उत्तराखंड में मंदिरों को लेकर डराने वाली रिपोर्ट | Uttarakhand News

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उत्तराखंड में हैरान करने वाला मामला…जानवर ही नहीं मंदिर भी बिलुप्त होने चला !
देवभूमि के 2 मंदिर बन गए रहस्य…न मंदिर बचा और न ही मंदिर के अवशेष !
रिपोर्ट में हुआ चौकाने वाला खुलासा…मंदिरों के लापता होने पर हैरान करने वाला राज !

प्राकृतिक छटाओं और सुंदरता से लबरेज उत्तराखंड देश का सबसे सुंदर प्रदेश है….उत्तराखंड में ऊंचे हरेभरे पहाड़ तो वहीं कई धार्मिक स्थल भी है…यहां के धार्मिक स्थलों में ऋषिकेश, हरिद्वार, केदारनाध, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री जैसे करीब 142 मंदिर हैं…तो सोचिए ऐसे प्रदेश की खूबसूरती पर किसकी नजर लग सकती है…लेकिन ऐसी हुआ है…जब आप सुनेंगे तो रातों की नींद आपकी खो जाएगी…क्योंकि जो हम आपको बताने जा रहे हैं…ये आपको कहीं नहीं मिलेगी…सिर्फ इस रिपोर्ट में ही….उत्तराखंड से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है…देवभूमि में भी ऐसा होगा..ये किसी ने नहीं सोचा था…अभी तक जानवरों को लेकर रिपोर्ट्स आती रही हैं कि…बिलुप्त होते जा रहे हैं..या फिर हो गए हैं…लेकिन अब धीरे धीरे पहाड़ के मंदिर पर भी ग्रहण लगता जा रहा है…आज हम उत्तराखंड के कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताएंगे जो कभी जमीन पर हुआ करते थे…लेकिन वक्त के साथ साथ अनदेखी की मार झेलकर ये मंदिर अब कहां हैं..जब ये आप जानेंगे तो पैरों तले जमीन खिसक जाएगी…क्योंकि ऐसा संभव नहीं है कि..मंदिरों को आसानी से शिफ्ट किया जा सके…क्योंकि पहले के ऐसे टेक्निकल संसाधन नहीं थे..जो आसानी से मंदिरों को शिफ्ट करने में मदद करें…लेकिन फिर अचानक ऐसा कुछ हो जाता है कि….लोगों में हड़कंप मच जाता है…आस्था से जुड़े लोग और जो कभी मंदिरों में जाकर मत्था टेकते थे…वो भी अब मंदिर को ढूंढने को मजबूर हैं…पहाड़ की शांत वादियों में कोई तो ऐसा है जो धीरे धीरे इन घटनाओं का जिम्मेदार है…क्योंकि अगर किसी भी मंदिर को संरक्षण नहीं मिल सकता तो फिर बिलुप्त हो रहे जानवरों को बचाने का जो अभियान चलता है…इसी तरह मंदिरों को लेकर भी कुछ किया जा सकता था…लेकिन जब मंदिरों की तलाश होती है…कई राज खुद सामने आ जाते हैं….

उत्तराखंड में मंदिरों का बाढ़ कर सकते हैं…क्योंकि इस प्रदेश को देवों की भूमि यानी देवभूमि भी कहा जाता है…इसी उत्तराखंड में कभी कुटुंबरी मंदिर और वैराटपट्टन मंदिर भी हुआ करता था…लेकिन अफसोस कि बदलते वक्त के साथ ये दोनों प्राचीन मंदिर नक्शे से गायब हो गए हैं…जी हां आपको थोड़ी हैरानी होगी कि..नक्शे से गायब हैं तो क्या हुआ जमीन पर तो होंगे…लेकिन जब आगे की राज जानेंगे तो थोड़ी नहीं पूरे तरह से हैरान हो जाएंगे…..सबसे पहले कुटुंबरी मंदिर के बारे में आपको बताते हैं…कुटुंबरी मंदिर अल्मोड़ा के द्वाराहाट में एक ऊंची पहाड़ी पर था….सात मंदिरों के साथ इसे भी एएसआई ने 26 मार्च 1915 को संरक्षित किया था…आखिरी बार 1957 में अभिलेखों में इसका जिक्र मिला था….इसके बाद साल 1964 में जमीन पर मंदिर के बहुत कम भौतिक साक्ष्य मिले….धीरे-धीरे मंदिर नक्शे से मिटता चला गया…..

वहीं रामनगर में कार्बेट टाइगर रिजर्व के पास ढिकुली का वैराटपट्टन मंदिर भी अब इतिहास बनकर रह गया है…साल 2013 में एक शिवालय के अवशेष मिलने के बाद एएसआई ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया था….लेकिन धीरे-धीरे यहां के अवशेष भी गायब हो गए…अब एएसआई ने इसे मिसिंग स्मारक की सूची में शामिल किया है….ये दोनों मंदिर देश के खोए हुए 50 स्मारकों की सूची में शामिल हैं….वैराटपट्टन 7वीं शताब्दी में एक राजधानी क्षेत्र था जहां अब घने जंगल हैं…दूसरी ओर एएसआई की टीम जल्द ही चकराता के रोमन शैली में बने ऐतिहासिक स्कॉटिश और एंगलिक चर्चों का संरक्षण करने जा रही है…..इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है…

दरअसल इन मंदिरों को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई की रिपोर्ट में ये बात सामने आई है…एएसआई देहरादून सर्किल की टीम ने इनका निरीक्षण किया है….. बताया जाता है कि कुटुंबरी मंदिर को आठवीं शताब्दी में कत्यूरी शासकों ने बनवाया था…. ये भी पता चला है कि मंदिर के अवशेषों का इस्तेमाल लोगों ने अपने घरों में कर लिया है….