Wow..what a taste | Uttarakhand News | Almora’s Famous Bal Mithai & Singhori | Bal Mithai | Singodi

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उत्तराखंड की इन तीन खास मिठाईयों के स्वाद के विदेशी भी हैं मुरीद जी हां दगड़ियो। खाओगे तो खाते रह जाओगे। वैसे जिन अल्मोड़ा की मिठाईयों की बात मै करने जा रहा हूं। Almora’s Famous Bal Mithai & Singhori उसे जानते तो सभई होंगे, मुझे ऐसा लगता है लेकिन ये तो कम ही लोग जानते होंगे की ये मिठाई आई कहां से किसने सबसे पहले इतनी स्वादिष्ट मिठाई को बनाया होगा, और आज ये मिठाईयां कितनी और कहां कहां पसंद की जा रही हैं। ये सब में आपको बताने जा रहा हूं आप मेरे साथ अंत जरूर बने रहे हैं। ताकि आपको हर उस अल्मोड़ा की मिठाई की जानकारी मिल सके। जिसे आप खाते तो स्वाद से है, लेकिन उसके बारे में बहुत कुछ जान भी पाएं। दोस्तो जब भी अल्मोड़ा की बात आती है, तो लोग खुद ब खुद कहने लगते हैं। अरे वही अल्मोड़ा जहां कि वो वाली मिठाई, यानि कुमाउं के इस जिले की पहचान आज मीठा है। यहां कि पारंपरिक और बेहद स्वादिष्ट मिठाई है, जिस मिठाई को लोग खाते भी बड़े चाव से हैं तो बनाने वाले भी बड़े ही प्यार से परोसते भी हैं। वैसे यहां एक नहीं कई तरफ की मिठाईयां बनाई जाती हैं। सभी अपने आप में बेहद लजिज हैं, सभी को मिठे के दिवाने देश में ही नहीं विदेशों में भी अब पसंद करने लगे हैं। दोस्तो इंतजार थोड़ा लंबा हुआ, उन मिठाईयों के सफर को बताता जो आप लोगों के मुंह में अपनी जगह बना चुके हैं।

दोस्तो बाल मिठाई, सिंगौड़ी , चाकलेट और खुचेआ नामक इन मिठाईयों का ज्रिक आते ही लोगों को अल्मोड़ा याद आ जाता है, जहां से इन मिठाईयों का आविष्कार हुआ, आज भी इन मिठाईयों का वर्चस्व कायम है। उत्तराखंड की प्रसिद्ध मिठाई में सबसे पहले नाम आता है, जी हां आगे बताउंगा आपको एक एक कर हर उस मिठाई के बारे में जिसने लोगों को स्वाद ही नहीं दिया। दिल भी जीत लिया, देश ही नहीं विदेश तक ये मिठाईयां आज खूब खाई जा रहा रही हैं। उत्तराखंड की प्रसिद्ध मिठाई में सबसे पहले नाम आता है बाल मिठाई, उसके बाद मालू के पत्ते में लिपटी सिंगौडी और फिर चॉकलेट। इन तीनों मिठाईयों का स्वाद ही कुछ ऐसा है जो एक बार स्वाद चढ़ जाए तो फिर दोबारा उतरते नहीं उतरता फिर चाहे वो शुगर का मरीज ही क्यों न हो। उत्तराखंड के अल्मोड़ा से ख्याति पा चुकीं यह तीनों मिठाई नजराने के साथ संस्कृति का हिस्सा भी है। दोस्तो सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नगरी अल्मोड़ा से ही बाल मिठाई और सिंगौड़ी का आविष्कार हुआ था। 1865 में सबसे पहले साह परिवार ने लाला बाजार में मिठाई बनाकर बेचना शुरू किया, लेकिन आज बस आप मिठाई वाले सेगमेंट को मिस ना करें, लेकिन आपको इस बाजार के बारे में थोड़ा बुहत बताते चलता हूं। अल्मोड़ा में एक बहुत मशहूर बाजार है, जिसका नाम लाल बाजार है। दगड़ियों ये लाल बाजार अल्मोड़ा का सबसे पुराना और बड़ा बाजार है। यह बाजार शहर के बीचों-बीच बसा हुआ है और यहां हमेशा चहल-पहल बनी रहती है।

