गोली चली, पुलिस लगी, सत्ता हिली – फिर भी कांग्रेस जीती कैसे बताने के लिए आया हूं दोस्तो दगड़ियों नैनीताल पंचायत चुनाव में गोलीकांड के बावजूद BJP को नहीं मिला फायदा, बताउंगा पूरी खबर आप बस मेरे साथ अंत तक बने रहे हैं। Nainital District Panchayat President Controversy दगड़ियों उत्तराखंड की सियासत का एक और काला दिन – नैनीताल ज़िला पंचायत चुनाव के दौरान गोलीकांड तक हुआ। जीत की भूख में लोकतंत्र को रौंदने की कोशिश की गईॉ लेकिन जनता ने फिर साबित कर दिया कि गोलियों से वोट नहीं छीने जा सकते। BJP ने सोचा होगा कि डर और दबाव की राजनीति उन्हें जीत दिला देगी लेकिन नतीजा? दगड़ियों पंचायत उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस की उम्मीदवार देवकी बिष्ट ने जीत का परचम लहराया। पूरी खबर बताने जा रहा हूं कैसे इतना कुछ होने के बाद कांग्रेस का उम्मीदवार जीत गया। उत्तराखंड के नैनीताल ज़िले में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव ने जो रूप लिया है, वह लोकतंत्र की आत्मा को शर्मसार करने वाला है। 14 अगस्त को हुए मतदान से लेकर 19 अगस्त को घोषित परिणाम तक की प्रक्रिया में जो कुछ घटा, वह सिर्फ एक चुनावी प्रक्रिया नहीं बल्कि लोकतंत्र के अपहरण की कहानी है — और इसके केंद्र में है सत्ता की भूख, कुर्सी की भूख हमारे नेताओंकी 14 अगस्त को जब नैनीताल जिला पंचायत में मतदान चल रहा था, उसी दौरान पांच निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य अचानक गायब हो जाते हैं। यह कोई सामान्य घटना नहीं थी — बल्कि एक पूर्व नियोजित राजनीतिक साजिश का हिस्सा थी।
कांग्रेस ने साफ तौर पर इसे “राजनीतिक किडनैपिंग” कहा और मामले को तुरंत उत्तराखंड हाईकोर्ट ले गई। भाजपा की ओर से बचाव में कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं आया, सिर्फ आरोपों की तोड़-मरोड़ और भ्रम फैलाने की कोशिश हुई लेकिन अब कोर्ट से नतीजा आया है। वैसे नतीजा तो पहले ही आ गया था। बस फोरमेंलटी के लिफाफा कोर्ट में खिला जिसमें बीजेपी जीतने में कामयाब रही लेकिन चौकाने वाली बात ये थी कि उपाध्यक्ष पद फिर भी बीजेपी को नहीं मिला। ये कैसे हुआ वो बाताउंगा आपको लेकिन पहले आप बीजेपी वालों को सुनिए इसमें प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट भी जीत की बात कर रहे हैं। सुना होगा आपने जहां गोलिया चुनाव में चलती रहती हैं हालांकि बाद में वो एआई वाला बता दिया गया था खैर आगे बढता हुं खबर बतातूं एक तस्वीर दिखाने और बताने की कोशिश करता हूं। मतदान के दिन ही मतगणना भी हो जाती है, लेकिन परिणाम की घोषणा नहीं होती! क्यों? ये सवाल मेने तब किया था और आज भी कर रहा हूं। बता दूं कि 14 अगस्त को नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था। वोटिंग के बाद उसी दिन निर्वाचन आयोग ने मतगणना करा दी थी, लेकिन चुनाव परिणाम घोषित नहीं किया था, बल्कि चुनाव परिणाम सीलबंद लिफाफे में बंद कर डबल लॉकर में रख दिया था। हालांकि, आज निर्वाचन आयोग ने चुनाव परिणाम घोषित किया और नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष पर बीजेपी प्रत्याशी दीपा दर्मवाल को विजयी घोषित किया गया। दीपा दर्मवाल एक वोट से जीती हैं।
एक वोट से दगडड़ियों जो पांच लोग गायब हुए या किए गए वो वोट किसके हो सकते हैं आप अंदाजा लगा सकते हो अगर वो कांग्रेस के साथ होते। थोड़ा इसे एसे समझिए निर्वाचन आयोग के मुताबिक, कुल 22 सदस्यों ने मतदान किया था, जिनमें से भाजपा प्रत्याशी को 11 और कांग्रेस प्रत्याशी को 10 वोट मिले. वहीं एक वोट अमान्य घोषित कर दिया गया। इस तरह दीपा दर्मवाल मात्र एक वोट से विजयी बनीं। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में मिली यह जीत भाजपा के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है, क्योंकि पिछले कई दिनों से इस चुनाव को लेकर लगातार विवाद, आरोप-प्रत्यारोप और तनाव की स्थिति बनी हुई थी। यहां तक कि मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट तक पहुंच गया और अभी भी सुनवाई विचाराधीन है। इसके चलते परिणाम आने के बावजूद कानूनी स्थिति साफ होने का इंतजार है। तो नतीजा कुछ और होता खैर अब तो नतीजा आ ही गया है लेकिन चौकेने वाली बात उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस का कब्ज हो गया। कांग्रेस ने अपनी पकड़ बनाए रखी है। कांग्रेस प्रत्याशी देवकी बिष्ट उपाध्यक्ष चुनी गईं, नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव परिणाम घोषित होने से पूर्व सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई। कलेक्ट्रेट और कोषागार परिसर को छावनी में तब्दील कर पुलिस बल की तैनाती की गई। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिसकर्मी पैदल गश्त करते रहे, वहीं आसमान से निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे भी लगाए गए।