वन प्रहरी टीम का गठन किया गया है। यह टीम भालू संभावित क्षेत्रों में स्थित स्कूलों तक बच्चों को सुरक्षित पहुंचाने का कार्य कर रही है। साथ ही जंगल जाने वाली महिलाओं के साथ भी वन कर्मी आवाजाही कर रहे हैं। इधर दोस्तो भालू की गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में सोलर लाइटें लगाई गई हैं और भालू को पकड़ने के लिए पिंजरे भी लगाए गए हैं। वन विभाग ने लोगों से सतर्क रहने और अकेले जंगल या सुनसान रास्तों पर न जाने की अपील की है। चमोली में हुए इस भालू हमले ने एक बार फिर पहाड़ी बच्चों और स्कूलों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं, हालांकि मौके पर मौजूद शिक्षकों और छात्रों की बहादुरी से छात्र की जान बचाई गई, लेकिन यह केवल एक लकी घटना साबित हुई।वन विभाग अलर्ट मोड में है, सोलर लाइट और पिंजड़े लगाए जा रहे हैं, और संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा इंतजाम किए जा रहे हैं फिर भी सवाल यही है – क्या इन उपायों से बच्चों की रोजमर्रा की सुरक्षा सुनिश्चित हो पाएगी? भालू और जंगली जानवरों के बढ़ते खतरे के बीच, अब उत्तराखंड को ठोस कदम उठाकर अपने नौनिहालों को सुरक्षित बनाना होगा।