यहां रोजाना बहुत से लोग खरीदारी करने आते हैं। यह बाजार ब्रिटिश काल से भी पहले का है और यहां की पुरानी दुकानें और भवन आज भी उस दौर की झलक दिखाते हैं। ऐसा माना जाता है कि कभी यहां लाल पत्थर या लाल रंग की छतों वाली दुकानों की भरमार थी। इसलिए बाजार का नाम लाल बाजार पड़ा। वैसे दोस्तो लाल बाजार का नाम सुनते ही एक पारंपरिक, भीड़-भाड़ वाला और जीवंत स्थान हमारे दिमाग में आता है। यह बाजार बहुत पुराने समय से अल्मोड़ा के लोगों की जरूरतों को पूरा करता आ रहा है, फिर कभी इस अल्मोड़ा के लाल बाजार के बारे में आपको बताउंगा। आज तो बाल मिठाई का जिक्र आया कि सबसे पहले शाह परिवार ने लाल बाजार में इस मिठाई की दुकान खोली तो इसलिए थोड़ा बता दिया। अब यहां बिकने वाली मिठाई एक दिन देश दुनिया में राज करेगी ऐसा किसी ने उस वक्त सोचा थोड़े होगा। लेकिन आज दीपावली में तो यहां के मिठाई की बात ही क्या देश और दुनियां में अल्मोड़ा की मिठाई की मांग रहती है। दोस्तो इस मिठाई ने यानि बाल मिठाई ने जहां स्थाईय स्थर पर लोगों के बीच जगह बनाई। वहीं दूसरी ओर ये बाल मिठाई पर्यटकों को भी खूब भाई। अल्मोड़ा आने वाले पर्यटक यहां की बाल मिठाई, सिंगौड़ी, चॉकलेट और खेचुआ ले जाते हैं। 1865 में लाल बाजार के साह परिवार ने मिठाई का आविष्कार किया। आज भी इस मिठाई के दिवाने हजारों नहीं लाखोँ हैं, अब देखिए ने मिठाई कितनी खास है।

महात्मा गांधी ने भी 1929 में अल्मोड़ा आजादी आंदोलन में मिठाई का स्वाद लिया था। 24 नवम्बर को तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने हरीश लाल शाह को दिल्ली तीन मूर्ति भवन में बुलाकर मिठाई का स्वाद लिया। गजब जलव रहा है इन मिठाईयों का बाल मिठाई और सिंगौड़ी के आविष्कारक पीढ़ी के बताते हैं कि उनके बच्चों की पांचवी पिढ़ी मिठाई बेच रही है। अब देखिए कैसे एक मिठाई व्यवसाय का जरिया बन गई, आमदनी का हिस्सा बन गई। वो कहते हैं इतना कमाया की पुस्ते खा रही हैं। ऐसा ही कुछ इन मिठाईयों को लेकर भी हैं, बाल मिठाई को कुछ ऐसा बनाया कि आज तक पुस्ते खिला रही हैं, और हां जो मिठाई बनाने वाले आज के हल्वाई हैं वो कहते हैं कि जिस स्वरुप में पहले मिठाई बेचते थे आज भी उसी स्वरुप में मिठाई को बेच रहे हैं। यहां एक मिष्ठान संघ भी बना है। इसके पदाधिकारी कहते हैं कि अल्मोड़ा की मिठाई देश-विदेश में प्रसिद्ध है। जो भी लोग यहां आते हैं वे जरुर यहां की मिठाई को निशानी के रुप में ले जाते हैं, कई दिनों तक यहां की मिठाई खराब नही होती है। वैसे दगड़ियो ये बात तो सच है जहां आजकल मिठाईयां फ्रिज से थोड़ा बाहर रही नहीं खराब हो जाती हैं, लेकिन ये मिठाई को आप और मिठाई की तुलना में ज्यादा दिनों तक रख सकते हो, फ्रिज ना भी हो तो भी इसका खराब होने का खतरा कम रहता है, बाकि मिठाईयों के मुकाबले अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिंगौड़ी और चॉकलेट देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी खासी मशहूर है। लोग सौगात के रूप में यही तीन मिठाइयां लेकर यहां से जाते हैं। यहां बाल मिठाई बनाने का इतिहास लगभग सौ साल पुराना है।

इसके स्वाद और निर्माण के परंपरागत तरीके को निखारने का श्रेय मिठाई विक्रेता स्व. नंद लाल साह को जाता है, जिसे आज भी खीम सिंह मोहन सिंह रौतेला और जोगालाल साह के प्रतिष्ठान संवार रहे हैं। अब दोस्तो अपके मन में ये सवाल हो गा कि इसे कैसे बनाते हैं। मैं हलवाई तो नहीं लेकिन जो लोग बताते हैं उसे आप सब के साथ शेयर करता हूं। बाल मिठाई को आसपास के क्षेत्र में उत्पादित होने वाले दूध से निर्मित खोए से तैयार किया जाता है। इसे बनाने के लिए खोए और चीनी को एक निश्चित तापमान पर पकाया जाता है। लगभग पांच घंटे तक इसे ठंडा करने के बाद इसमें रीनी और पोस्ते के दाने चिपकाए जाते हैं, जिसे बाद में छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। ऐसा ही बेजोड़ स्वाद सिंगौड़ी का भी है। सिंगौड़ी मालू के पत्ते में लपेटी जाती है और इसे कोन का आकार दिया जाता है। यहां के परंपरागत व्यजनों का लुत्फ भी सैलानी आसानी से उठा सकते हैं। देखने में यह लिपटे हुए पान की भांति लगती है और दो मिठाईयां भी बनाई जाती हैं जैसे बाल मिठाई को लोग खूब पसंद करते है। वैसे ही लोग सिंगौड़ी , चाकलेट और खुचेआ को खाते हैं अब अल्मोड़ा और अल्मोड़ा की मिठाईयों के कहने क्या वैसे अल्मोड़ा भी बेहद खूबसूरत है उत्तराखंड राज्य में बसा एक सुंदर पहाड़ी शहर है। यह जगह अपने शांत वातावरण, पुराने मंदिरों और संस्कृति के लिए जानी जाती है। कभी जाइगा तो मिठाई जरूर खाइयेगा।