जी हां दोस्तो उपनलकरमियों को लेकर बड़ी खबर आ रही है। उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला क्या बदल देगा उपनकर्मियों की जिंदगी को बदल देगा। क्या सरकार के इस नए कदम से प्रदेश के उपनकर्मी नियमित हो जाएंगे। UPNL Employee Regularization Case क्या कहता इस खबर आ रहा बड़ा अपडेट बताउंगा आपको, दोस्तो उत्तराखंड में उपनलकर्मियों के नियमितीकरण को लेकर लंबे समय से चली आ रही इंतजार की घड़ी अब लगता है खत्म होने वाली है। सरकार ने इस मामले में बड़ा फैसला लिया है, जिससे हजारों हजार उपनलकर्मियों की उम्मीदें जाग उठी हैं, वो कैसे मै बताउंगा आपको। दोस्तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। बैठक में 12 प्रस्तावों को मंजूरी मिली है। उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम कर्मचारियों के नियमितीकरण और वेतन के मामले में मंत्रिमंडल की उप समिति गठित होगी, जो दो महीने के भीतर देगी अपनी रिपोट सौंपेगी। खबर को पूरा देखिएगा दोस्तो क्योंकि बहुत अहम है, क्योंकि उपनलकर्मियों का संघर्ष लंबे वक्त से प्रदेश देख रहा है अब सरकार के नए फैसले से क्या उनके संघर्ष पर विराम लगेगा या फिर इस मामले में कुछ और देखने को मिलता है।
दोस्तो थोड़ा गौर कीजिएगा सरकाने एक फैसला ये भी लिया है कि उपनल से विदेशों में भी मिलेगी नौकरी, जी हां दोस्तो कैबिनेट की बैठक में जो फैसला हुआ उसमें ये कि उपनल के माध्यम से अब विदेशों में भी नौकरी मिलेगी। वहीं आपदा में मृतक आश्रितों को चार लाख के स्थान पर पांच लाख मिलेंगे। वही पक्का मकान ध्वस्त होने पर पांच लाख दिए जाएंगे। इसके सात ही दोस्तो दैनिक, संविदा और तदर्थ कर्मचारियों के मामले में मंत्रिमंडल की उप समिति गठित होगी, जो इनके नियमितीकरण को लेकर कट ऑफ डेट तय करेगी। प्रदेश में देवभूमि परिवार योजना लागू होगी। देवभूमि परिवार योजना के तहत उत्तराखंड में रह रहे परिवारों की आईडी बनेगी दोस्तो बात अगर उपनल कर्मियों की करें तो सरकार से मिल रहे लगातार आश्वासन के बाद अब उपनल कर्मचारियों ने आर पार की लड़ाई का एलान करते हुए सड़कों पर उतरकर आंदोलन शुरू किया। परेड मैदान के पास एकत्रित हुए उपनल कर्मचारियो ने सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी की खूब की उपनल महासंघ का कहना कि लम्बे समय स्वागत कोर्ट का निर्देश मिलने के बाद भी उपनल कर्मियों को केवल कोरा आश्वासन दिया जा रहा हैँ। शासन में बनी कमेटी भी पिछले सात महीने से केवल डाटा एकत्रित करने का काम कर रही हैँ। दोस्तो इस हंगामे से इतर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक, धामी मंत्रिमंडल की बैठक में कुल 12 प्रस्तावों पर मुहर लगी है। इसमें मुख्य रूप से उपनल कार्मिकों को मिनिमम वेतनमान और डीए देने के लिए सब कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया है। कमेटी बनाने के लिए सीएम को अधिकृत किया गया है। ऐसे में अगले कुछ दिनों में कमेटी का गठन होने के बाद दो महीने का समय कमेटी को दिया जाएगा।
दरअसल, दोस्तो पिछले कुछ वक्त से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे उपनलकर्मियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फैसला लिया है। उनके न्यूनतम पे स्केल और DA के लिए एक सब कमेटी बनाई जाएगी। सीएम इन कमेटी को बनाएंगे जो कमेटी दो महीने में फैसला लेगी। वहीं, उपनल के ऑब्जेक्टिव में ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में भी बदलाव किया गया है। दोस्तो प्रदेश में हड़ताल पर गए उपनल कर्मचारियों में से दो कर्मचारियों ने आमरण अनशन भी शुरू किया। परेड