पहाड़ की बेटी ने जब सपनों की भरी उड़ान | Jayanti Thapliyal | Uttarakhand News

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पहाड़ की बेटी ने जब सपनों की भरी उड़ान… तब देश का बढ़ गया मान
जयंती थपलियाल ये नाम ऐसा है… इनके संघर्षों से भरे जज्बे की कहानी ऐसी है… सुनेंगे तो यही कहेंगे जिंदगी की जंग तो इसी तरह से जीती जाती है !
अमेरिका देखेगा उत्तराखंड की बेटी का दम… विरोधी जरूर होंगे इस लड़ाई बेदम !

पहाड़ की आवोहवा ही ऐसी है… जिससे जिसकी जिंदगी का वास्ता होता है… उसका अंदाज भी अपनी जिंदगी को जीने का कुछ ऐसा ही होता है… जयंती थपलियाल, जिनका नाता उत्तराखंड से है… जो उत्तराखंड के पौड़ी की रहने वाली है… उन्होंने जब अपने सपनों को उड़ान देने का प्रयास किया तो उनके सामने ढेर सारी दुश्वारियां, कठनाईयां आयी… जिंदगी ने अलग अलग तरीके से परीक्षा ली… और जयंती ने हर परीक्षा को निर्भीकता से पास किया… वो अपनी ही धुन में रमी रही… ठीक पहाड़ की तरह… पहाड़ ने उनकी जिंदगी को सीख दी… लड़ना सीखाया… संर्घष की हर सीमाओं से वाकिफ कराया… अपने टढे मेढे रास्ते के जरिए बताया… जिंदगी टेढी मेढी ही है… इस पर ठीक उसी तरह से चलना है… जैसे मेरे रास्ते पर चलते हो…. जयंती थपलियाल ने ऐसा ही कुछ किया… वो संघर्षो बाधाओं को एक एक कर पार करती चली गई… ऐसे करते करते थपलियाल ने अपनी जिंदगी में एक ऐसे अचीवमेंट को हासिल किया है… जिससे ना सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश का नाम रोशन हुआ है…बचपन से ही अभावों में जीवन यापन करने वाली जयंती का बैंक ऑफ अमेरिका की ओर से आयोजित बोस्टन मैराथन की 128वीं दौड़ के लिए चयन हुआ है…. अब जयंती अप्रैल महीने में आयोजित होने जा रही दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित 128वीं बोस्टन मैराथन में दौड़ लगाती नजर आएगी…. इस मैराथन का आयोजन 15 अप्रैल को हो रहा है…
आपको बता दें कि जयंती थपलियाल का जन्म 1978 में उत्तराखंड के पौड़ी जिले में हुआ था… उनके पिता दिल्ली में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे. 7 साल की उम्र में वो परिवार के साथ दिल्ली आ गई थीं… जयंती अपने तीन भाई बहन में से एक है… तीनों ही स्पोर्ट्स में रुचि रखते हैं…. पिता की सैलरी इतनी नहीं थी कि वो अच्छे स्टेडियम में प्रैक्टिस करा सके और कोच की फीस भर पाए…. लिहाजा, पैसे के अभाव में जयंती दिल्ली से बाहर किसी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाती थी, लेकिन इसके बावजूद जयंती कॉलोनी और स्कूल की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती रही… जहां से उसे जीत मिलती रही और हौसला अफजाई होता रहा…. जयंती थपलियाल की मानें तो उनके भाई ही प्रेरणा स्रोत रहे हैं… जयंती ने 128वीं बोस्टन मैराथन में चयन होने पर खुशी जताई है….
जयंती थपलियाल ने 12 साल की उम्र में ही त्यागराज स्टेडियम जाना शुरू कर दिया था…. साल 1993 में राष्ट्रीय स्कूल खेलों में हिस्सा लिया…. साल 1994 में जूनियर नेशनल कैंप का हिस्सा रहीं… जबकि, साल 1996 में सीनियर इंटर स्टेट में पीटी ऊषा, केएम बीनामोल जैसी अंतरराष्ट्रीय दिग्गजों के साथ खेलने का मौका मिला…. वहीं, साल 1999 में स्पोर्ट्स कोटे से जयंती ने डिफेंस सेक्टर में ज्वाइन किया…. जयंती रक्षा मंत्रालय में कार्य करती हैं… उनके पति भी नौकरी करते हैं… उनका एक बेटा भी है… जयंती थपलियाल 6 बार की एडीएचएम स्वर्ण पदक विजेता हैं…. वेदांता हाफ मैराथन में जयंती ने अपनी एज कैटेगरी में पहला स्थान प्राप्त किया था… वहीं, स्थानीय लोगों ने पहाड़ की बेटी की इस उपलब्धि पर खुशी जताई है…