न्याय मांगने के लिए गोल्ज्यू के दरबार में आया गुलदार | Golu Devta Mandir | Uttarakhand News

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न्याय के देवता के दरबार में जब वो आया… खुद को उनके सामने किया नतमस्तक… उन्हें जीभरकर देखा और चल दिया
गोल्ज्यू देवता जिनके दरबार में अब तक लोगों ने लगाई अर्जी… अब अर्जी लगाने के लिए गुलदार आया….
न्याय मांगने के लिए गोल्ज्यू के दरबार में आया गुलदार !…गुलदार की ओर से न्याय के देवता को लगाई गई अर्जी का मिल गया सबूत !

नैनीताल से एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ है… जिसमें न्याय के लिए विख्यात गोल्ज्यू देवता के शरण में वो आया… जिसकी तस्वीर आप देखेंगे तो हैरान हो जाएंगे… रात का घना अंधेरा था… आसपास लोगों की मौजूदगी नहीं थी… सिर्फ गोल्ज्यू देवता की महिमा थी… और उनके सामने इन दिनों उत्तराखंड पहाड़ से लेकर मैदानी इलाकों में लोगों के अंदर दहशत का पर्याय बने एक जीव का सदस्य दिखा…जीहां गुलदार ने मंदिर परिसर के अंदर एक अलग ही अंदाज में एंट्री मारी… ऐसा लग रहा है… रात के अंधेरे में मंदिर में ये गुलदार भी शायद कोई अर्ज़ी लगाने पहुंचा हो… वो कुछ देर न्याय के देवता के दरबार में रुका और पिर धीमे कदमों से निकल गया… ये नजारा वहां लगे सीसीटीवी कैद हो गया..
दरअसल नैनीताल में भवाली के घोड़ाखाल मंदिर परिसर में मौजूद न्याय के देवता गोल्ज्यू मंदिर है… यहां एक व्यस्क गुलदार घूमता हुआ सीसीटीवी में कैद हुआ है… बीते रोज तड़के सवेरे के इस वीडियो में गुलदार मंदिर परिसर में घूमता हुआ गोल्ज्यू देवता के मंदिर पास जाकर एक पल के लिए रुकता है… मानों वो कुछ प्रार्थना कर रहा हो… इसके बाद वो बेशुमार घंटियों वाले खुले क्षेत्र से गुजरता हुआ बाहर निकलता दिख रहा है… वीडियो 29 जनवरी के सवेरे 3 बजकर 44 मिनट का है… चारों तरफ जंगल और सैनिक स्कूल की सीमा से घिरे मंदिर में गुलदार कुछ देर रुकने के बाद बाहर चला गया… ठंड के मौसम गुलदार की सक्रियता बढ़ी हुई है… मैदानी और पहाड़ी इलाकों में सीसीटीवी की मजबूत व्यवस्था होने की वजह से ये गुलदार दिख जाते हैं…
घोड़ाखाल में मौजूद इस मंदिर के अंदर सेफेद घोड़े में सिर पर सफेद पगड़ी बांधे गोलू देवता की प्रतिमा है, जिनके हाथों में धनुष बाण है… इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु न्याय मांगने के लिए आते हैं… गोलू देवता को स्थानीय संस्कृति में सबसे बड़े देवता के तौर पर पूजा जाता है… मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं। जब कहीं सुनवाई नहीं होती तो भक्त चितई गोलू मंदिर में चिट्ठी लिखते हैं… यही नहीं बहुत से भक्त स्टांप पेपर पर अपनी परेशानी और मनोकामना लिखकर न्याय मांगते हैं… पूरे मंदिर में अनगिनत घंटे-घंटियां और चिट्ठी-स्टांप टंगे मिलेंगे… इससे लोगों के गोलू देवता पर अपार श्रद्धा और अटूट विश्वास का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
आपको बता दे कि ऋग्वेद में हिमालय क्षेत्र को देवभूमि कहा गया है, जिसमें वर्तमान में उत्तराखंड का पूरा भूभाग सम्मिलित है… देवभूमि में जगह-जगह देवताओं का वास है… यहां के एतिहासिक मंदिर भी किसी न किसी तरह से प्रसिद्ध हैं… इसी तरह से पूरे कुमाऊं में गोलू, गोल्ज्यू या ग्वेल देवता बहुत प्रसिद्ध हैं…ये न्याय के देव और कुमाऊं के राजा कहे जाते हैं… मान्यता के अनुसार चंद वंश के एक सेनापति ने 12 वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण करवाया था… न्याय के देव गोलू देवता को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं… उनमें से सबसे प्रसिद्ध है कि यहां पर कत्यूरी वंश के शासकों का 7वीं से 12वीं सदी तक राज था… गोलू महराज कत्यूरी वंश के राजकुमार या सेनानायक थे… वह बहुत ही साहसी योद्धा थे… जब उनका जन्म हुआ तो अन्य रानियों ने ईर्ष्या के चलते उन्हें नदी में फेंक दिया और वहां एक पत्थर रख दिया… उन्हें एक मछुआरे ने बचाया… बाद में उन्होंने रानियां को दंड दिया… समय बीतने पर पर वो राजा बने और बहुत न्यायप्रिय हुए… इसके बाद वह त्वरित न्याय के लिए प्रसिद्ध हो गए…