उत्तरकाशी: अगर यह स्कूल ही बंद हो गया तो हम नेत्रहीन बच्चे कहां जाएंगे, कैसे हम अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे और कैसे अपने सपने पूरे कर सकेंगे। हम आंखों से देख नहीं सकते, लेकिन समझते सब कुछ हैं, अगर सरकार हम दिव्यांगों की मदद करे तो हम दिव्यांगों को पढ़ने और आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। ये कहना है कि उत्तराकाशी नौगांव तुनालका स्थित विजय दृष्टिबाधित स्कूल में पढ़ने वाली दिव्यांग प्रियंका का।
अपने घर की दयनीय हालत और स्कूल में उपजी समस्या के बारे में बताते हुए प्रियंका अचानक रो पड़ी। कहतीं हैं कि घर मे भी मां के अलावा कोई नहीं है और वह भी दूसरों के खेतों में मजदूरी कर घर चला रही हैं। अगर सरकार उनकी मदद नहीं करती है तो यह स्कूल बंद हो जाएगा। ऐसे में सभी बच्चे कहां जाएंगे और कैसे अपनी पढ़ाई करेंगे। उधर, विजय दृष्टिबाधित स्कूल की संचालिका विजय लक्ष्मी जोशी का कहना है कि ये दिव्यांग बच्चे ही उनकी दुनिया हैं। वर्तमान में हम सभी भारी समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
संचालिका विजय लक्ष्मी जोशी ने बताया कि स्कूल को 50 दृष्टि दिव्यांगों के लिए केंद्र सरकार की ओर से देहरादून स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट फ़ॉर द एम्पोवेर्मेंट ऑफ पर्सन्स विद विजुअल डिसएबिलिटी (NIEPVD) के माध्यम से अनुदान मिलता था, लेकिन अप्रैल 2021 से बंद हो गया। जिसका कारण 10 बच्चों की आयु सीमा ओवर होना बताया गया। जिसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई और भोजन, कर्मचारियों की तनख्वाह की समस्या खड़ी हो गयी। अब कैसे व्यवस्था होगी, यही चिंता उनको हो रही है। इसी वजह से आज उनको धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। मांग की है कि जब तक केंद्र से सहायता नहीं मिलती तब तक राज्य सरकार उनकी मदद करे।