2 महीने पहले ही उत्तराखंड में खिल गया ये फूल | Burans Flower | Uttarakhand News

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उत्तराखंड में वैज्ञानिक हैरान… सोच में पड़ गए… अभी तो इसका वक्त नहीं आया… फिर वक्त से पहले क्यों आ गया…
2 महीने का अभी वक्त था… लेकिन 2 महीने पहले ही खिलने लगे ये फूल… लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट तो आयी… लेकिन हैरान होने की वजह मिल गई
इस फूल के वक्त से पहले आने से उठने लगे कई सवाल… पहला और आखिरी सवाल यही… क्या इसमें जो ताकत है, जिसके लिए ये है विख्यात, खत्म जाएगी वो प्रसिद्धि

उत्तराखंड में 12 माह प्रकृति की अनुपम छटा बिखरी रहती है… पर बसंत ऋतु की बात ही कुछ और है, इस ऋतु के आने पर पहाड़ों की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है… माघ, फागुन, चैत्र, बैशाख के महीनों में यहां मौसमी फलों, फूलों आदि की प्रचूरता बढ़ जाती है… इन्हीं महीनों में खिलने वाला एक मौसमी फूल है… जिससे मार्च और अप्रैल के महीनों में पहाड़ इसके फूलों के रंग से सराबोर हो जाते हैं…ये है उत्तराखंड के राज्य वृक्ष बुरांश के फूल… अब इस फूल के आने का वक्त नहीं था… लेकिन ये वक्त से पहले आ गया… दो महीने बाद इसे आना था… लेकिन दो महीने पहले आ गया… पहाड़ में बुरांश के वृक्ष में फूल आने से एक अलग ही तरह चमक तो आयी… लेकिन इसके आने से हैरानी हुई… क्योंकि ये जिसके लिए विख्यात है… क्या उसकी ताकत अब कम हो जाएगी…. इस सवाल से पहले जानिए बुरांश के फूल से क्या फायदे हैं…
बुरांश उत्तराखंड का राजकीय वृक्ष है, जबकि ये हिमाचल और नागालैंड का राजकीय पुष्प भी है…बुरांश का वानस्पतिक नाम रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम एसएम है… बुरांश को अंग्रेज़ी में रोडोडेंड्रोन और संस्कृत में कुर्वाक के नाम से भी जाना जाता है… ‘रोडोडेंड्रोन’ दो ग्रीक शब्दों से लिया गया है, ‘रोड’ का अर्थ है ‘गुलाबी लाल’ और ‘डेंड्रोन’ का अर्थ है ‘पेड़’ में खिलने वाले गुलाबी लाल फूलों से है… मार्च-अप्रैल के महीनों में बुरांश के फूलने का समय है… उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में बुरांश की आर आर्पोरियम नामक प्रजाति पाई जाती है…ये प्रजाति कुमाऊं और गढ़वाल के हिमालयी क्षेत्र में बहुत अधिक पाई जाती है।
बुरांश एक सदाबहार पेड़ है जो समुद्र तल से 1500-3600 मीटर की ऊंचाई पर उगता है… ये 20 मीटर तक ऊंचा होता है, जिसमें खुरदरी और गुलाबी भूरी छाल होती है। पत्तियां शाखाओं के सिरे की ओर भरी हुई, तिरछी-लांसोलेट और सिरों पर संकुचित, ऊपर चमकदार, नीचे सफेद या जंग के सामान भूरे रंग के होते हैं… फूल कई हिस्सों में, बड़े, गोलाकार, गहरे लाल या गुलाबी रंग के होते हैं… बुरांश मूल रूप से भारतीय है, ये पूरे हिमालयी इलाकों में फैला हुआ है.. बुरांश के पेड़ की लकड़ी का उपयोग ईंधन के रूप में और लकड़ी का कोयला बनाने के लिए किया जाता है… उत्तराखंड में पारंपरिक उपयोग के तौर पर बुरांश के फूल की पंखुड़ियों का उपयोग खाने में किया जाता है… इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है… लगभग सभी धार्मिक कार्यों में देवताओं को बुरांश के फूल चढ़ाए जाते हैं… ये हवा को भी शुद्ध करता है… बुरांश के फूलों से बना शरबत हृदय रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है… इन पंखुड़ियों का उपयोग सर्दी, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और बुखार को दूर करने के लिए किया जाता है… स्थानीय लोग इसका इस्तेमाल स्क्वैश और जैम बनाने में करते हैं… साथ ही इसकी चटनी को आज भी ग्रामीण इलाकों में पसंद किया जाता है… बुरांश के औषधीय उपयोग में सिर दर्द का कम करने के लिए कोमल पत्तियों को माथे पर लगाया जाता है… फूल और छाल का उपयोग पाचन और श्वसन संबंधी विकारों को ठीक करने के लिए किया जाता है… अब जबकि बुरांश के फूल के इतने फायदे हैं… तो समय से पहले आने पर लोगों को टेंशन तो होगी ही…
जनवरी माह में बुरांश का खिलना इसलिए भी हैरत में डाल रहा है क्योंकि आमतौर पर 15 मार्च से 30 अप्रैल के बीच बुरांश के फूल खिलते हैं… समय से दो महीने पहले ही बुरांश के फूल खिल जाने से हर कोई हैरान है… पौड़ी गढ़वाल के थलीसैंण क्षेत्र और चमोली जिले के पोखरी क्षेत्र में बुरांश के फूल खिले देखे गए हैं…. विज्ञानी इस बदलाव को जलवायु परिवर्तन का असर मान रहे हैं… सुर्ख लाल से लेकर मध्यम लाल रंग के बुरांश के फूल हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं…
उत्तराखंड में बुरांश की मुख्यतः चार तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिन्हें वानस्पतिक भाषा में रोडोडेंड्रोन बारबेटम, रोडोडेंड्रोन लेपिडोटम, रोडोडेंड्रोन एरबोरियम और रोडोडेड्रोन केम्पानुलेटम कहा जाता है..
वैज्ञानिकों का दावा है… समय से पहले बुरांश का खिलना मौसम में आ रहे बदलाव का असर है…. मार्च-अप्रैल के समय जलवायु बुरांश के फूलों के लिए सही है… बेमौसम बुरांश खिलने का असर इसके तत्वों पर भी पड़ सकता है… ऐसे में बुरांश के फूल तो खिल रहे हैं, लेकिन इन फूलों के अंदर बनने वाले रसायन ठीक तरह से बन नहीं पाते हैं… इसके औषधीय गुणों पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है.