A daughter of Uttarakhand not only fulfilled her love | Almora | Shraddha Joshi | Uttarakhand News

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उत्तराखंड की एक बेटी ने न सिर्फ प्रेम निभाया, बल्कि अपने सपनों को भी साकार किया। आज उत्तराखंड की पहाड़ के आसमान छू लेने की कहानी के साथ आया हूं। आप कहेंगे ये कहानी शायद पुरानी हो गई है लेकिन दोस्तो इस कहानी प्रेरणा आज भी ताजा है। Shraddha Joshi Insprenal Story दोस्तो एक फिल्म आई और उसने लोगों के दिलों पर अपना जादू चला दिया। एस्पिरेंट से एक अफसर बनने वाले एक शख्स की कहानी को पर्दे पर पिरोया मंझे हुए एक्टर विक्रांत मैसी ने। मै बात कर रहे हैं फिल्म ’12th फेल’ की। इस फिल्म में आईपीएस मनोज कुमार शर्मा की जिंदगी की कठिनाइयों को दिखाया गया था। इस फिल्म में जिसने सबका ध्यान खींचा वो था मनोज शर्मा की पत्नी श्रद्धा शर्मा के किरदार ने 12th फेल फिल्म में श्रद्धा के किरदार को अभिनेत्री मेधा शंकर ने निभाया है, लेकिन मै आज आपको मिलाने जा रहा हूं असली वाली श्रद्धा जोशी से अपने उत्तराखंड की स्रद्धा जोशी से अपनी इस कहानी के जरिए। वो कहते हैं कि हर कामयाब पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है, ये इस कहानी में सटीक बैठता है। श्रद्धा जोशी वो महिला हैं जिन्होंने मनोज कुमार शर्मा के आईपीएस मनोज कुमार शर्मा बनने तक उनकी हर एक कठिनाइयों में उनका साथ दिया। दोस्तो 12वीं फेल मूवी की रियल किरदार श्रद्धा जोशी उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई जीजीआईसी स्कूल अल्मोड़ा से की। श्रद्धा बचपन से ही एक होनहार छात्रा रही हैं। 12वीं में श्रद्धा की 13वीं रैंक आई थी।

आज श्रद्धा हर किसी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। आईआरएस श्रद्धा जोशी ने राजा आनंद सिंह राजकीय बालिका इंटर कॉलेज से अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए बाहर चली गईं थीं। बता दें कि पहले उत्तराखंड अलग राज्‍य नहीं था बल्कि उत्तर प्रदेश कहलाता था,लिहाजा उन्‍होंने 12वीं यूपी से ही की है। आईआरएस श्रद्धा जोशी जीजीआईसी स्कूल अल्मोड़ा में उस वक्‍त भी चर्चा में रहती थीं। वह बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थीं। आईआरएस श्रद्धा जोशी ने 12वीं क्‍लास में राजा आनंद सिंह राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में 13वीं रैंक हासिल की थी आईआरएस श्रद्धा जोशी ने पांचवीं तक की पढ़ाई शिशु मंदिर से की थी। जबकि वह 12वीं जीजीआईसी स्कूल अल्मोड़ा से किया है। जीजीआईसी अल्मोड़ा आज भी बड़ा नाम है और वर्तमान में इस स्कूल में 400 से ज्यादा छात्राएं पढ़ रही हैं। श्रद्धा वो महिला हैं जिन्होंने अपने प्यार को भी प्रेरित किया और खुद भी सफलता की ऊंचाइयों को छुआ। अल्मोड़ा की रहने वाली श्रद्धा जोशी ने भी अपने जीवन में कड़े संघर्ष किए। श्रद्धा के पिता प्रो. जीसी जोशी सोबन सिंह जीना परिसर के जंतु विज्ञान विभाग में प्राध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं श्रद्धा की माता लीला जोशी आर्य कन्या इंटर कॉलेज अल्मोड़ा में शिक्षिका थी। वह भी अब सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। अल्मोड़ा की श्रद्धा दिल्ली UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली आई थी। अल्मोड़ा की श्रद्धा से आइआरएस बनने तक का सफर कैसा रहा रहा श्रद्धा उत्तराखंड से ताल्लुक रखती हैं। इसलिए इस फिल्म का क्रेज उत्तराखंड में भी देखने को मिला और खासकर के अल्मोड़ा में। इनके किरदार को लेकर अल्मोड़ा में भी लोगों को क्रेज है।

