जी हां दोस्तो एक तरफ लैंड जियाद पर एक्शन दर एक्शन कर रही थी वहीं दूसरी तरफ हो गया उत्तराखंड में एक बार फिर बड़ा खुलासा जहां कुछ मुस्लिमों ने मस्जित बना कर बड़ा खेल कर डाला। वैसे एक सवाल बीते कुछ महिनों में प्रदेश में तैर रहा है बल। Demography of Devbhoomi डेमोग्राफी चेंज कैसे हो रहा है कौन कर रहा है कहां हो रहा है। दोस्तो आज के इस खिलासे से आपको बहुत कुछ समझ आ जाएगा कि कैसे देवभूमि में खाली पड़ी भूमि पर मस्जिद बनाई जा रही है और कैसे फिर पैर पसारे जा रहे हैं। दोस्तो दो नालि में बनी मस्जिद और उसके बाद कथित रूप से 43 नाली भूमि पर कब्जा हो गया कैसे? क्या ये सिर्फ एक मामला भर है या फिर देवभूमि की डेमोग्राफी बदलने की एक रणनीति? इस पूरे मामले की पूरी पड़ताल होनी जरूरी है —सच, आरोप और प्रशासन की तैयारी क्या है बल अब बताउंगा आपको। नैनीताल–भवाली क्षेत्र की भूमियाधार रोड पर बनी मस्जिद पर ज़मीन कब्ज़े का आरोप, प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। वीडियो में दावा किया गया कि मस्जिद जंगल की भूमि पर बनी है और धीरे-धीरे आसपास की करीब 43 नाली सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर चारदीवारी खड़ी कर दी गई है। राजस्व व वन विभाग की संयुक्त टीम ने मौके का निरीक्षण कर बताया कि मस्जिद परिसर वर्तमान में लगभग 45 नाली क्षेत्र में फैला है, जबकि वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार साल 1924 में सिर्फ 5016 वर्गफुट (लगभग 2 नाली 5 मुट्ठी) जमीन ही लीज पर दी गई थी। यानी शुरुआती लीज से कहीं अधिक भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति स्पष्ट दिख रही है। दोस्तो इस मामले पर जहां अपर जिलाधिकारी विवेक राय ने कहत हैं कि ये जांच हो रही है कि कब-कब निर्माण हुए और परिसर का विस्तार कैसे हुआ। दोस्तो इतना भर नहीं है ये मामला इसलिए भी बड़ा और महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि जिले में सरकारी भूमि पर अवैध धार्मिक संरचनाओं को लेकर पहले भी वीरभट्टी और नैनीताल मुख्य मस्जिद से जुड़े सवाल उठ चुके हैं। अब ये नया मामला। दोस्तो अगर इस वीडीयो को बुनियाद बनाउं तो क्या नैनीताल भवाली क्षेत्र में भूमियाधार रोड पर बनी मस्जिद ने करीब 43 नाली सरकारी भूमि पर अपना कब्जा कर उसकी चार दीवारी बना ली है? इस मामले की जानकारी मिलने पर जिला प्रशासन ने जांच पड़ताल शुरू कर दी। दोस्तो जानकारी के मुताबिक सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ जिसमें ये कहा जा रहा है उक्त मस्जिद जंगल की भूमि पर बनाई गई है और धीरे धीरे मस्जिद प्रबंधन ने आसपास की भूमि पर कब्जा कर लिया है। दोस्तो नैनीताल जिला प्रशासन ने इस मामले के संज्ञान में आने के बाद इस मस्जिद स्थल पर राजस्व और वन विभाग की संयुक्त टीम भेजी और पाया कि करीब 45 नाली भूमि पर चारदीवारी कर मस्जिद का परिसर बनाया गया है। इस मामले में वन विभाग ने अपने नक्शे देखने के बाद बताया ये मस्जिद के लिए वन विभाग द्वारा 1924 में 5016 वर्गफुट (दो नाली पांच मुट्ठी )जमीन लीज पर दी गई है लेकिन वर्तमान में ये 45 नाली से अधिक बताई गई है , यानि करीब 43 नाली सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा स्पष्ट दिखाई दे रहा है। बरहाल नैनीताल जिले में सरकारी भूमि अवैध धार्मिक संरचनाओं को लेकर प्रशासनिक जांच पड़ताल का सिलसिला जारी है। पूर्व में वीरभट्टी और नैनीताल की मुख्य मस्जिद की जमीन को लेकर भी ऐसे ही सवाल उठे है। नैनीताल जिले में सरकारी भूमि पर बनी अवैध धार्मिक संरचनाओं की जांच पहले से ही चल रही है। वहीं इधऱ सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी में अर्धसैनिक बलों के सम्मेलन में कहा कि “सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बनी धार्मिक संरचनाएं हटाई जा रही हैं। देवभूमि के सांस्कृतिक स्वरूप को किसी भी हाल में बदलने नहीं दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में अवैध बसावट और अन्य गलत गतिविधियों के खिलाफ सरकार कड़े कदम उठा रही है। 10 हजार एकड़ से अधिक सरकारी भूमि कब्जामुक्त कराई गई है तथा 550 से अधिक अवैध संरचनाओं को ध्वस्त किया गया है। राज्य में समान नागरिक संहिता, सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून, दंगा-रोधी कानून और भू-कानून लागू कर सामाजिक समरसता एवं आंतरिक सुरक्षा को मजबूत किया गया है। इतना ही नहीं दोस्तो देवभूमि उत्तराखंड वीरभूमि भी है, और यहां की धरोहर, संस्कृति और परंपरा की रक्षा करना सभी का दायित्व है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि कि राज्य सरकार “विकल्प रहित संकल्प” के साथ उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। दोस्तों, नैनीताल–भवाली क्षेत्र में सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़े और मस्जिद विस्तार का मामला अभी भी जांच के दायरे में है। प्रशासन और राजस्व–वन विभाग की टीम लगातार सत्यापन में लगी हुई है, जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ संदेश दिया है कि देवभूमि की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत को कोई भी बदलने नहीं देगा।