ग्रांउड में अनशन पर बैठे महेश भट्ट और योगेंद्र बडोनी ने ये कहा था कि जब तक मांगों पर अमल नहीं होगा अनशन जारी रहेगा। दरअसल दोस्तो समान काम के लिए समान वेतन और नियमित करने सहित कुछ अन्य मांगों के लिए उपनल कर्मचारी हड़ताल करने को मजबूर दिखाई दिए। हड़ताल पर गए कर्मचारियों ने परेड ग्राउंड में धरना दिया। कर्मचारियों ने कहा, हाईकोर्ट के वर्ष 2018 के आदेश के बाद भी उन्हें नियमित न कर उनके हितों की अनदेखी की जा रही है। दोस्तो मै आपको यहां बता दूं कि प्रदेश में 22000 की करीब उपनल कर्मी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वैसे देहरादन के दून अस्पताल की ही बात करूं तो दून अस्पताल से भी बड़ी संख्या में उपनल से तैनात वॉर्ड बॉय, नर्स ,फार्मासिस्ट, डाटा एंट्री ऑपरेटर और सफाई कर्मी काम कर रहे हैं। करीब डेढ़ सौ से अधिक कर्मचारियों के हाल में हड़ताल पर जाने से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अस्पताल की व्यवस्थाएं भी चरमराती दिखाई दी थी, उपनल कर्मचारी महासंघ ने कहा कि राज्य के सभी विभागों को मिलाकर करीब 22 हजार उपनल कर्मियों ने कार्य बहिष्कार का फैसला लिया, लेकिन अब कैबिनेट बैठक में उपनल कर्मियों को लेकर फैसला लिया गया है।
दोस्तो यहां मै आपको ये भी बता दूं कि इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने क्या कहा था उपनल कर्मिचारिओं के नियमितिकरण को लेकर थोड़ा गौर कीजिएगा। दौस्तो जैसा की हम सभी ये जानते हैं कि उत्तराखंड के कई सरकारी विभागों में उपनल समेत अन्य आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से काम कर रहे हैं और इन्हें कर्मचारियों को नियमित करने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। मामले की सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने पूर्व में दिए गए निर्देश के आधार पर उन्हें नियमित करने को लेकर प्राथमिकता देने को कहा था। तब दोस्तो राज्य सरकार ने दलील दी गई थी कि पूर्व में खंडपीठ ने आउटसोर्सिंग और उपनल कर्मचारियों को नियमित करने का सुझाव राज्य सरकार को दिया था। जो अभी राज्य की कैबिनेट में लंबित है। जिस पर पर निर्णय लिया जाना बाकी है। दरअसल, टिहरी जिले के पुनर्वास विभाग में साल 2013 से कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों ने उन्हें नियमित करने को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिसमें उनकी ओर से कहा गया कि वे साल 2013 से मात्र 1700 के मानदेय पर काम कर रहे हैं, वे आउटसोर्स कर्मचारी हैं जबकि, विभाग की ओर से उनसे पूरा काम कराया जा रहा है। इस पद के लिए वे पूरी योग्यता भी रखते हैं। बार-बार उनको नियमित करने को लेकर उनकी ओर से संबंधित विभाग को प्रार्थना पत्र दिया गया, लेकिन उस पर कोई विचार नहीं हुआ, तब कहीं देखने को मिला की उपनल कर्मचारियों ने सरकार के रवैये को कठघरे में खड़ा करते हुए हड़ताल का ऐलान किया था। उपनल करिमियों की हड़ताल का बड़ा असर भी देखने को मिला। ऐसे में पिछले कुछ वक्त से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे उपनलकर्मियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फैसला लिया है। उनके न्यूनतम पे स्केल और DA के लिए एक सब कमेटी बनाई जाएगी। सीएम इन कमेटी को बनाएंगे जो कमेटी दो महीने में फैसला लेगी. वहीं, उपनल के ऑब्जेक्टिव में ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में भी बदलाव किया गया है। अब इसको लेकर उपनल कर्मियों का अगला प्लान क्या होता है ये देखने वाली बात होगी। फिल हाल इसे उपनल कर्मियों के लिए राहत के तौर पर देखा जा रहा है।