उत्तराखंड में क्यों दुश्मन बन बैठा है मानसून!| Uttarakhand News | Chamoli Cloudburst | Breaking News

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दोस्तो क्या दुश्मन बन बैठा है मानसून?अपने प्रदेश के उत्तराखंड के लिए और कब तक डराते रहेंगे हालात बताने के लिए आया हूं, क्या कहता है मौसम विभाग और भी बहुत कुछ वैसे तो दगड़ियो हर साल मानसून का नाम सुनते ही भारत के कई हिस्सों में राहत की बूँदें उम्मीद जगाती हैं — लेकिन उत्तराखंड के लोगों के लिए यही मानसून अब डर और तबाही की दास्तान बन गया है। पहाड़ों की खूबसूरती के बीच छिपा ये खतरा अब ऐसा दुश्मन बन चुका है, जो हर बरसात के साथ जान-माल की तबाही लेकर आता है। सवाल ये है — आखिर क्यों बदल गया है मौसम का मिजाज, और कब तक सहना पड़ेगा ये कहर? वो बताने के लिए आया हूं। दोस्तो पूरे उत्तराखंड में इस बार मौसम आफत बना रहा है और अभी भी चमोली में सेस्क्यू चल रहा है। लोगों की परेशानी तब भी कम नहीं है जब मौनसून की विदाई होनी है। ऐसे में हमने धराली थराली और हाल में देहरादून में तबाही का मंजर देखा। पूरे उत्तराखंड की बात करूं उससे पहले अपनी राजधानी देहरादून की बात कर लेता हूं, क्योंकि यहीं से तो आपदा प्रबंधन और तमाम तरह की योजनाएं बनती हैं।

दगड़ियो राजधानी दून और आसपास के इलाकों में इस बार मानसूनी बारिश ने हद कर दी। 16 सितंबर को राजधानी में हालात इतने बिगड़े कि 17 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सितंबर का महीना खत्म होने को है, लेकिन मौसम मानो दुश्मन बना बैठा है। सवाल यही उठ रहा है कि आखिर देहरादून का वेदर इतना खफा क्यों है? वैसे ये सवाल पूरे प्रदेश के लिए है, लेकिन अकसर पहाड़ी क्षेत्रों में जिलों में ऐसेी तस्वीरें देखने हो मिलती हैं मौनसून में, लेकिन इसबार देहारदून भी घायल हो गया तो क्या कहीं जाते-जाते ये मानसूनी बादल कोई और बड़ा वार तो नहीं करेंगे? क्या कहते हैं मौसम विभाग वाले, ये जानना बेहद जरूरी है। दोस्तो यहां मौसम विभाग की चेतावनी भी है और थोड़ी राहत भी है आगे बताने जा रहा हूं कैसे। देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक कहते हैं कि 18 सितंबर को राज्य के कई इलाकों में मौसम करवट लेगा। देहरादून और पछवादून में बूंदाबांदी जारी रहेगी। राहत की बात यह है कि 19 से 21 सितंबर तक भारी बारिश का खतरा टल गया है। यानी धीरे-धीरे मानसून की एक्टिविटी कमजोर हो रही है, हालांकि उत्तराखंड में मानसून का पूरा पैकअप अभी बाकी है और इसके सितंबर के अंतिम हफ्ते तक बने रहने की उम्मीद है।

दोस्तो पूरे प्रदेश के बारिश के आकड़ों की तो बात क्या करूं वो बेहद डरावने लगते हैं वो आपदा की तस्वीरों की तरह। अगर मै देहरादून में बारिश के आंकड़े देखता हूं जो डराने वाले हैं, गौर कीजिएगा हो क्या रहा है। दगड़ियो देहरादून में हालात कितने भयावह हैं, इसका अंदाजा आंकड़ों से लगाया जा सकता है। 10 से 17 सितंबर के बीच औसतन 215 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य तौर पर इस दौरान सिर्फ 53 मिमी वर्षा होती है. यानी इस बार 305% ज्यादा बारिश। सितंबर में अब तक कुल बारिश 396 मिमी हो चुकी है, जबकि नॉर्मल आंकड़ा 159 मिमी है। मतलब इस बार 149% ज्यादा बरसात हो चुकी है। दोस्तो बात इतनी भर नहीं। ये आंकड़े साफ बताते हैं कि मौसम पूरी तरह बेकाबू हो चुका है। सितंबर का महीना खत्म होने को है लेकिन बादल लगातार बरस रहे हैं। चमोली की आफत ने बहुत दर्द दिया है। दगड़ियो यहां आपके मन में अब एक और सवाल होगा, क्या इस बार सर्दियां भी ज्यादा ठंडी पड़ेंगी? इसको लेकर जो मौसम वैज्ञानिक कहते हैं कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, जब तक मानसून पूरी तरह लौट नहीं जाता, तब तक सर्दियों का क्लियर पूर्वानुमान देना मुश्किल है। आगे मौसम को लेकर विभाग की तरफ से जानकारी मिलेगी।

दगड़ियो वैसे तो अपने पूरे उत्तराखंड में मौसम की मार बहुत डराया है लेकिन राजधानी भी इस बार डरी-डरी सी है बल क्योंकि देहरादून के लोगों के लिए मानसून का ये रूप किसी डरावने सपने से कम नहीं। 10 से 17 सितंबर तक लगातार झमाझम ने शहर को थाम दिया। लोगों के घरों, दुकानों और सड़कों पर पानी बह निकला। कई इलाके राजधानी से कट गए। अब जबकि मानसून विदाई की ओर है, तब भी मौसम का मिजाज पूरी तरह शांत नहीं हो रहा। देहरादून का ये रुठा हुआ वेदर साफ बता रहा है कि प्रकृति से खिलवाड़ करना इंसानों को कितना भारी पड़ सकता है। सितंबर माह के अंतिम सप्ताह तक मानसून के लौटने की उम्मीद नहीं है। दगड़ियो उत्तराखंड के लिए मानसून अब सिर्फ मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि एक वार्निंग सिग्नल बन चुका है — समय है इसे समझने और सतर्क होने का। जब तक स्थायी समाधान नहीं खोजे जाते और पर्यावरण के साथ संतुलन नहीं बैठाया जाता, तब तक हर बारिश एक नई आफत लेकर आएगी। इसलिए ज़रूरी है जागरूकता, तैयारियां और समय रहते उठाए गए ठोस कदम — ताकि फिर से मानसून जीवनदायिनी बने, न कि जानलेवा।