उत्तराखंड के खूबसूरत डेस्टिनेशन में क्यों पसरा सन्नाटा ?| Uttarakhand News | Destination Wedding

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उत्तराखंड पर्यटन उद्योग में गुमसुम माहौल, आखिर क्यों प्रदेशके खूबसूरत डेस्टिनेशन में सन्नाटा पसरा है और लोगों की वो कौन सी मां है जिसका जिक्र अब बार-बार होने लगा है। Beautiful destinations of Uttarakhand कहा ये जा रहा है कि अगर लोगों की मांग पर गौर नहीं किया गया तो ओली में ठंडक में भी गरमाहट पर्यटन उद्योगों को लेकर सवाल की रहेगी। जी हां दोस्तो उत्तराखंड के मनोरम विंटर डेस्टिनेशन औली में इस बार कुछ अलग ही सन्नाटा है। जहां हर साल इस मौसम में सैलानियों का ताँता लगता है, वहीं इस बार पर्यटन कारोबार में आई भारी सुस्ती ने स्थानीय व्यवसायियों की चिंता बढ़ा दी है। ठंड के बीच ठहर गया औली का पर्यटन कारोबार, जिससे जुड़े लोगों में रोपवे शुरू करने की जोरदार मांग उठने लगी है। आखिर क्या वजह बनी इस ठहराव की? और क्या रोपवे से बहेगी फिर से खुशहाली की हवा? इस वीडियो के जरिए सब बताने जा रहा हूं। वैसे दोस्तो उत्तराखंड में कई हिल स्टेशन हैं, जो अपनी खूबसूरती की वजह से दुनियाभर में फेमस है, इन्हीं में एक विंटर डेस्टिनेशन औली है। जहां सर्दियों में बर्फबारी का लुत्फ उठाने के लिए देश-विदेश से सैलानी पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों इस पर्यटक स्थल पर पर्यटकों की आमद न के बराबर है, जिससे स्थानीय कारोबारियों के चेहरों का रंग फीका सा नजर आ रहा है।

वहीं, लंबे समय से बंद औली रोपवे को सुचारू करने की मांग हो रही है। ताकि, पर्यटकों की आमद बढ़ाया जा सके, दोस्तो इन दिनों शीतकालीन पर्यटन स्थली औली में पर्यटकों की आमद कम होने से पर्यटन कारोबार पर ब्रेक सा लगा हुआ है। बदरीनाथ धाम की यात्रा चरम पर होने के बावजूद पर्यटन स्थली औली का दीदार करने गिने चुने पर्यटक ही पहुंच रहे हैं। जिससे औली में अपनी दुकान ढाबा चलाने वाले स्थानीय युवाओं के साथ गाइड, जिप्सी और घोड़ा-खच्चर संचालक के चेहरों की रौनक गायब नजर आ रही है। इसके अलावा अन्य एक्टिविटी कराने वाले पर्यटन कारोबारियों के चेहरों पर भी शिकन है। ऐसे में एक बार फिर से स्थानीय पर्यटन कारोबार की रीढ़ मानी जाने वाली एशिया की सबसे खूबसूरत लोकेशन में स्थित ज्योर्तिमठ-औली रोपवे को फिर से सुचारु करने की मांग तेज होने लगी है। ताकि, पर्यटकों को औली की तरफ आने से लुभाया जा सके। दरअसल, दोस्तो 5 जनवरी 2023 को ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) नगर क्षेत्र में दरार और भू धंसाव के चलते सुरक्षा के मद्देनजर इस रोपवे को बंद कर दिया गया था, जिससे क्षेत्र के पर्यटन कारोबार को भारी नुकसान हुआ है। बात अगर टूरिस्ट फ्लो की करें तो पूरे क्षेत्र का एक तिहाई पर्यटन कारोबार रोपवे बंद होने से प्रभावित हो गया है।

दोस्तो इतना भर नहीं है एक तरफ स्थानीय कारोबारियों में चिंता दिखाई दे रही है तो वहीं दूसरी ओर गौर करने वाली बात ये भी है कि GMVN को करीब 15 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। दोस्तो खबर ये भी है कि ढाई सालों में लगभग 15 करोड़ रुपए का भारी भरकम राजस्व का भी नुकसान गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) को हो चुका है। फिलहाल, दोस्तो लंबे समय से ज्योर्तिमठ-औली रोपवे बंद होने से औली से भी पर्यटक मुंह मोड़ रहा है, स्थानीय कारोबारी अब इस रोवपे सेवा को शुरू करने की मांग कर रहे हैं। जीएमवीएन औली चेयर लिफ्ट प्रभारी भी मानते हैं कि साल 2023 से रोपवे बंद होने से पर्यटकों की आमद ज्योर्तिमठ और औली में काफी कम हुई है। बताया जा रहा है कि पर्यटन और जीएमवीएन स्तर पर उच्च आधिकारिक लेवल की वार्ता जारी है। होटल कारोबारियों का कहना है कि पर्यटकों की आमद घटने की बात को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार को जल्द इस बाबत ठोस कदम उठाना होगा। दोस्तो यहां आपको ये भी बता दूं कि जोशीमठ अब ज्योतिर्मठ से औली तक इस रोपवे की दूरी करीब 4 किलोमीटर है, जिसमें 10 टावर लगे हुए हैं। रोपवे के जरिए ज्योतिर्मठ से औली पहुंचने में केवल 15 मिनट लगता है। ऐसे में औली जाने के लिए पर्यटकों की पहली पसंद रोपवे ही रहता है, लेकिन जब से ज्योतिर्मठ में दरार और भू धंसाव का मामला सामने आया है, तब से रोपवे बंद हैं। उस वक्त रोपवे के प्लेटफार्म 1 के पास बड़ी दरारें आ गई थी। जिससे रोपवे खतरे की जद में आ गया था। लिहाजा, सुरक्षा के मद्देनजर इसे बंद कर दिया गया।

वहीं अगर दूसरी ओर बात अगर भू बैकुंठ बदरीनाथ धाम की तो गुलाबी ठंड और ठिठुरन के बीच भारी संख्या में श्रद्धालु उत्साह के साथ भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर रहे हैं। 13 अक्टूबर को जहां 4,882 श्रद्धालुओं ने बदरी विशाल के दर्शन किए तो वहीं कपाट खुलने से लेकर अब तक 14 लाख 89 हजार 323 श्रद्धालु ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर पुण्य लाभ कमा चुके हैं, लेकिन औली में पर्यटकों के नहीं पहुंचने से चिंताएं बढ़ रही हैं तो औली की वादियां भले ही आज भी उतनी ही खूबसूरत हैं, लेकिन बिना सैलानियों की चहल-पहल के ये नज़ारे अब सूने-सूने लगते हैं। पर्यटन कारोबार में आई ये सुस्ती सिर्फ मौसम की नहीं, बल्कि व्यवस्थाओं की भी कहानी कहती है। स्थानीय लोग अब रोपवे संचालन की मांग के साथ उम्मीद लगाए बैठे हैं — कि शायद एक छोटी सी पहल से फिर लौट आए रौनक, फिर गूंजे सैलानियों की हँसी, और औली एक बार फिर बन जाए सर्दियों का सबसे चहेता ठिकाना, उम्मीद तो ये की जा सकती है।