उत्तराखंड में रात भर चली ताबड़तोड़ चेकिंग, सड़कों पर पुलिस का सायरन, मोहल्लों में अचानक बढ़ी हलचल और इसी बीच बनभूलपुरा को लेकर आई एक साथ दो बड़ी खबर। Banbhulpura railway encroachment case जी हां दोस्तो एक तरफ लोग सुप्रीम कोर्ट की तरफ देख रहे थे, कि सुप्रीम कोर्ट बनभूलपुरा को लेकर क्या फैसला देता है तो वहीं दूसरी तरफ तावड़तोड़ चैकिंग के जरिए रेलवे अतिक्रमण विवाद के साए में दंगा भड़काने में माहिर 21 उपद्रवी हिरासत में लिए जा रहे थे। क्या बनभूलपुरा में फिर छुपा है कोई बड़ा प्लान? दोस्तो उत्तराखंड के नैनीताल जिले का बनभूलपुरा इलाका हाल के दिनों में खूब चर्चा में रहा है। यहां रेलवे की जमीन पर कब्जा हो गया बल और ये कब्जा आज नहीं दशकों पहले हो चुका था, लेकिन आज उस जमीन की याद रेलवे को आई बल्कि उसने जमीन को खाली करने के लिए कह दिया। अब ये मामला भारी तनाव और बवाल के बाद हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। दोस्तो बनभुलपुरा मे अतिक्रमण की भूमि को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई टल गई। बताया गया है कि अब कोर्ट ने अगले सप्ताह 9 दिसंबर की नई तारीख सुनवाई के लिए नियत की है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी 9 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुना सकता है। इससे पहले दोस्तो 2 दिसंबर को बड़ा फैसला आने की संभावना से प्रशासन ने दो दिन पहले से ही सभी तैयारियां पूरी कर ली थी, जिसके चलते भारी पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है ,ताकि सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे।
यहां गौर इस बात पर करना होगा कि इससे पहले उपद्रव फैलाने की प्लानिंग कर रहे 23 लोगों को हिरासत में ले लिया गया। अब फोर्स को एक बार फिर वापस भेजा जा रहा है और सुरक्षा इंतजामों में भी कुछ ढील दी जा रही है। दोस्तो नैनीताल जिले के हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा इलाके में रेलवे विभाग की 30 हेक्टेयर भूमि में अतिक्रमण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी कहा जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अहम फैसला सुना सकता है। ऐसे में पुलिस प्रशासन ने बनभूलपुरा को छावनी मे तब्दील कर दिया था, जिसके लिए जगह-जगह भारी पुलिस फोर्स और पीएसी को तैनात कर रूट डायवर्ट किया गया। इसके अलावा 7 ड्रोन कैमरों से क्षेत्र में नजर भी रखी जा रही थी। वहीं बीते सोमवार को पुलिस ने कार्यवाही करते हुए 21 उपद्रवियों को पहले ही दबोच लिया था, जबकि 121 लोगों पर निरोधात्मक एक्शन भी हुआ था। इतना ही नहीं इस संबंध में पुलिस प्रशासन का कहना है कि यदि किसी ने भी दंगा भड़काने की साजिश की तो उसे सीधा जेल में डाला जाएगा। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी पुलिस पैनी नजर बनाए हुए है। सुप्रीम कोर्ट जजमेंट को देखते हुए एतिहात के तौर पर लॉ एंड ऑर्डर के व्यापक प्रबंध किये गए। इस पूरे बनभूलपुरा क्षेत्र में कुल मिलाकर तीन एसपी, चार सीओ, 8 से भी अधिक इंस्पेक्टर, 8 एसएचओ/एसओ, 400 प्लस पुलिस बल और दो कंपनी पीएसी, फायर यूनिट्स, फायरिंग स्क्वायड्स, टियर गैस स्क्वायड तैनात किए गए थे। फील्ड असेसमेंट के आधार पर 23 लोगों को प्रीवेंटिव डिटेंशन में गिरफ्तार किया है जो माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रहे थे।
दगड़ियो यहां आपको ये भी बता दूं कि साल 2023 मे नैनीताल हाई कोर्ट ने एक पीआईएल मे सुनवाई करते हुए जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद रेलवे प्रशासन ने जिला प्रशासन की मदद से अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली इसके बाद मामला टल गया। तब से लेकर अब तक इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। दोस्तो सुप्रीम कोर्ट रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में अब आगामी 9 दिसंबर को बड़ा फैसला दे सकता है जिसके तहत 30 हेक्टेयर अतिक्रमण हुई भूमि में 3,660 पक्के मकान व 5000 से अधिक परिवार निवास करते हैं। अनुमान है कि यहां पर 50,000 लोग रहते हैं। बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने के दौरान पिछले साल 8 फरवरी को उपद्रवियों ने फसाद किया था जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी जबकि कई घायल हुए थे। उपद्रवियों ने थाना तक जला दिया था जिसके बाद से उन पर अभी भी मुकदमा चल रहा है। तो दोस्तो, बनभूलपुरा की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट की अगली तारीख—9 दिसंबर—सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि 50 हजार से ज़्यादा लोगों के भविष्य का फैसला हो सकता है। क्या अतिक्रमण हटेगा?क्या कोई नई राहत मिलेगी? या फिर बनभूलपुरा एक बार फिर तनाव की गिरफ्त में आएगा?