कौन है उत्तराखंड की Aditi Sharma | Transgender Antarnparuner Uttarakhand | Uttarakhand News

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उत्तराखंड में एक ट्रांसजेंडर ने कुछ ऐसा किया… जो ना सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश के लिए मिशाल बन गया
अदिति शर्मा उत्तराखंड की पहली ट्रांस महिला… जिसने ‘बधाई’ से तोड़ा नाता… स्वाभिमान के साथ खोला खाता… शुरू कर दिया ‘निवाला प्यार का’
अदिति की कहानी है इंटरेस्टिंग… हर किसी को सुनना चाहिए गौर से… अदिति की कहानी समाज को बदलने के लिए है काफी

एक ट्रांसजेंडर जिसने हमारे समाज में ट्रांसजेंडर लोगों को मांगने खाने और गाने बजाने तक ही सीमित रखा जाता है… लेकिन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक ट्रांसजेंडर ने सबसे हटकर वो कर दिखाया है जो अभी तक पूरे उत्तराखंड में किसी ने नहीं किया है…अदिति ने एक ऐसा मिशाल पेश किया… जो ना सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश में चर्चा का विषय है… जिसने भी अदिति के जज्बे को देखा… उसकी जुबां पर बस बात यही है… अदिति ने समाज को बदलने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाया… ट्रांसजेंडर कम्युनिटी से आने के बाद भी अदिति शर्मा एक ऐसे रास्ते पर चल रही है… जो इंस्पायरिंग है… लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए अदिति को किन किन स्थितियों से गुजरना पड़ा… आइए आपको तफ्शील से बताते हैं…
उत्तरकाशी के बड़कोट के छोटे से गांव से रखने वाली अदिति शर्मा उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। अदिति का जन्म बड़कोट के एक छोटे से गांव में हुआ। परिवार ने उनका नाम सुनील रखा था। लेकिन जैसे जैसे वह समाज के बीच जाने लगी, उन्हें कई तरह की बातों का सामना करना पड़ा। उनका कहना है कि उन्होंने बचपन में इन बातों के अलावा कई तरह के शोषण को झेला। इसके बाद परिवार ने भी उनसे दूरी बनानी शुरू कर दिया। लेकिन वे हारी नहीं। अपने कम्यूनिटी के बीच पहुंची तो यहां भी दूसरी तरह का नजरिया झेलना पड़ा। किसी तरह से खुद को इस समाज में फिट करने की कोशिश की। पहाड़ों में गांव में जाकर बधाई मांगना और लोगों की खुशी में शामिल होने की कोशिश करती रही। इस बीच एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने अदिति की जिदंगी बदल दी… दरअसल अदिति पहाड़ के एक दूरस्थ गांव में बधाई मांगने गई… परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी… जहां उनकी कम्यूनिटी के लोगों ने पैसे न मिलने पर काफी हंगामा किया… दुल्हन रोते हुए अपने पैसों की माला तोड़कर उन्हें किसी तरह पांच हजार रूपए इकट्टा कर दिए… ये देख अदिति को काफी दुख हुआ… उन्होंने फैसला लिया कि किसी के घर में झाडू पौछा कर लगा लेंगी लेकिन इस तरह किसी से पैसे नहीं मांगेगी… इसके बाद अदिति की ओर से एक प्रयास किया गया… स्वरोजगार की ओर अदिति का ध्यान गया… अदिति ने धीरे धीरे सामाजिक संस्था और सरकारी विभागों से मिलकर स्वरोजगार तलाश किया… आखिरकार पीएमईजीपी प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उन्हें स्वरोजगार की ट्रेनिंग ली… जिसमें खाद्य जिला ग्राम उद्योग अधिकारी की भी काफी मदद मिली… ट्रेनिंग के बाद अदिति ने एक फूड वैन खरीदा और देहरादून के पथरीबाग पर चलाने की परमिशन ली है.. फूड वैन का नाम अदिति ने रखा है निवाला प्यार का।​जो कि लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
अदिति ने अपने फूड वैन में पत्ते वाली मैगी, मोमोज, सें​डविच, बड़ा पाव, चाऊमीन, अरहर की दाल और चावल, राजमा चावल, कूल्हड़ वाली चाय आदि कई पकवान शामिल हैं… जल्द ही वह पहाड़ी व्यंजन भी इसमें शामिल करेंगी। अदिति ने इस फूड वैन में अपने साथ 4 से 5 लोगों को जोड़ा है… उनको भी अदिति रोजगार दे रही हैं… ये सब अदिति के कम्यूनिटी के लोग हैं… फूड वैन के लिए उन्हें सरकारी विभाग ने काफी मदद की… उन्हें इसके लिए लोन नहीं मिल रहा था। ये वैन उन्होंने साढ़े चार लाख रूपए में खरीदा है… जो कि पीएनबी से लोन करवाया है। अदिति का कहना है कि इस काम को शुरू करने में उनको अपनी ही कम्यूनिटी के विरोध का सामना करना पड़ा है…वो कहती है कि भले ही समाज में आज ट्रांसजेंडर के लिए काफी कुछ बदला है। लेकिन अभी भी समाज को काफी बदलने की जरूरत है… जिससे उनकी कम्यूनिटी के लोग भी आगे आकर अपना काम शुरू कर सकें