कहां गया उत्तराखंड का लाल? | Uttarakhand News | करनदीप सिंह लापता प्रकरण | Dehradun News

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कहां गया उत्तराखंड का लाल, क्यों नहीं मिला अब तक कोई सुराग, क्यों परिवार कंपनी पर जता रहा शक। कौन है देहरादन का मचेंट नेवी का कैडेट, ऐसे ही ना जाने कई सवाल हैं जो परिवार के साथ पूरा उत्तराखंड कर रहा है। अपनी रिपोर्ट के जरिए करने जा रहा हूं पूरी पड़ताल। Karandeep Singh Missing Case दोस्तो खबर बेहद अहम है संवेदनशील है इस लिए आप से बस मेरी छोटी सी गुजारिश है कि आप इस वीडिओ में अंत तक जरूर बने रहें, ताकि आप भी जान पाएं उस सच को जिससे हर कोई जानना चाहता है। दोस्तो देहरादून का एक होनहार युवा, आंखों में देश सेवा का सपना, और दिल में समंदर सा हौसला, लेकिन आज वही नौसेना का कैडेट अचानक गायब है — और पीछे छूट गया है एक बेसब्र परिवार, और ढेरों सवाल, कहां गया उत्तराखंड का वो लाल? क्यों अब तक नहीं मिला उसका कोई सुराग? और क्यों परिवार को उसी कंपनी पर शक है, जिसने उसे समुद्र की लहरों के हवाले किया? दोस्तो मामला जितना भावनात्मक है, उतना ही रहस्यमयी भी, कौन है ये मर्चेंट नेवी कैडेट? और क्या है उसके गायब होने के पीछे की असली वजह बताने की कोशिश कर रहा हूं। उत्तराखंड के देहरादून का 22 वर्षीय करनदीप सिंह राणा पिछले 19 दिनों से रहस्यमय तरीके से लापता है। मर्चेंट नेवी में सीनियर डेक कैडेट के पद पर तैनात करनदीप 20 सितंबर को एमटी फ्रंट प्रिंसेस शिप से गायब हो गए, बेटे की तलाश में करनदीप का परिवार, खासकर उनकी मां और बहन, दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन शिपिंग कंपनी या सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है।

इसके अलावा दोस्तो करनदीप की परिवार के मुताबिक करनदीप 18 अगस्त को सिंगापुर से शिप पर चढ़ा था और इराक से होते हुए शिप चीन की ओर जा रहा था। करनदीप की आखिरी बार अपने परिवार से बात 20 सितंबर को दोपहर 2:30 बजे हुई थी। इसके कुछ ही देर बाद वह लापता हो गए। दोस्तो खबर ये भी है कि परिवार वालों को डीजी शिपिंग कंपनी ने बताया कि करनदीप श्रीलंका और सिंगापुर के बीच लापता हुए। कंपनी के मुताबिक, जहाज चार दिनों तक श्रीलंका में ही खड़ा रहा और तलाशी की गई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। दोस्तो इधर परिवार वाले नम आंखो से कहते हैं कि उनके बेटे की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी और वह अभी छोटा था, और मां कहती है कि कंपनी वालों को मैंने अपना जैसा बेटा दिया था, मुझे मेरा बेटा वैसी ही हालत में चाहिए। इधर दोस्तो इस मामले में एक और चौकाने वाली बात ये सामने आ रही है कि करनदीप के लापता होने के बाद शिपिंग कंपनी का रवैया परिवार के संदेह को और मजबूत कर रहा है कि शिपिंग कंपनी से सीसीटीवी फुटेज मांगे, तो उन्हें बताया गया कि जहाज नया है, इसलिए CCTV नहीं लगाए गए थे।

दोस्तो यह बात परिवार को हजम नहीं हो रही है। परिवार का कहना है कि शिपिंग कंपनी उन्हें यह नहीं बता रही है कि करनदीप के साथ क्या हुआ और वह कहां है। दोस्तो करनदीप के लापता होने से जुड़े एक और अहम तथ्य सामने आया है। बताया ये जा रहा है कि जिस जगह करनदीप को आखिरी बार देखा गया था, वहां से उनका एक जूता और एक कैमरा बरामद हुआ है। करनदीप को दिनभर काम करने के बाद रात को चीफ ऑफिसर को फोटो भेजनी होती थी। बताया जा रहा है कि वह लापता होने से ठीक पहले फोटो खींचने ही निकले थे. हालांकि, डीजी शिपिंग ने जूता और कैमरा मिलने की जानकारी तो दो दिन बाद दी, पर इसका कोई प्रमाण परिवार को नहीं दिया गया। दोस्तो बीते मंगलवार को शिप चीन पहुंच गया, जहां मामले की पूरी जांच की बात कही गई है. इस जांच में कैप्टन, चीफ ऑफिसर समेत चार अधिकारियों के बयान भी लिए गए हैं। डीजी शिपिंग की ओर से परिवार के दो सदस्यों को जांच में शामिल करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन परिवार को अभी तक ये जानकारी नहीं दी गई है कि उन्हें कब और कहां जाना है। दोस्तो हैरानी की बात यह है कि परिवार ने मदद के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री समेत तमाम अधिकारियों को पत्र लिखा, लेकिन परिवार के अनुसार किसी ने कोई खास मदद नहीं की है। दोस्तो जानकारी के मुताबिक करनदीप थर्ड ऑफिसर की तैयारी के लिए कोर्स भी बुक चुके थे और अप्रैल में देहरादून आकर तैयारी करने वाला थे। फिलहाल, सोशल मीडिया पर लगातार करनदीप की तलाश की अपील की जा रही है, जबकि परिवार न्याय और अपने बेटे की सुरक्षित वापसी की उम्मीद लिए बैठा है। दोस्तो देश के लिए समंदर की लहरों से खेलने निकला एक बेटा, लेकिन आज वो खुद लापता है। ना कोई सुराग, ना कोई जवाब सिर्फ सवालों से भरा एक परिवार और उम्मीदों का टूटता इंतज़ार। ये खबर सिर्फ एक कैडेट की नहीं है, बल्कि उन तमाम परिवारों की भी है जो अपने बच्चों को भरोसे के साथ देश की सेवा में भेजते हैं। अब ज़रूरत है सिर्फ जवाबों की — ईमानदार जांच की और उस सिस्टम से पारदर्शिता की, जो अब तक चुप्पी साधे बैठा है, कहीं देर न हो जाए। इससे पहले कि एक और सपना लहरों में खो जाए। मै उम्मीद करता हूं दोस्तो कि उत्तराखंड का ये लाल जल्द सुरक्षित लौटे — और सच सामने आए।