इको-सेंसेटिव जोन में पेड़ कटान क्यों? | Uttarakhand News | Uttarkashi News | Parliament Session

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जी हां दोस्तो उत्तराखंड में इको-सेंसेटिव जोन होने होने के बाद भी कैसे सरकार ने दी हजारों देवदार के पेड़ों को काटने की अनुमती, ये ये वो सवाल है जिसको लेकर उत्तराखंड के उत्तरकाशी से लेकर देश की ससंद तक में सवाल हो रहा है। कैसे उत्तराखंड के सासंदों की चुप्पी हो रहा सवाल। क्यों बिहार से आने वाली कांग्रेस राज्यसभा सांसद ने कर दी बीजेपी की बोलती बंद। Tree felling in eco-sensitive zones दोस्तो हाल में आपने देखा होगा कि उत्तराखंड में चिपको आंदोलन जैसा एक और आंदोलन दिखाई दे रहा है। दोस्तो उत्तरकाशी जिले के इको-सेंसेटिव जोन क्षेत्र में हजारों पेड़ों को हटाए जाने की तैयारी हो रही है। वैसे तो इस क्षेत्र में बड़े निर्माण और पेड़ कटान जैसे कामों पर काफी हद तक पूरी तरह रोक है, लेकिन इसके बावजूद उत्तरकाशी से गंगोत्री तक सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ों को काटे और ट्रांसलोकेट किए जाने की अनुमति दे दी गई है। इसी अनुमति को लेकर बीजेपी की प्रदेश सरकार और केंद्र की मोदी सरकार सवालों के कठघरे में खड़ी हो गई। दोस्तो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री तक सड़क चौड़ीकरण का बहुप्रतीक्षित प्रस्ताव अब धरातल पर उतरने की दिशा में बढ़ता नजर आ रहा है। सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे इस प्रोजेक्ट को विभिन्न स्तरों से मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इस विकास परियोजना के साथ ही एक बड़ा पर्यावरणीय संकट भी जुड़ गया है।

इको-सेंसेटिव जोन में आने वाले इस क्षेत्र में कुल 6822 पेड़ों को या तो काटा जाएगा या फिर उनका ट्रांसलोकेशन किया जाएगा, जिसको लेकर पर्यावरण प्रेमियों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है और स्थानीय लोगों की वो तस्वीर तो आपने देखी होगी, जिसमें वो वो देवदार के पेड़ों की रक्षा के लिए रक्षा सुत्र बांध रहे हैं। साथ ही पेड़ों को काटने का विऱोध अपने चरण पर है, लेकिन इस पूरे मामले में जहां एक तरफ उत्तराखंड कि सियासत में सन्नाटा है। उत्तराखंड के साथ ही हिमालय की चिंता की बात करने वाले सियासी लोग मुंह में दही जमा कर बैठे हैं। वैसा ही हाल प्रदेश के सासंदों का भी है। दोस्तो एक भी सांसद ने संसद में इस ममले पर किसी ध्यान खीचने की कोशिश नहीं कि, लेकिन कांग्रेस की राज्यसभा सांसद ने ना इस मुद्दे को उठाया, बलकी उससे पड़ने वाले असर पर बीजेपी के सांसदों को हमारे उत्तराखंड के सांसदों को आयना दिखाने का किया। जी हां दोस्तो गौरा देवी को पेड़ों को काटने से बचाने वाली गौरा देवी को भारत रत्न देने की मांग करने वाले राज्यसभा सांसद महेंन्द्र भट्ट को भी देवदार के ये पेड़ नहीं भा रहे हैं। दोस्तो उधर रंजीत रंजन, कांग्रेस सांस दइसी सदन में कहा कि हम देवदार वृक्ष को नहीं काटने देंगे, लेकिन भागीरथी के पास इको-सेंसेटिव जोन है और वहां 6,000 पेड़ काटने की अनुमति दे दी गई है।

चारधाम ऑल वेदर रोड पर अंधाधुंध चौड़ीकरण के नाम पर पेड़ और पहाड़ काटे जाएंगे तो निश्चित है कि भूस्खलन बढ़ेगा. कई लोगों ने अपील की है कि यहां पर जो इको-सेंसेटिव जोन है, उसे बचाया जाए, लेकिन यह सरकार सदन में कुछ और कहती है, बाहर कुछ और करती है। इसके अलावा दोस्तो कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि हिमालय में सड़क का चौड़ीकरण असफल हो रहा है। सेना और यात्री भूस्खलन की चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में यह सरकार कैसा विकास कर रही है? एक तरफ आप कहते है कि ये सड़क सेना के लिए बहुत जरूरी है, दूसरी तरफ यहीं सड़क कई दिनों तक बंद रहती है. कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने पूछा कि सरकार किसी की शय पर इस तरह का विकास कर रही है? कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने बताया कि छह और सात दिसंबर की रिपोर्ट है कि वहां के लोग पेड़ों को बचाने के लिए उन्हें रक्षा सूत्र बांध रहे है। ये वहीं क्षेत्र है, जहां धराली की भीषण आपदा हुई थी, जहां 150 लोगों के शव अभी भी 40 फीट मलबे में दबे होने की बात कही जा रही है। कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि ये सोचने वाली है कि यदि उच्च हिमालय में चारधाम ऑल वेदर रोड के नाम पर इतनी भारी तादात में पेड़ और पहाड़ काटे जाएंगे तो निश्चित ही लैंडस्लाइड की घटनाएं बढ़ेगी।

इस बारे में कई समाजिक और खुद बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी भी सरकार को पत्र लिख चुके है। दोस्तो उत्तरकाशी से गंगोत्री तक सड़क चौड़ीकरण को लेकर भेजे गए प्रस्ताव पर तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक हॉफ समीर सिन्हा अनुमोदन दे चुके हैं, जिसको लेकर उनके द्वारा नोडल अधिकारी वन संरक्षण को पत्र भेजा गया था। PCCF लैंड ट्रांसफर एसपी सुबुद्धि ने भी इस प्रोजेक्ट को बेहद अहम बताते हुए इसके लिए उनके स्तर से भी अनुमोदन किया जाने की पुष्टि की है। वहीं गौर करने वाली बात तो ये भी है कि उत्तरकाशी जिला अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ है और सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन के लिहाज से यहां सड़कों का मजबूत होना बेहद जरूरी माना जाता है। इसी कारण उत्तरकाशी से गंगोत्री तक सड़क चौड़ीकरण को सामरिक महत्व का प्रोजेक्ट बताया जा रहा है। सरकार का तर्क है कि बेहतर सड़क कनेक्टिविटी से सेना की आवाजाही, तीर्थयात्रा और आपातकालीन सेवाओं को मजबूती मिलेगी.काश! उत्तराखंड के पर्यावरण से जुड़े जो संवेदनशील सवाल छत्तीसगढ़ से कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन जी भारत के सर्वोच्च सदन में उठा रही हैं वो हमारे सांसद भी उठा पाते! काश इतनी हिम्मत दिखा पाते।