फिल्म को युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बताया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में लगन और मेहनत के बल पर ऊंचे मुकाम पर पहुंचने तक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म में अल्मोड़ा की रहने वाली वर्तमान में आइआरएस अधिकारी श्रद्धा जोशी के संघर्ष की कहानी को दर्शाया गय। जब UPSC के लिए दिल्ली आई थी श्रद्धा दोस्तो श्रद्धा वो महिला हैं जिन्होंने अपने प्यार को भी प्रेरित किया और खुद भी सफलता की ऊंचाइयों को छुआ। अल्मोड़ा की रहने वाली श्रद्धा जोशी ने भी अपने जीवन में कड़े संघर्ष किए। श्रद्धा के पिता प्रो. जीसी जोशी सोबन सिंह जीना परिसर के जंतु विज्ञान विभाग में प्राध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं श्रद्धा की माता लीला जोशी आर्य कन्या इंटर कॉलेज अल्मोड़ा में शिक्षिका थी। दोस्तो आपको लग रहा होगा ना मै क्यों श्रद्दा जोसी की बात कर रहा हूं। इसका भी कारण है। दोस्तो अल्मोड़ा की श्रद्धा दिल्ली UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली आई थीं। एक और कहानी है कि ऐसे मिले थे श्रद्धा और मनोज। एक इंटरव्यू में श्रद्धा ने बताया था कि वो UPSC की तैयारी की लिए अल्मोड़ा से दिल्ली आई थीं। यहां उन्होंने एक कोचिंग ज्वाइन की थी। यहीं पर वो मनोज कुमार शर्मा से पहली बार मिली थी। दोनों में बातें हुई और यहीं से शुरू हो गया था दोनों का सफर। दिल्‍ली में तैयारी करते हुए श्रद्धा जोशी का चयन उत्तराखंड में डिप्‍टी कलेक्‍टर के पद पर हुआ था व मनोज शर्मा चौथे प्रयास में आईपीएस अफसर बने।

श्रद्धा ने साल 2005 में UPSC क्लियर किया था। मुखर्जी नगर के ‘दृष्टि आईएएस कोचिंग सेंटर’ में दोनों मिले। इंट्रोडक्शन कुछ ऐसा था आप मनोज शर्मा हैं न मैं श्रद्धा अल्मोड़ा से मनोज शर्मा कहते हैं कि उन्हें श्रद्धा का नाम बहुत अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि पहाड़ी दिल के बड़े साफ होते हैं। होते तो हैं तभी श्रद्धा और मनोज आज युवाओं के लिए एक नई प्रेरणा बन गए हैं। मुखर्जी नगर से शुरू हुई ये प्रेम कहानी सफलता के साथ ही शादी के बंधन में बंध गई श्रद्धा की कहानी कई लड़कियों के लिए प्रेरणा है, खासकर उन लड़कियों के लिए जो पहाड़ों में रहती हैं और उच्च शिक्षा और करियर में सफलता हासिल करना चाहती हैं. उनकी कहानी दिखाती है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ संकल्प से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। श्रद्धा जोशी की कहानी एक प्रेरणादायक कहानी है जो दिखाती है कि शिक्षा और कड़ी मेहनत से किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है। आज मुश्रे कई सारे लोग मिलते हैं छात्र मिलते हैं। उत्तराखंड की छात्रां मिलती हैं तो वो उसी सपने को देख रही होती हैं जो कभी श्रद्धा जोसी ने देखा था और वो बताती भी है कि सपना तो देखा पहले से लेकिन जब से १२ फेल फिल्म देखी और श्रद्धा जोशी के बारे में जाना उस वक्त से उस वक्त से उनके इस सपने को मल मिला। आपको कैसी लगी ये कहानी और इससे मिल रही प्रेरणा।