अल्मोड़ा में बसा है वो चमत्कारी कृष्ण मंदिर जहां जन्माष्टमी पर हर मुराद होती है पूरी। जन्माष्टमी पर जो यहां आता है भरोसे के साथ लौटता है। आज मै आपको लेकर चलुंगा उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक ऐसे दिव्य और चमत्कारी श्रीकृष्ण मंदिर में, जिसकी मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन यहां मांगी गई मुरादें निश्चित रूप से पूरी होती हैं। Almora is situated in that miraculous Krishna temple दोस्तो ये मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और चमत्कार का जीवंत उदाहरण है अल्मोड़ा, जो अपनी शांत वादियों और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए जाना जाता है, वहीं बसा है यह प्राचीन श्रीकृष्ण मंदिर। दोस्तो उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में ऐसे कई प्राचीन मंदिर है जिनकी मान्यता आज भी देखने को मिलती हैं। उनमें से एक प्राचीन मंदिर के बारे में मै आपको बताने जा रहा हू। अल्मोड़ा के थाना बाजार में स्थित है श्री मुरली मनोहर मंदिर और यह मंदिर भगवान श्री कृष्णा को समर्पित है. इस मंदिर की स्थापना साल 1880 में हुई थी। अल्मोड़ा में भगवान श्रीकृष्ण का यह एकमात्र मंदिर है और इस मंदिर में श्रद्धालु बड़ी दूर-दूर से यहां पर आते हैं। मंदिर में रखी गई राधाकृष्ण की मूर्ति भी काफी पुरानी भी बताई जाती है। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्रद्धालुओं की यहां पर सुबह से ही भीड़ देखने को मिलती है. इसके अलावा सुबह और शाम आरती और भगवान को भोग भी लगाया जाता है।
दोस्तो पहाड़ियों की गोद में स्थित यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं का, बल्कि शोधकर्ताओं और इतिहास प्रेमियों का भी केंद्र बन चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर कई सौ साल पुराना है और इसकी स्थापना संतों और भक्तों के तप से हुई थी। मंदिर की बनावट पारंपरिक पहाड़ी शैली में है, और मंदिर प्रांगण में प्रवेश करते ही एक दिव्य शांति का अनुभव होता है। यहां दगडियो आप से गुजारिश की आप अंत तक मेरे साथ वीडियो में बने रहें। दगडियो अब बात करता हूं उस मान्यता की, जिसने इस मंदिर को इतना खास बनाया है। कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर में श्रीकृष्ण से प्रार्थना करता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है। मंदिर के पुजारी और स्थानीय श्रद्धालु बताते हैं कि यहां कई ऐसे उदाहरण हैं जहां भक्तों को जीवन में असंभव लगने वाली चीजें भी प्राप्त हुई हैं – किसी को संतान सुख मिला, किसी को नौकरी, तो किसी की बिगड़ी शादी सुधर गई। दोस्तो यहां एक महिलाएं बताती है कि वो वर्षों तक संतान के लिए प्रयास करती रहीं। डॉक्टर्स ने उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन जन्माष्टमी पर यहां माथा टेकने के कुछ ही महीनों बाद वो गर्भवती हुई। आज उनकी गोद भरी हुई है। ये चमत्कार नहीं तो और क्या है? ये चमत्कार अपने उत्तराखंड अपनी देवभूमि में हो सकते हैं दगडियों। दोस्तो हर वर्ष जन्माष्टमी के मौके पर इस मंदिर में विशेष आयोजन होता है।
भव्य झांकियाँ, भजन-कीर्तन, रात्रि जागरण और श्रीकृष्ण जन्म की लीला को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग दूर-दूर से आते हैं। शाम होते ही मंदिर परिसर दीपों और रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगा उठता है। रात 12 बजे जैसे ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की घोषणा होती है, मंदिर में घंटे, शंख और जयकारों की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। दोस्तो अगर मै स्थानीय संस्कृति और भक्ति की बात करूं तो यह मंदिर सिर्फ धार्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। यहां की भक्ति में कुमाऊँनी संस्कृति की झलक साफ दिखाई देती है। लोक गीतों और पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ भजन-कीर्तन इस स्थान को और भी खास बना देते हैं। भक्त न केवल पूजा करते हैं, बल्कि दिनभर उपवास रखते हैं और मंदिर की परिक्रमा कर अपने संकल्प दोहराते हैं। दगडियो मंदिर प्रशासन की ओर से हर वर्ष जन्माष्टमी पर विशेष व्यवस्था की जाती है। सुरक्षा, प्रसाद वितरण, रात्रि ठहराव और भक्ति कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग समितियाँ बनाई जाती हैं। स्थानीय युवा भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। वातावरण पूरी तरह से आध्यात्मिक और शांतिपूर्ण होता है, जिससे हर श्रद्धालु को भगवान श्रीकृष्ण की उपस्थिति का अनुभव होता है। दगडियो तो अगर आप भी किसी मुराद के साथ जन्माष्टमी के शुभ दिन पर भगवान श्रीकृष्ण के साक्षात दर्शन करना चाहते हैं, तो अल्मोड़ा स्थित इस चमत्कारी मंदिर की यात्रा ज़रूर करें। कौन जाने, आपकी भी झोली उसी तरह भर जाए जैसे हजारों भक्तों की भरी है क्योंकि यहां सिर्फ दर्शन नहीं होते, यहां आस्था बोलती है और मुरादें पूरी होती हैं जय श्रीकृष्ण जय उत्तराखंड