140 करोड़ लोगों का प्यार ‘Gulabi Sharara’ चंद मिनटों में क्यों हुआ गायब | Uttarakhand News

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‘गुलाबी शरारा’ पर बड़ा प्रहार… चंद मिनटों में गायब हुआ 140 करोड़ लोगों का प्यार
दिलों की धड़कन ‘गुलाबी शरारा’ पर बड़ा अटैक… कोई है जो इसकी लोकप्रियता से पूरी तरह से जला…
गुलाबी शरारा जिसने विदेशों में भी मचाई धूम…क्यों हटाया यूट्यूब से इंद्र आर्य का गुलाबी शरारा गीत… जाने वजह

देश विदेश के लोगों को जिस पहाड़ी गीत ने थिरकने को मजबूर किया था और हर किसी की जुबां पर बस यही गीत सुनने को मिलता था… आज उसी गुलाबी शरारा गीत की लोकप्रियता पर चोट किया गया… लोगों के दिलों से इस लोकप्रिय गीत को हटाने के लिए एक ऐसा रास्ते को अपनाया गया… जिसे सुनेंगे तो चौंक जाएंगे… एक ऐसे इल्जाम की जद गुलाबी शरारा को लाया गया… इल्जाम लगाने वाले के तर्क को सुनेंगे तो यही कहेंगे क्या बकवास है… तेजी से ट्रेंड में आए कुमाऊंनी गीत गुलाबी शरारा की जिसको यूट्यूब से हटा दिया गया है… कुछ महीनों पहले उत्तराखंड के मशहूर गायक इंद्र आर्य का एक गीत आया था “गुलाबी शरारा” जिसने उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश दुनिया में तहलका मचा रखा था… बहुत कम समय में इस गीत पर 140 मिलियन व्यूज आ गए थे जिसने कहीं ना कहीं उत्तराखंड संगीत जगत में एक अलग कीर्तिमान स्थापित किया था…बॉलीवुड के कलाकार से लेकर तमाम विदेशी लोग इस गीत पर reels बना रहे थे लेकिन संगीत प्रेमियों को एक बहुत बड़ा झटका लगा है… और वो इसलिए लगा है कि यूट्यूब से अब इंद्र आर्य का गीत गुलाबी शरारा हटा दिया गया है… इस गीत के हटने से काफी लोग मायूस हैं… सबके जेहन में सवाल है… क्या अपने ही उत्तराखंड के लोग अपने पहाड़ के गायक को उभरता हुआ देखना पसंद नहीं करते हैं? क्या देश विदेश में उत्तराखंड की बोली भाषा का डंका बजाने वाले इस गीत को इस तरह स्ट्राईक देना उचित है…तमाम तरह के सवालों की सोशल मीडिया पर बाढ़ सी आ चुकी है…
यह खबर आपके लिए जितनी चौंकाने वाली है उतनी ही इसके गायक इंद्र आर्य के लिए भी जिन्होंने इस गीत के लिए बहुत मेहनत की थी… इंदर आर्य के सुप्रसिद्ध गीत को कॉपीराइट स्ट्राइक मिलने के बाद से गुलाबी शरारा को यूट्यूब चैनल से हटा दिया गया है… वहीं गायक इंदर आर्या ने भी गीत को हटाएं जाने पर अपना दुख सोशल मीडिया के माध्यम से बयां किया है कि किस तरह 140 मिलीयन लोगों का प्यार मिट्टी में मिला दिया गया है… उन्होंने इस गीत के लिए दिन रात मेहनत की थी और आज अपने ही लोगो को उनकी देश विदेश में फेम और सफलता नहीं पची… अगर गीत के हटाएं जाने के कारणों पर जाएं तो एक पुराने पहाड़ी गीत से इसकी धुन मिलना बताया जा रहा है। इसके बाद से इंदर आर्या के इस सुप्रसिद्ध गीत को स्ट्राइक दे दी गई…ये भी बताया जा रहा है कि गीत कोई गढ़वाली है और उसकी कुछ धून गुलाबी शरारा से मिलती है…
खुद इंद्र आर्य ने भी सोशल मीडिया पर एक भावुक वीडियो साझा की है जिसमें उन्होंने अपने दुख को दुख दर्द को बयां किया है…इंदर आर्य का कहना है कि ये गीत मेरा नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड के लोगों का था और उत्तराखंड के लोग इस जीत पर गर्व करते थे लेकिन “चंदा पहाड़ी” नाम के एक यूट्यूब चैनल ने इसे कॉपीराइट देकर हटा दिया है और साथ ही ये कहा कि एक उत्तराखंड के पुराने प्रसिद्ध गायक हैं उनके गीत से इसकी धुन मिलती थी जिस पर इंद्र आर्य ने आपत्ति जताते हुए कहा कि वैसे तो लगभग हर गीत की धुन थोड़ा बहुत हर किसी गीत से मिलती है लेकिन इस तरह से गीत को हटाना जायज नहीं है,140 मिलियन लोगों का जो प्यार था वो पल भर में ढेर हो गया है. इंद्र आर्य सहित इस गीत की पूरी टीम भी काफी निराश है…. साथ ही साथ जो लोग इस गीत को पसंद करते थे उन्हें भी कहीं ना कहीं भावुकता देखी जा रही है… फिलहाल यूट्यूब से जिस ऑफिशल चैनल पर ये गीत रिलीज हुआ था वहां से हट चुका है… अब कोशिश हो रही है…ये गीत इंद्र आर्य की ये गीत फिर से उसी पेज पर आ जाए…
उत्तराखण्ड संगीत जगत को क‌ई सुपरहिट गीत देकर देश विदेश के लोगों को भी थिरकने के लिए मजबूर करने वाले युवा गायक इंदर आर्य आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है… जैसे ये गीत अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा हैं… ये ठीक वैसा ही है… जैसा कभी इंद्र आर्य की जिंदगी के साथ खेल हुआ था… अंतराष्ट्रीय जगत में धूम मचाने वाले खूबसूरत कुमाऊनी गीत गुलाबी शरारा को अपनी मधुर आवाज देने वाले युवा गायक इंदर आर्य कभी शेफ थे… अपने संघर्षपूर्ण जीवन के दिनों को याद करते हुए इंदर ने कहा था… उन्होंने करीब 15 सालों तक राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के कई होटलों में बतौर शेफ काम किया था… हालांकि उन्होंने गीत संगीत के गुण बचपन में ही अपनी मां से सीखे थे, जो बहुत सुरीली आवाज में पहाड़ी गीत गुनगुनाती रहती थी… जिस कारण वो भी बचपन से ही गीत गुनगुनाने लगे थे परन्तु उन्होंने संगीत जगत में कैरियर बनाने के बारे में कभी सोचा भी नहीं था…मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के दन्या के पास मौजूद बागपाली गांव निवासी इंदर ने यही से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की… पहाड़ के एक बेहद गरीब और सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले इंदर ने इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद नौकरी की तलाश में बड़े बड़े शहरों की ओर रुख किया और बतौर शेफ होटल में नौकरी शुरू कर दी… इसी दौरान जब वह अंबाला के एक होटल में शेफ की नौकरी करते थे तो उनके सहकर्मियों ने पहली बार उन्हें गाने के लिए प्रेरित किया… सहकर्मियों के प्रोत्साहन से ही उन्होंने साल 2018 में गायन के क्षेत्र में कदम रखा। जिसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा