भ्रष्टाचार पर जब धामी का डंडा चला तो आयोग भंग करने का ज्ञान बांट रहे TSR, आहत हरदा ने किया प्रहार

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Uttarakhand Poltics: वैसे सियासत में मौका देखकर रंग बदलना कोई नई बात नहीं लेकिन जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसा तथाकथित कड़क मिजाज नेता भी पॉलिटिकल पॉइंट स्कोर करने को पलटीबाज निकल जाए तो क्या कहा जाए! आजकल उत्तराखंड में UKSSSC के पेपर लीक कांड के बाद इसी पर बहस छिड़ी है कि क्या शुरू से विवादों में रहे इस आयोग से अब जब अधिकतर भर्तियां लेकर राज्य लोक सेवा आयोग को देनी पड़ी हैं तब इसकी उपयोगिता बची भी है या नहीं? अब मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाकर सियासत में समझदारी का नया ककहरा सीख रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मानो राज्य की हर समस्या का समाधान खोज लिया है और फॉर्मूला जेब में लेकर घूम रहे हैं जैसे ही मीडिया समस्या उठाकर सवाल दागता है वे समाधान की जुबानी पर्ची बांचना शुरू कर देते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने UKSSSC को लेकर अपना बयान दोहराया है। उनका कहना कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को बनाने की मंशा सही नहीं थी। ऐसी संस्थाओं की जरूरत नहीं है, जो राज्य की साख को गिराने का काम करें। भ्रष्टाचार के इन अड्डों की प्रदेश को कोई जरूरत नहीं है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में माफिया तंत्र सम्मिलित हुआ है। उसने राज्य के युवाओं के लिए गलत काम किया है। इसलिए जहां उनकी जगह है, उन्हें वहां पहुंचाने का काम राज्य सरकार कर रही है।

जुलाई में कहा आयोग भंग करो और अक्टूबर में भी फिर दोहरा रहे कि आयोग भंग करो क्योंकि इसका गठन करते हुए मंशा गलत रही थी और इस आयोग ने राज्य की बड़ी बदनामी करा डाली है। लेकिन यही TSR जब मुख्यमंत्री थे जब भी इस आयोग की भर्तियों में नकल माफिया की दखल और धांधली के आरोपों की आग ठंडी नहीं पड़ती थी लेकिन सात अगस्त 2020 को जब UKSSSC के नए भवन का उद्घाटन का मौका था तब यही TSR मुख्यमंत्री के रूप में आयोग और उसके कर्ता धर्ता अध्यक्ष एस राजू और सचिव संतोष बडोनी की तारीफ में ऐसी कशीदाकारी कर रहे थे कि उस वक्त ये आयोग उनको देशभर और खासकर यूपी के आयोग से कहीं ज्यादा बेहतर नजर आ रहा था।

जिसके बाद हरदा ने जरा प्यार भरे अंदाज में TSR को बता दिया कि बड़ी देर कर दी हुजूर आते आते! हरदा ने लिखा कि यारा बड़ी देर कर दी समझ आते-आते। 2017 में जब हमने जांच शुरू की थी, जब आपके मंत्री ने विधानसभा के पटल पर स्वीकार किया था कि गड़बड़ियां पाई गई है, जांच रिपोर्ट शासन को मिली है‌। यदि तब इतना गुस्सा दिखाया होता तो फिर धामी की धूम नहीं होती, रावतों की धूम होती।

धन्य है उत्तराखंड, दरवाजे की चौखट पर सर टकराए तो घर ही गिरा दो। विधानसभा में भर्तियों में धांधलियां हुई तो विधानसभा भवन ही गिरा दो। संस्थाएं खड़ी की हैं, यदि संस्थाओं का दुरुपयोग हुआ है तो उसको रोकिए, दृढ़ कदम उठाइए, संस्थाएं तोड़ने से काम नहीं चलेगा। यदि हमने मेडिकल और उच्च शिक्षा का वॉक इन भर्ती बोर्ड नहीं बनाए होते तो आज डॉक्टर्स और उच्च शिक्षा में टीचर्स की भयंकर कमी होती। यदि गुस्सा दिखाना ही है तो अपनी पार्टी के लोगों को दिखाइए न, ये जितने घोटालेबाज अब तक प्रकाश में आए हैं इनका कोई न कोई संबंध भाजपा से है और विधानसभा भर्ती, यदि घोटाला है तो उसकी शुरुआत से लेकर के…कहां तक कहूं, तो गुस्सा सही दिशा की तरफ निकलना चाहिए। उत्तराखंड का संकल्प होना चाहिए कि जिन लोगों ने भी इन संस्थाओं में गड़बड़ियां की हैं, हम उनको ऐसा दंड देंगे कि कोई दूसरी बार गड़बड़ी करना तो अलग रहा, कोई भूल करने की भी गलती न करे।