अलमोड़ा: आम तौर पर किसी भी घर में बच्चा पैदा होता है तो लोग जश्न मनाते हैं। मिठाई बांटती हैं, लेकिन उत्तराखंड के लोग इस जश्न को लेकर ही दुविधा में पड़ गए हैं। खासतौर पर राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले परिवारों के लिए इस जश्न में ही मुश्किल नजर आने लगी है। जी हां यह दुविधा और मुश्किल तीसरी संतान को लेकर है। तीसरी संतान के ही चक्कर में ही उत्तराखंड के अल्मोड़ा में दो प्रधानों के अलावा एक बीडीसी मेंबर की कुर्सी चली गई है। इन तीनों सीटों पर फिलहाल उप चुनाव कराए जा रहे हैं।
दरअसल उत्तराखंड में 2019 के पंचायत चुनावों के लिए अधिसूचना जारी हुई थी। इसमें कहा गया था कि 25 जुलाई 2019 के बाद जिन उम्मीदवारों के तीन संतान होंगे, उन्हें अयोग्य घोषित किया जाएगा। इस अधिसूचना की वजह से कई लोग तो अपनी उम्मीदवारी जताने से भी चूक गए। वहीं जो लोग चुनाव लड़े और जीत भी गए, उनमें से दो प्रधान और एक बीडीसी मेंबर को तीसरी संतान होने पर बाद में कुर्सी छोड़नी पड़ गई। अब इन तीनों सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं।
शासन के निर्देश पर अलमोड़ा के जिलाधिकारी ने अपनी रिपोर्ट दी। इसमें बताया कि लमगड़ा ब्लाक के सेल्टा चापड़ में 2019 के पंचायती चुनाव में प्रधान निर्वाचित हुए दो लोगों को इसी साल तीसरी संतान हुई है। इनसे त्याग पत्र ले लिया गया है। इसी प्रकार स्यालदे ब्लाक के लालनगरी के प्रधान से भी तीसरी संतान होने पर त्यागपत्र लिया गया है। जिलाधिकारी ने बताया कि इसी क्रम में लमगड़ा ब्लॉक के डोल में बीडीसी सदस्य के घर में भी तीसरी संतान हुई है। इसलिए उनसे भी त्यागपत्र लेकर उपचुनाव की सिफारिश कर दी गई है।