देहरादून: अंकिता हत्याकांड के तीनों आरोपियों के नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से संबंधित मामले की मंगलवार को न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कोटद्वार में सुनवाई हुई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि जब एसआइटी इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है तो अब नार्को टेस्ट करवाने का कोई औचित्य नहीं बनता। वहीं एसआइटी यह भी स्पष्ट नहीं कर पाई है कि आरोपितों का नार्को टेस्ट होना है या पालीग्राफ टेस्ट। अब इस मामले में सुनवाई आगामी पांच जनवरी को होगी। उसी दिन कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।
वहीं, शासकीय अधिवक्ता जितेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आज नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट को लेकर फैसला होना था, लेकिन अब पांच जनवरी तक इंतजार करना होगा। मृतक युवती ने व्हाट्सएप चैटिंग में वीआइपी का जिक्र किया था, जिसके बारे में आरोपित बता नहीं पाए हैं। ऐसे में आरोपों का नार्को टेस्ट करवाना बहुत जरूरी है ताकि पता लग सके कि उस दिन रिसार्ट में कौन वीआइपी आने वाला था। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला पांच जनवरी तक के लिए सुरक्षित रख लिया है। इस बीच कोर्ट आरोपितों से भी उनका पक्ष भी जान सकती है।
बता दें कि 12 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई में तीन आरोपियों में से दो सौरभ और पुलकित ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए नार्को टेस्ट के लिए सहमति प्रदान की थी, जबकि तीसरे आरोपी अंकित ने अदालत से दस दिन का समय मांगा था। इसके बाद 22 दिसंबर की सुनवाई के दौरान तीनों ने आरोपियों के वकील अमित ने अदालत के माध्यम से एसआईटी से सवाल किए थे कि वह ये टेस्ट क्यों कराना चाहती है। पुलिस ने मांग की थी कि पुलकित, सौरभ और अंकित का नार्को व पॉलीग्राफ टेस्ट कराना जरूरी है। आरोपियों ने वीआईपी गेस्ट की जानकारी छुपाई है। साथ ही पुलकित के मोबाइल की जानकारी भी नहीं दी जा रही है। लिहाजा पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट की अनुमति दी जाए।