काशी टनल में फंसे 41 मजदूरों का पहला VIDEO | Uttarakhand Tunnel Collapse

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उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों का पहला VIDEO… मजदूरों के चेहरे पर आई मुस्कान देखकर दिल खुश हो जाए
भूखे मजदूरों ने पहली बार जीभरकर खाया… बोतल में भरकर पहली बार गर्म खिचड़ी भेजी गई
पेट की भूख मिटी… तो फिर ताकत के लिए भेजा गया जूस… सुरंग के अंदर कैसे हैं मजदूर… पूरा हाल जानिए

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 10 दिन से फंसे 41 मजदूरों का मंगलवार सुबह 3 बजकर 52 मिनट पर पहला फुटेज सामने आया… 6 इंच चौड़ी नई पाइपलाइन के जरिए रविवार यानी 19 नवंबर को एंडोस्कोपिक कैमरा अंदर भेजा गया था… इसके जरिए मजदूरों से बातचीत की गई… उनकी गिनती भी की गई… सभी मजदूर सुरक्षित हैं… इसी 6 इंच वाली पाइप से मजदूरों के लिए 20 नवंबर की रात को 24 बोतल में खिचड़ी और दाल भेजी गई… 9 दिन बाद पहली बार मजदूरों को गर्म खाना भेजा गया… इसके अलावा संतरे, सेब और नींबू का जूस भी भेजा गया… मजदूरों की हर एक्टिविटी का पता लगाने के लिए अब दिल्ली से हाईटेक CCTV मंगाए जा रहे हैं… उनको अंदर भेजकर मजदूरों से सेट करवाया जाएगा…
इसके अलावा सोमवार को रेस्क्यू ऑपरेशन में दो अहम सफलता मिली… पहली, 6 इंच चौड़ी नई पाइपलाइन डाली गई.. दूसरी, ऑगर मशीन के साथ काम कर रहे मजदूरों को किसी अनहोनी से बचाने के लिए रेस्क्यू टनल बनाई जा चुकी है… एक्सपर्ट ने अंदर फंसे लोगों से क्या कहा…

एक्सपर्ट: वॉकी-टॉकी को ऑन करें।
एक्सपर्ट: शबा जी वॉकी टॉकी को ऑन करें।
एक्सपर्ट: शबा आवाज आ रही है क्या?
एक्सपर्ट: सभी खुश लग रहे हैं, हंस रहे हैं… पाइप पर पानी डाला तो खुल गया… वहां धूल क्यों दिख रही है… उसे बोलो कैमरे के स्क्रीन को थोड़ा रूमाल या कपड़े से साफ करे…
एक्सपर्ट: कैमरे पर सभी लोगों को दिखाओ… एक-एक करके गिनती करके साइड हो…
एक्सपर्ट: शबा जी आप पाइप के पास आकर वॉकी-टॉकी से बात करें… अब कैमरा बंद कर रहे हैं… कंप्रेसर से पीछे हट जाएं

ये बातचीत एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरा के जरिए हुई…इसी एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे को पाइप के जरिए मजदूरों तक भेजा गया..बहरहाल 9वें दिन पहाड़ में तीन जगह ड्रिलिंग की गई… टनल के दूसरे मुहाने पर टीएचडीसी ने हल्के ब्लास्ट के जरिए 880 मी. टनल बनानी शुरू की है… दूसरी ड्रिलिंग पुरानी जगह हुई… तीसरी टनल के साइड थे… 84 मी. वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारी हो गई है… डीआरडीओ के माइक्रो ड्रोन और रोबोट दक्ष भी मलबे और टनल लाइनिंग के बीच के स्पेस से रास्ता ढूंढ रहे हैं…
दो गर्डर गिरने से मलबा गिरा और मजदूर फंस गए
सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल हादसे से वही एक और जानकारी आई है…जिसके मुताबिक टनल के 60 मीटर हिस्से में मलबा गिरने की वजह प्राकृतिक नहीं, मानवीय है… 12 नवंबर की सुबह करीब साढ़े पांच बजे जब मलबा गिरना शुरू हुआ, तब मौके पर एक डंपर भी था… ये खुलासा हादसे के दौरान डंपर से कूदकर जान बचाने वाले एक मजदूर ने किया है… उसने बताया, पिछले कुछ दिनों से सुरंग के मेन गेट से 200 से 270 मीटर अंदर मलबा गिर रहा था… इसे रोकने के लिए कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंजीनियरों ने लोहे के गर्डर लगा दिए थे। दो गर्डर टनल की दीवार के सहारे और एक इनके ऊपर लगाया था… हादसे वाले दिन यानी 12 नवंबर को डंपर सुरंग से मलबा लेकर बाहर आ रहा था… इसी बीच, उसका पिछला हिस्सा गर्डर से टकरा गया…. वो डंपर में खिड़की की तरफ था… टकराने की आवाज सुनते ही कूदकर भागा फिर पीछे देखा तो सुरंग मलबे से भर गई थी और डंपर भी दबा था… ड्राइवर भागा या नहीं, उसे नहीं पता… इस मजदूर की बात की पुष्टि बिहार, झारखंड और ओडिशा के उन मजदूरों ने भी की, जो हादसे से ठीक पहले बाहर निकले थे….