भारतीय नौसेना के पूर्व कैप्टन सौरभ वशिष्ठ को कतर में मौत की सजा सुनाई गई थी। सजा सौरभ को मिली, लेकिन उसे पल-पल भुगता दून में रह रहे उनके माता-पिता ने। Captain Saurabh Vashisht सजा-ए-मौत के बाद सौरभ को रिहाई मिली तो सोमवार तड़के साढ़े तीन बजे उन्होंने अपने पिता को कॉल किया। अनजान नंबर जानकर सौरभ के पिता ने फोन काट दिया। दोबारा घंटी बजी तो रिसीव करने पर दूसरी तरफ से आवाज आई, पापा सौरभ बोल रहा हूं. 18 महीने बाद बेटे की आवाज सुनकर उनकी नींद झटके से दूर हो गई। अधिकारी सौरभ वशिष्ठ मंगलवार को देहरादून स्थित अपने घर पहुँचे। जहां बड़ी धूमधाम के साथ उनका स्वागत किया गया। बेटे को देखकर उनके माता-पिता की आंखों से आंसू छलक उठे और वे बहुत भावुक नजर आए। इस दौरान आसपास लोगों ने भारत माता की जय के नारे लगाए। उनके घर पर स्वागत के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे।
बता दें, नौसेना के आठ पूर्व अधिकारी कतर में देहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज नाम की कंपनी के लिए काम कर रहे थे। अगस्त 2022 में इन सभी को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 26 अक्टूबर 2023 को कतर की अदालत ने इन्हें फांसी की सजा सुना दी थी, जिसे बाद में उम्र कैद की सजा में तब्दील किया गया। देशभर से इन पूर्व नौसेना अधिकारियों की रिहाई की मांग उठी। इसके बाद भारत सरकार ने इनकी रिहाई की प्रक्रिया शुरू की। जिसके बाद कतर की सरकार ने इनमें सात को रिहा कर दिया। सौरभ ने दून पहुंचते ही मोहब्बेवाला स्थित साईं मंदिर में दर्शन किए। परिवार के सभी लोगों ने मंगलवार का उपवास रखा था। भारतीय नौसेना के पूर्व कैप्टन सौरभ वशिष्ठ कतर की जेल से रिहा होकर मंगलवार को देहरादून के टर्नर रोड स्थित अपने घर पहुंचे तो 17 महीने बाद अपने लाल को देखकर मां की आंखें भर आईं।