Diwali 2022 : दीपावली रोशनी और उल्लास का पर्व है, शोर और धुएं का नहीं। त्योहार मनाइए, पर अपनी सेहत, सुरक्षा और दूसरों को अनदेखा करके नहीं। यह दीयों से जगमग करने का त्योहार है। सभी कड़वाहट को मिटाकर अपनों के गले मिलने, बड़ों से आशीष लेने का दिन है। इसे पटाखों के शोर में गुम न होने दें। दीपों का पर्व दीपावली के त्योहार में किसी तरह का विघ्न न पड़े, इसका पूरा ध्यान रखा जाए। सबसे अधिक सावधानी पटाखा जलाते समय रखना होगा। अगर इस दौरान जल जाते हैं तो घाव को तुरंत साफ पानी से धो लें। इसके बाद समय रहते अस्पताल पहुंच जाएं।
डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डा. हिमांशु सक्सेना का कहना है कि घाव को बर्फ से नहीं धोना चाहिए। इससे घाव और गहरा हो सकता है। केवल 15-20 मिनट तक साफ पानी से धाएं। इसके बाद सीधे डाक्टर से परामर्श लें। नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. जीएस तितियाल कहते हैं कि आंख में बारुद जाने और जलने की समस्या भी सामान्य है। पटाखा जलाते समय थोड़ी सी असावधानी आंख के लिए बड़ा नुकसानदेह बन जाती है। इसलिए आंख में किसी भी तरह की दिक्कत होने पर रगड़ें नहीं। रगड़ने से घाव बढ़ सकता है। साफ पानी से धांऐ और समय रहते डाक्टर से परामर्श ले लें।
स्वास्थ्य पर खतरा
- वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ डा. अनिल आर्य बताते हैं कि स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ाने के अलावा पटाखों से परोक्ष रूप से गंभीर दुष्परिणाम भी देखे गए हैं।
- पटाखे सावधानी से नहीं चलाने पर त्वचा झुलस सकती है और इस पर लंबे समय तक जले का निशान बना रहता है।
- गलत तरीके से आतिशबाजी करने के कारण बहुत लोग बुरी तरह जलकर जख्मी हो चुके हैं और कई लोगों की जान तक पर बन आई है।
- पटाखों के जलने से त्वचा, बाल और आंखों की पुतलियों को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है।
- पटाखों में मौजूद नुकसानदेह रसायन त्वचा में शुष्कता और एलर्जी पैदा करते हैं।
- वातावरण में नुकसानदेह रसायनों के फैलने से बालों के रोमकूप कमजोर पड़ जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप बाल टूटने लगते हैं और बालों की प्राकृतिक संरचना भी बिगड़ती है।
- पटाखों के कारण आखों में जरा सी चोट भी एलर्जी और नेत्रहीनता की स्थिति पैदा करती है।